बडकागांव गोलीकांड पर भाकपा माले की रिपोर्ट जारी...
8 अक्टूबर को भाकपा ( माले) की टीम ने बडकागांव का दौरा किया और मृतकों के परिजनों से मुलाक़ात की. टीम में राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचर्या ,पूर्व विधायक विनोद सिंह,राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद,पोलिट ब्यूरो मनोज भक्त,मोहन दत्ता,परमेश्वर महतो, पूरन महतो ,पवन महतो,उस्मान अंसारी,सीताराम सिंह,हिरा गोप,हजारीबाग जिला सचिव पछु राणा, मजदुर नेता बैजनाथ मिस्त्री, जगन्नाथ उरांव देवकीनन्दन बेदिया,भुवनेश्वर बेदिया, AIPF नेता नदीम खान,RYA नेता संदीप जायसवाल,आईसा नेता अखिलेश,हेमलाल महतो,शेख तैयब जानकी शर्मा व मोती समेत कई शामिल थे।इसमें बड़कागांव से नेता राम कुमार भार्गव मिहिर रंजन, बंशी राम, सफदर ,रोहित मेहता व अन्य शामिल थे.
दौरे से निम्नलिखित बातें उभर कर सामने आती है
"1 अक्टूबर पुलिस द्वारा की गयी ह्त्या इरादतन"
1 अक्टूबर को बडकागांव की घटना अंगरेजी राज की याद को ताजा कर दी. रघुवर सरकार की पुलिस जैसे कि दुसरे देश में जाकर हमला कर रही हो उस तरह से अपने ही जनता के साथ व्यवहार की. रात के अँधेरे में जाकर महिलाओं की बर्बरता से पिटाई, प्रताणना सारे सीमाओं को लांघ गई. पुलिस द्वारा लाठी चार्ज शुरू हो गया . इसके बाद हुई पुलिस फायरिंग से 4 लोगों की मौत हो गयी. मृतकों में 3 नाबालिग छात्र हैं और एक मजदूर है.मृतक अभिषेक राय ( उम्र 17 साल ) एवं पवन साव( उम्र 16 साल ) सोनबरसा गाँव के थे रंजन कुमार(उम्र 17 साल ) सिन्दुआरी गाँव के थे और महताब आलम( उम्र 30साल) छेपाखुर्द गाँव के थे. अभिषेक पवन और रंजन छात्र हैं महताब दैनिक मजदुर हैं. मृतक छात्र सुबह टूशन पढने के लिए निकले थे जबकि महताब शौच के लिए गए थें. गाँव के लोगों द्वारा बताया गया कि गोली मृतकों के गले में लगी है. गोली भीड़ को तीतर बीतर करने के लिए नहीं बल्कि मारने के ही नियत से चलाई गयी थी. महताब आलम के परिजनों ने बताया कि जब पुलिस और लोगों के बीच झड़प देखकर वे घबराकर भागने लगे तो उन्हें लगभग 50 फीट की दूरी से पीछे से गोली मार दी गयी. मृतक अभिषेक के परिजनों ने बताया कि वह बस दूर से ही झड़प देख रहा था और उसे गोली मार दी गयी.रंजन कुमार के परिजनों ने बताया कि वह सायकिल से ट्यूशन जा रहा था और उसे गोली मार दी गयी. हालाकि प्रशाशन का कहना है कि 60 के आस पास राउंड गोली फायरिंग हुई है जबकि गाँव के लोगों का कहना है कि 100 से ज्यादा राउंड फायरिंग हुई घायलों को पीट पीट कर मारा गया एक ओर जहाँ घायल सी.ओ के लिए हैलीकौप्टर मंगवाया गया वही दुसरी ओर जो लोग गोली लगने से घायल थें उन्हें पीट पीट कर पुलिस द्वारा मार दिया गया. मृतक पवन कुमार के परिजनों ने बताया कि गोली लगने के बाद पवन नाले में गिर गया. पुलिस ने उसका नाम और घर पूछा और जूतों से लगातार पिटती रही. मृतक की माँ के सामने पीटा गया माँ उसे देखने गयी उन्हें भी पीटकर भगा दिया गया अगर सही समय पर पवन को अस्पताल पहुंचाया गया होता तो जान बच सकती थी
मृतकों के परिजनों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार मृतकों के परिजनों के साथ प्रशाशन द्वारा दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया. जब वे मृतकों की लाश लेने सदर अस्पताल गए तो उनके साथ गाली गलौज किया गया और धमकी दी गयी. मृतकों की लाश को घटना के लगभग 36 घंटे बाद 2 अक्टूबर की शाम को परिजनों को सुपुर्द किया गया. अभी तक उन्हें पोस्ट मार्टम रिपोर्ट नहीं दिया गया है और कहा जा रहा है कि रिपोर्ट 6 महीने बाद मिलेगी. प्रशासन द्वारा मृतकों के परिजनों को मात्र 4 हज़ार की अनुकम्पा राशी दी जा रही है. जबकि कानून यह राशि 20 हजार होनी चाहिए. अपने परिवारजनों की मौत के बाद लोगों में काफी रोष है मेहताब के पिता मोजाम मियाँ ने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार परिवार के बाकी लोगों को भी गोली मार दे. मेहताब शादीसुदा थे उनके तीन बच्चे हैं. मृतकों के परिजनों द्वारा यह स्पष्ट कहा गया कि उन्हें सरकार 2 लाख रुपये कि मुआवाजे की राशि नहीं चाहिए और रघुवर दास इसे अपने पास रखें. वे अपनी आजीविका अपने दम पर चला लेंगे.
