Thursday, October 27, 2016

कल्लूरी हटाओ मार्च राजभवन पहुँचा .-कैच न्यूज

कल्लूरी हटाओ मार्च राजभवन पहुँचा .


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राजकुमार सोनी
@CatchHindi | 28 October 2016, 3:07 IST

बस्तर आईजी शिवराम कल्लूरी कहते रहे हैं कि उनके खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, पत्रकार और माओवादी समर्थक एक सोची-समझी साज़िश के तहत मुहिम चलाते हैं.मगर ताड़मेटला आगजनी कांड में सीबीआई की रिपोर्ट के बाद छोटे-बड़े राजनीतिक दल और आदिवासी समाज ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बस्तर में कल्लूरी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर जो मुहिम चल रही है, वह देर-सबेर रमन सरकार की मुसीबत बढ़ सकती है.

बस्तर आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी पर कार्रवाई की मांग राजभवन तक पहुंच गई है. गुरूवार को बस्तर बचाओ संघर्ष समिति ने राजभवन तक मार्च निकालकर उन्हें हटाने की मांग की.

इस मार्च में शामिल कृषि वैज्ञानिक संकेत ठाकुर ने कहा कि बस्तर तीन दशकों से अशांत है. आदिवासियों की जीवनशैली को बहाल करने के लिए त्रिपक्षीय शांति वार्ता शुरू करने की बात की जाती हैं, लेकिन सरकार माओवादियों और स्थानीय आदिवासी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं से बातचीत के लिए तैयार नहीं है.

आदिवासी नेता सोनी सोरी ने कहा कि कल्लूरी ने आज तक किसी माओवादी को ढ़ेर नहीं किया और न ही किसी बड़े माओवादी लीडर को पकड़ सके. बस्तर में आज भी पापाराव, रमन्ना जैसे बड़े माओवादी लीडर सक्रिय हैं लेकिन कल्लूरी और उनकी पुलिस सिर्फ़ भोले-भाले आदिवासियों को ही अपना शिकार बनाती रही है.

सोनी ने आरोप लगाया कि कल्लूरी ने पहले सामाजिक एकता मंच के नाम से गुंडा वाहिनी खोल रखी थी और अब इस गुंडा विंग का नाम 'अग्नि' कर दिया गया है. इस संगठन के लोग जिसे माओवादी मान लेते हैं, कल्लूरी उनकी हत्या करवा देते हैं. सोनी ने कहा है कि वे पूरे बस्तर में पदयात्रा करके कल्लूरी पर कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगी. जल्द ही, राजधानी में भी रैली निकालकर छत्तीसगढ़ बंद किया जाएगा.

कल्लूरी भस्मासुर!

बस्तर में सोनी सोरी की तिरंगा यात्रा के दौरान दूरी बनाकर चलने वाले सर्व आदिवासी समाज ने भी कल्लूरी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संगठन का आरोप है कि कल्लूरी की वजह से बस्तर में तानाशाही हावी हो गई है. सरकार ने आईजी को इतनी छूट दे रखी है कि बस्तर में गृह युद्ध के हालात बन गए हैं. फोर्स भी बगावत कर सकती है.

सर्व आदिवासी समाज से जुड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम और पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने आरोप लगाया कि कल्लूरी किसी संविधान को नहीं मानते. उनका अपना निजी कानून है जिसे वे जेब में रखकर चलते हैं. पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि सरकार ने एक भस्मासुर पैदा कर दिया है. गरीब-आदिवासियों की झोपडिय़ों में आग लगाने वाला यह भस्मासुर जिस दिन सरकार के किले पर आग लगाएगा, उस दिन बहुत देर हो चुकी होगी.

बस्तर पुलिस का एक और झूठ

बस्तर के बुरगुम गांव में दो छात्रों की हत्या के बाद बस्तर के पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने दावा किया था कि उनकी फोर्स ने माओवादियों को मारा है. मगर गुरूवार को बिलासपुर के उच्च न्यायालय में सरकार अपने बयान से पलट गई. सरकार ने कहा कि बुरगुम गांव में छात्रों की मौत अज्ञात कारणों से हुई है और उन्हें मारने वाले भी अज्ञात हैं.

बयान बदलने के बाद प्रदेश कांग्रेस ने फिर हमला बोला है. प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार माओवादी उन्मूलन के नाम फर्जी कहानियां ही गढ़ रही है और कल्लूरी उन फर्जी कहानियों के मास्टर हैं. बच्चों की मौत के मामले में कल्लूरी ने भी कहा था कि उनके जवानों ने माओवादियों को ही ढेर किया है लेकिन अब मुकर रहे हैं.

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