Wednesday, October 5, 2016

जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे -किसान

जान दे देंगे पर जमीन नहीं देंगे -किसान


*कटंगडीह में सैकड़ों की संख्या में धरने पर बैठे प्रभावित किसान.
* अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन .
* नई भूअर्जन नीति के तहत मुआवज़े की मांग .
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रायगढ़ /जब तक हमें नई भूअर्जन नीति के तहत मुआवजा नहीं दिया जाता तब तक हम अपनी जमीनें खाली नहीं करेंगे ,भले ही हमारी ज़ान ही क्यों न चली जायें.
यह बातें घरघोड़ा के कटंगीडीह में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे किसान सीताराम अहीर ने कही .सभी ग्रामीण रेल काँरीडोर प्रभावित क्षेत्र से है और शासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे है .और अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे है .
इनका धरना पिछले चार दिन से जारी है ,किसान  अपनी पांच सूत्र की मांग कर रहे है .अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है  प्रशासन ने
अभी पिछले दिनों  इनकी पकी और खडी फसल बिना किसी मुआवजे के  बुलडोजर से  रोंद दी थी.इससे किसान बहुत आक्रोशित है. अब किसान जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट और कंपलेंट हाईकोर्ट में करने की तैयारी में है.
एजेंट बना है प्रशासन
किसानों को अपना समर्थन दे रहे जन चेतना मंच के सविता रथ और राजेश त्रिपाठी ने कहा कि यह रेल कारीडोर किसानों के लिये नही बल्कि उधोगपतियों के लिये कोयले की ढुलाई के लिये बन रही है . हाल ही में जिस प्रकार प्रशासन ने किसानों की खडी फसल को बुलडोजर से नष्ट कर दिया इससे ही लगता है कि शासन रेलकोरीडोर के ठेकेदार का एजेंट बन गया है .
राजेश त्रिपाठी ने कहा कि पेसा एक्ट क्षेत्र को देखते हुये किसी भी ग्राम सभा का आयोजन नहीं किया गया और न ग्राम सभा से कोई अनुमति भी ली गई है .यह तो नियमों का सरासर उलंघन है. पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में बिना ग्राम सभा के अनुमति के काम किया जा रहा है जो सरासर गैरकानूनी है.
सामाजिक कार्यकर्ता सविता रथ ने कहा कि सरकार और प्रशासन पांचवीं सूची के प्रावधानों का उलंघन कर रहा है ,किसानों की पांच मांग है इन्हें तुरंत पूरा किया जाना चाहिए. यह कैसा विकास है इस क्षेत्र में जो किसान जमीन के मालिक है उनसे बदला लिया जा रहा है ,उनकी फसल को बर्बाद कर दिया गया .
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