"1 अक्टूबर के बाद भी जारी रहा पुलिसिया दमन "
1 अक्टूबर को हुई घटना के बाद भी पुलिसिया दमन जारी रहा. गाँव के लोगों ने बताया कि घटना के बाद दुसरे दिन बाद भी पुलिस आकर पुलिस लोगों से आकर पूछी नारा लगता है धरना करता है और उन्हें भेड़ बकरी की तरह पिटा गया. 2 अक्टूबर को छीपाखुर्द गाँव में मोहमद रफीक के घर में घुस कर उनको और उनके परिवारजनों को रैपिड एक्सन फोर्स के जवानों ने मारा पीटा. गाँव के लोगों की शिकायत थी कि रैफ के जवान साम्प्रदायिक रूप से वयवहार कर रहे थे. वे लोगों कि पीटाई करते हुए पाकिस्तान या कब्रिस्तान बनाने की बात कह रहे थे गाँव में खौफ और दहशत पुलिस का दहशत से कई लोग गाँव छोड़ कर जा चुके हैं जो बचे हैं वे भी दहशत में रह रहे हैं लोगों ने अपने घर की महिलाओं और बच्चों, गाय और अन्य मवेशियों को बाहर भेज दिया है और जो लोग गाँव में बचे हैं वे रात होते ही घर छोड़कर खेत में छुप जाते हैं. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में और भी दमन होगा. 6 अक्टूबर की शाम तक पुलिस और रैपिड एल्शन फोर्स गाँव में गश्त करती रही.
"घायलों के प्रति सरकार बेपरवाह"
1 अक्टूबर को हुई पुलिस फायरिंग में 4 लोग घायल हुए हैं. सिन्द्वारी गाँव के अमीत जिन्हें पाँव में गोली लगी है उनका इलाज रिम्स में चल रहा है अन्य तीन गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों का इलाज रांची के ही निजी अस्पतालों में स्वयं परिजनों द्वारा ही किसी तरह से पैसा इकट्ठा करा कर किया जा रहा है और सरकार द्वारा किसी भी तरह की मदद नहीं की जा रही है चौथी बार हुआ पुलिसिया दमन सरकार द्वारा यह पुलिसिया दमन पहली बार नहीं हुआ बल्कि इसके पहले भी तीन बार हो चुका है. इस से पहले 24 जुलाई 2013 को हजारीबाग के केरेडारी ब्लॉक के पगरा गाँव में पुलिस द्वारा गोली चलाने पर एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी और चार घायल हो गए थें. 2015 में भी पुलिस द्वारा गोली चलाई गयी थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे.16 मई 2016 बडकागांव के चिरूडीह गाँव में खनन का विरोध करने पर पुलिस द्वारा लोगों को गाँव में घुस घुस कर मारा पीटा गया था. गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बक्सा गया. बूढ़े बच्चे भी दरिंदगी के शिकार हुए.
