माओवाद पर छत्तीसगढ़ को फिर फटकार
Saturday, October 29, 2016
सीजी खबर
नई दिल्ली | संवाददाता: सुप्रीम कोर्ट ने माओवाद पर नये समाधान पेश करने के लिये कहा है. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया कि नंदिनी सुंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को बस्तर से दूर रहे का निर्देश पारित करें. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह कोई समाधान नहीं है. वे चाहेंगे कि आप वहां से दूर रहे. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आतंकवाद और विद्रोह में मौत के मामले में आईएस और नाइजीरिया के बोको हरम के बाद भारत तीसरे स्थान पर है.
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने दावा किया कि नक्सल प्रभावित इस राज्य में आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा मौतें हुई हैं. साथ ही उसने कहा कि इन क्षेत्रों में चरमपंथी वाम कार्यकर्ताओं की गतिविधियां आग में घी का काम करती हैं.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और आदर्श कुमार गोयल की पीठ को बताया कि “आज जम्मू-कश्मीर से ज्यादा सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ में तैनात है. बड़ी तादाद में यहां पुलिस के जवान नक्सली हिंसा में मारे जा रहे हैं. हम नक्सली समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि वहां काफी ढांचागत काम किया है और एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं. तुषार मेहता ने कहा कि आतंकवाद और आतंक से संबंधित मौतों में आईएस और बोको हरम के बाद भारत तीसरे स्थान पर है.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि नंदिनी सुंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को इन इलाकों से दूर रहने का निर्देश पारित करें. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे लोग केवल यही चाहते हैं कि आग सुलगती रहे.
||….सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि नंदिनी सुंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को इन इलाकों से दूर रहने का निर्देश पारित करें. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह कोई समाधान नहीं है. वे चाहेंगे कि आप इन इलाकों से दूर रहें.||
इस पर कोर्ट ने कहा कि यह कोई समाधान नहीं है. वे (कार्यकर्ता) चाहेंगे कि आप (राज्य) इन इलाकों से दूर रहें. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अदालत में पेश मेहता ने इस पर कहा कि हम इन इलाकों से बाहर नहीं जा सकते. यह एक राज्य है और सरकार को लोगों की देखरेख करनी पड़ेगी. जनता के प्रति हमारी जिम्मेदारियां हैं.
मेहता ने कहा कि आग सुलगाये रखना कोई समाधान नहीं है. एक सीडी है, जिसमें उन्हें ‘लाल सलाम’ के नारे लगाते हुए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए देखा जा सकता है. इससे समस्या समाप्त नहीं होगी. सभी लोग शांति चाहते हैं. पीठ ने सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को कुछ नये समाधान के साथ आने को कहा ताकि समस्या का हल निकल सके.
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