"अवैध रूप से किया जा रहा है उर्वरक बहुफसलीय जमीन का अधिग्रहण"
बडकागांव की जमीन बेहद उर्वरक बहुफसलीय जमीन है और इसे कृषि के लिहाज से झारखंड की सर्वोत्तम जमीन माना जाता है और यहाँ बारहों महीने धान, गन्ना और विभिन्न तरह की सब्जियां( टमाटर, गोभी इत्यादि) का पैदावार होता है. एन टी पी सी द्वारा लगभग 8000 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का प्रस्ताव है जिस से लगभग 52 गाँव के उजड़ने की संभावना है. गाँव के ज्यादातर लोग मुआवजे के साथ भी अपनी जमीन एन.टी.पी.सी को नहीं देना चाहते. जिन लोगों ने मुआवजा लेकर जमीन दिया भी है तो वह आर्थिक मजबूरी के चलते. सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून ,2013, वनाधिकार कानून और सी.एन.टी एक्ट का उल्लंघन कर जबरन अवैध तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया गया है. पिछले 10 साल से सरकार द्वारा जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. पैसे की जरुरत होने पर भी रैयत अपनी जमीन अपनी इच्छा से स्वयं नहीं बेच सकते. भूमि अधिग्रहण कानून के तहत ग्राम सभा का आयोजन नहीं किया गया है. एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया था लेकिन वह फर्जी तरीके से बडकागांव से 25 किलोमीटर दूर हजारीबाग सदर में किया गया था . जिन लोगों को मुआवजा मिला भी है तो 5 लाख/ एकड़ के आस पास मुआवजा दिया गया है जबकि भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बाजार की कीमत के चार गुना दर से मुआवजा दिया जाना है. बहुफसली जमीन होने की वजह से सिंगुर की जमीन सुप्रीम कोर्ट ने लौटाने का आदेश दिया. लेकिन यहाँ रघुवर सरकार खेती के लिए इतनी उत्तम जमीन को खनन कम्नियों को औने पौने दाम पर बेच रही है खनन कम्पनियों के खिलाफ हैं आरोप एन.टी.पी.सी द्वारा खनन कार्य का ठेका त्रिवेणी अर्थमूवर और सैनिक माइनिंग नाम की दो कंपनियों को दिया गया है. त्रिवेणी कम्पनी ने बिना किसी माप दंड के लोगों को नौकरी पर रखा. शाह कमीशन की रिपोर्ट में त्रिवेणी कम्पनी के खिलाफ ओडिशा में अवैध खनन का आरोप है.
माले नेताओं ने बडकागांव दौरा के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि रघुवर सरकार कि पुलिस अपने ही मतदाताओं के साथ विदेशी जैसा व्यवहार कर रही है. अंग्रेजों की तरह बेवजह उनकी ह्त्या कर रही है. ह्त्या के बाद भी दहशत बनाने के लिए गाँव में घर घर घुसकर गोलियां चला रही है. माले महासचिव ने कहा कि अब रघुवर को झारखंड की सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उना की घटना के बाद गुजरात के सी एम को जाना पडा था. बडकागांव की घटना के बाद अब रघुवर सरकार को जाना होगा. माले अब पुरे राज्य में “ रघुवर हटाओ, झारखंड बचाओ” की मुहीम चलाएगी. हम वाम पार्टियों को भी इस मुहीम में शामिल कर झारखंड में आन्दोलन को तेज करेंगे. जरुरत पड़ने पर अन्य विपक्षी पार्टियों से भी आन्दोलन को आगे बढाने की अपील की जाएगी. विपक्षी पार्टियों की 17 अक्टूबर को बडकागांव में संकल्प सभा है व 24 अक्टूबर को झारखंड बंद. हम इसमे शरीक तो रहंगे ही हम 21अक्टूबर को किसान महासभा के बैनर से हजारीबाग में धरना देंगे. 1 नवम्बर से 15 नवम्बर तक माले का जत्था पुरे राज्य में रघुवर हटाओं झारखंड बचाओं अभियान चलाएगा. 15 अक्टूबर को बडकागांव में राज्य भर के प्रभावित लोग जाकर रघुवर हटाने का संकल्प लेंगे. 15 नवम्बर के बाद आन्दोलन को और ऊँचाई प्रदान करने के लिए माले योजना बनाकर सड़कों पर उतरेगी.
............................................................जनार्दन प्रसाद
8 अक्टूबर को भाकपा ( माले) की टीम ने बडकागांव का दौरा किया और मृतकों के परिजनों से मुलाक़ात की. टीम में राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचर्या ,पूर्व विधायक विनोद सिंह,राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद,पोलिट ब्यूरो मनोज भक्त,मोहन दत्ता,परमेश्वर महतो, पूरन महतो ,पवन महतो,उस्मान अंसारी,सीताराम सिंह,हिरा गोप,हजारीबाग जिला सचिव पछु राणा, मजदुर नेता बैजनाथ मिस्त्री, जगन्नाथ उरांव देवकीनन्दन बेदिया,भुवनेश्वर बेदिया, AIPF नेता नदीम खान,RYA नेता संदीप जायसवाल,आईसा नेता अखिलेश,हेमलाल महतो,शेख तैयब जानकी शर्मा व मोती समेत कई शामिल थे।इसमें बड़कागांव से नेता राम कुमार भार्गव मिहिर रंजन, बंशी राम, सफदर ,रोहित मेहता व अन्य शामिल थे.
दौरे से निम्नलिखित बातें उभर कर सामने आती है
"1 अक्टूबर पुलिस द्वारा की गयी ह्त्या इरादतन"
1 अक्टूबर को बडकागांव की घटना अंगरेजी राज की याद को ताजा कर दी. रघुवर सरकार की पुलिस जैसे कि दुसरे देश में जाकर हमला कर रही हो उस तरह से अपने ही जनता के साथ व्यवहार की. रात के अँधेरे में जाकर महिलाओं की बर्बरता से पिटाई, प्रताणना सारे सीमाओं को लांघ गई. पुलिस द्वारा लाठी चार्ज शुरू हो गया . इसके बाद हुई पुलिस फायरिंग से 4 लोगों की मौत हो गयी. मृतकों में 3 नाबालिग छात्र हैं और एक मजदूर है.मृतक अभिषेक राय ( उम्र 17 साल ) एवं पवन साव( उम्र 16 साल ) सोनबरसा गाँव के थे रंजन कुमार(उम्र 17 साल ) सिन्दुआरी गाँव के थे और महताब आलम( उम्र 30साल) छेपाखुर्द गाँव के थे. अभिषेक पवन और रंजन छात्र हैं महताब दैनिक मजदुर हैं. मृतक छात्र सुबह टूशन पढने के लिए निकले थे जबकि महताब शौच के लिए गए थें. गाँव के लोगों द्वारा बताया गया कि गोली मृतकों के गले में लगी है. गोली भीड़ को तीतर बीतर करने के लिए नहीं बल्कि मारने के ही नियत से चलाई गयी थी. महताब आलम के परिजनों ने बताया कि जब पुलिस और लोगों के बीच झड़प देखकर वे घबराकर भागने लगे तो उन्हें लगभग 50 फीट की दूरी से पीछे से गोली मार दी गयी. मृतक अभिषेक के परिजनों ने बताया कि वह बस दूर से ही झड़प देख रहा था और उसे गोली मार दी गयी.रंजन कुमार के परिजनों ने बताया कि वह सायकिल से ट्यूशन जा रहा था और उसे गोली मार दी गयी. हालाकि प्रशाशन का कहना है कि 60 के आस पास राउंड गोली फायरिंग हुई है जबकि गाँव के लोगों का कहना है कि 100 से ज्यादा राउंड फायरिंग हुई घायलों को पीट पीट कर मारा गया एक ओर जहाँ घायल सी.ओ के लिए हैलीकौप्टर मंगवाया गया वही दुसरी ओर जो लोग गोली लगने से घायल थें उन्हें पीट पीट कर पुलिस द्वारा मार दिया गया. मृतक पवन कुमार के परिजनों ने बताया कि गोली लगने के बाद पवन नाले में गिर गया. पुलिस ने उसका नाम और घर पूछा और जूतों से लगातार पिटती रही. मृतक की माँ के सामने पीटा गया माँ उसे देखने गयी उन्हें भी पीटकर भगा दिया गया अगर सही समय पर पवन को अस्पताल पहुंचाया गया होता तो जान बच सकती थी
मृतकों के परिजनों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार मृतकों के परिजनों के साथ प्रशाशन द्वारा दुश्मनों जैसा व्यवहार किया गया. जब वे मृतकों की लाश लेने सदर अस्पताल गए तो उनके साथ गाली गलौज किया गया और धमकी दी गयी. मृतकों की लाश को घटना के लगभग 36 घंटे बाद 2 अक्टूबर की शाम को परिजनों को सुपुर्द किया गया. अभी तक उन्हें पोस्ट मार्टम रिपोर्ट नहीं दिया गया है और कहा जा रहा है कि रिपोर्ट 6 महीने बाद मिलेगी. प्रशासन द्वारा मृतकों के परिजनों को मात्र 4 हज़ार की अनुकम्पा राशी दी जा रही है. जबकि कानून यह राशि 20 हजार होनी चाहिए. अपने परिवारजनों की मौत के बाद लोगों में काफी रोष है मेहताब के पिता मोजाम मियाँ ने कहा कि वे चाहते हैं कि सरकार परिवार के बाकी लोगों को भी गोली मार दे. मेहताब शादीसुदा थे उनके तीन बच्चे हैं. मृतकों के परिजनों द्वारा यह स्पष्ट कहा गया कि उन्हें सरकार 2 लाख रुपये कि मुआवाजे की राशि नहीं चाहिए और रघुवर दास इसे अपने पास रखें. वे अपनी आजीविका अपने दम पर चला लेंगे.
"1 अक्टूबर के बाद भी जारी रहा पुलिसिया दमन "
1 अक्टूबर को हुई घटना के बाद भी पुलिसिया दमन जारी रहा. गाँव के लोगों ने बताया कि घटना के बाद दुसरे दिन बाद भी पुलिस आकर पुलिस लोगों से आकर पूछी नारा लगता है धरना करता है और उन्हें भेड़ बकरी की तरह पिटा गया. 2 अक्टूबर को छीपाखुर्द गाँव में मोहमद रफीक के घर में घुस कर उनको और उनके परिवारजनों को रैपिड एक्सन फोर्स के जवानों ने मारा पीटा. गाँव के लोगों की शिकायत थी कि रैफ के जवान साम्प्रदायिक रूप से वयवहार कर रहे थे. वे लोगों कि पीटाई करते हुए पाकिस्तान या कब्रिस्तान बनाने की बात कह रहे थे गाँव में खौफ और दहशत पुलिस का दहशत से कई लोग गाँव छोड़ कर जा चुके हैं जो बचे हैं वे भी दहशत में रह रहे हैं लोगों ने अपने घर की महिलाओं और बच्चों, गाय और अन्य मवेशियों को बाहर भेज दिया है और जो लोग गाँव में बचे हैं वे रात होते ही घर छोड़कर खेत में छुप जाते हैं. उनका कहना है कि आने वाले दिनों में और भी दमन होगा. 6 अक्टूबर की शाम तक पुलिस और रैपिड एल्शन फोर्स गाँव में गश्त करती रही.
"घायलों के प्रति सरकार बेपरवाह"
1 अक्टूबर को हुई पुलिस फायरिंग में 4 लोग घायल हुए हैं. सिन्द्वारी गाँव के अमीत जिन्हें पाँव में गोली लगी है उनका इलाज रिम्स में चल रहा है अन्य तीन गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों का इलाज रांची के ही निजी अस्पतालों में स्वयं परिजनों द्वारा ही किसी तरह से पैसा इकट्ठा करा कर किया जा रहा है और सरकार द्वारा किसी भी तरह की मदद नहीं की जा रही है चौथी बार हुआ पुलिसिया दमन सरकार द्वारा यह पुलिसिया दमन पहली बार नहीं हुआ बल्कि इसके पहले भी तीन बार हो चुका है. इस से पहले 24 जुलाई 2013 को हजारीबाग के केरेडारी ब्लॉक के पगरा गाँव में पुलिस द्वारा गोली चलाने पर एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी और चार घायल हो गए थें. 2015 में भी पुलिस द्वारा गोली चलाई गयी थी जिसमें कई लोग घायल हुए थे.16 मई 2016 बडकागांव के चिरूडीह गाँव में खनन का विरोध करने पर पुलिस द्वारा लोगों को गाँव में घुस घुस कर मारा पीटा गया था. गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बक्सा गया. बूढ़े बच्चे भी दरिंदगी के शिकार हुए.
"अवैध रूप से किया जा रहा है उर्वरक बहुफसलीय जमीन का अधिग्रहण"
बडकागांव की जमीन बेहद उर्वरक बहुफसलीय जमीन है और इसे कृषि के लिहाज से झारखंड की सर्वोत्तम जमीन माना जाता है और यहाँ बारहों महीने धान, गन्ना और विभिन्न तरह की सब्जियां( टमाटर, गोभी इत्यादि) का पैदावार होता है. एन टी पी सी द्वारा लगभग 8000 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का प्रस्ताव है जिस से लगभग 52 गाँव के उजड़ने की संभावना है. गाँव के ज्यादातर लोग मुआवजे के साथ भी अपनी जमीन एन.टी.पी.सी को नहीं देना चाहते. जिन लोगों ने मुआवजा लेकर जमीन दिया भी है तो वह आर्थिक मजबूरी के चलते. सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून ,2013, वनाधिकार कानून और सी.एन.टी एक्ट का उल्लंघन कर जबरन अवैध तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया गया है. पिछले 10 साल से सरकार द्वारा जमीन की बिक्री पर रोक लगा दी गयी है. पैसे की जरुरत होने पर भी रैयत अपनी जमीन अपनी इच्छा से स्वयं नहीं बेच सकते. भूमि अधिग्रहण कानून के तहत ग्राम सभा का आयोजन नहीं किया गया है. एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया था लेकिन वह फर्जी तरीके से बडकागांव से 25 किलोमीटर दूर हजारीबाग सदर में किया गया था . जिन लोगों को मुआवजा मिला भी है तो 5 लाख/ एकड़ के आस पास मुआवजा दिया गया है जबकि भूमि अधिग्रहण कानून के तहत बाजार की कीमत के चार गुना दर से मुआवजा दिया जाना है. बहुफसली जमीन होने की वजह से सिंगुर की जमीन सुप्रीम कोर्ट ने लौटाने का आदेश दिया. लेकिन यहाँ रघुवर सरकार खेती के लिए इतनी उत्तम जमीन को खनन कम्नियों को औने पौने दाम पर बेच रही है खनन कम्पनियों के खिलाफ हैं आरोप एन.टी.पी.सी द्वारा खनन कार्य का ठेका त्रिवेणी अर्थमूवर और सैनिक माइनिंग नाम की दो कंपनियों को दिया गया है. त्रिवेणी कम्पनी ने बिना किसी माप दंड के लोगों को नौकरी पर रखा. शाह कमीशन की रिपोर्ट में त्रिवेणी कम्पनी के खिलाफ ओडिशा में अवैध खनन का आरोप है.
माले नेताओं ने बडकागांव दौरा के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि रघुवर सरकार कि पुलिस अपने ही मतदाताओं के साथ विदेशी जैसा व्यवहार कर रही है. अंग्रेजों की तरह बेवजह उनकी ह्त्या कर रही है. ह्त्या के बाद भी दहशत बनाने के लिए गाँव में घर घर घुसकर गोलियां चला रही है. माले महासचिव ने कहा कि अब रघुवर को झारखंड की सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. उना की घटना के बाद गुजरात के सी एम को जाना पडा था. बडकागांव की घटना के बाद अब रघुवर सरकार को जाना होगा. माले अब पुरे राज्य में “ रघुवर हटाओ, झारखंड बचाओ” की मुहीम चलाएगी. हम वाम पार्टियों को भी इस मुहीम में शामिल कर झारखंड में आन्दोलन को तेज करेंगे. जरुरत पड़ने पर अन्य विपक्षी पार्टियों से भी आन्दोलन को आगे बढाने की अपील की जाएगी. विपक्षी पार्टियों की 17 अक्टूबर को बडकागांव में संकल्प सभा है व 24 अक्टूबर को झारखंड बंद. हम इसमे शरीक तो रहंगे ही हम 21अक्टूबर को किसान महासभा के बैनर से हजारीबाग में धरना देंगे. 1 नवम्बर से 15 नवम्बर तक माले का जत्था पुरे राज्य में रघुवर हटाओं झारखंड बचाओं अभियान चलाएगा. 15 अक्टूबर को बडकागांव में राज्य भर के प्रभावित लोग जाकर रघुवर हटाने का संकल्प लेंगे. 15 नवम्बर के बाद आन्दोलन को और ऊँचाई प्रदान करने के लिए माले योजना बनाकर सड़कों पर उतरेगी.
............................................................जनार्दन प्रसाद
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