Tuesday, October 25, 2016

ताड़मेटला अग्निकांड: बस्तर में पुलिस का विद्रोह, सड़क पर उतरे

ताड़मेटला अग्निकांड: बस्तर में पुलिस का विद्रोह, सड़क पर उतरे

2016-10-25 11:52:18


ताड़मेटला अग्निकांड: बस्तर में पुलिस का विद्रोह, सड़क पर उतरे

जगदलपुर/रायपुर.
 ताड़मेटला अग्निकांड में सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई रिपोर्ट पेश होने के बाद निशाने पर आई बस्तर पुलिस का सोमवार को नया रूप सामने आया। इसके सभी सहायक आरक्षक जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर और कांकेर सड़क पर उतर आए और पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ गुस्सा निकाला। उनका कहना था, घने जंगलों में जान जोखिम में डालकर वे माओवादियों से संघर्ष कर रहे हैं और समाजसेवा के नाम पर कुछ लोग माओवादियों का समर्थन करते हुए जवानों को दोषी ठहरा रहे हैं। 

ऐसी बातों से जवानों को मनोबल गिरता है। पुलिसकर्मियों ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी, मनीष कुंजाम, हिमांशु कुमार, बेला भाटिया, दिल्ली विवि की प्रो. नंदिनी सुंदर के खिलाफ पुतले फूंककर विरोध प्रदर्शन किया। सहायक आरक्षकों ने आंदोलन के दौरान सामाजिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ पर्चे भी बांटे। उधर, बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने पुलिस कर्मियों के आंदोलन को सरकार व अदालत के खिलाफ खुली बगावत बताया और प्रदेश की भाजपा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की।

लोकतंत्र के लिए खतरा
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि इस घटनाक्रम को पुलिस के विद्रोह के तौर पर ही देखा जाना चाहिए। अगर पुलिस के पास किसी व्यक्ति माओवादी अथवा समर्थक बताने के पर्याप्त सबूत हैं तो वह कार्रवाई क्यों नहीं करती। अगर कोई सबूत पुलिस के पास नहीं हैं तो उन्हें माओवादी समर्थक नहीं कहा जा सकता। यह तो पूरे तंत्र को डराने की कोशिश है। एेसी सोच वाले लोगों को सर्विस में रखना ही लोकतंत्र के लिए खतरा है।

ऐसे भड़के सहायक आरक्षक
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की ओर से प्रस्तुत हलफनामे में माना गया कि ताड़मेटला कांड के लिए पुलिस बल जिम्मेदार रहा। हलफनामे के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दंतेवाड़ा में घटना के समय एसएसपी रहे एसआरपी कल्लूरी को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदेश कांग्रेस ने कल्लूरी की गिरफ्तारी की मांग की। रविवार को बस्तर आईजी कल्लूरी ने मीडिया के समक्ष बयान जारी किया। एक दिन बाद ही सहायक आरक्षक सड़कों पर उतर आए।

केंद्र ने लगाई फटकार
केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने दिल्ली में माओवाद उन्मूलन अभियान की समीक्षा के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन पर छत्तीसगढ़ पुलिस को फटकार लगाई है। उन्होंने मुठभेड़ के दौरान बस्तर पुलिस से लगातार हो रही चूक पर जवाब तलब किया और ताड़मेटला कांड की जानकारी मांगी। इस मौके पर मौजूद डीजीपी एएन उपाध्याय और स्पेशल डीजी डीएम अवस्थी बस्तर पुलिस से संपूर्ण मामले की जानकारी लेने की बात कही। गृह सचिव ने बस्तर में पुलिसकर्मियों के आंदोलन पर भी नाराजगी जाहिर की। बस्तर आईजी कल्लूरी भी मौजूद थे।

बस्तर पुलिस का इस तरह से सड़क पर उतरना विद्रोह की श्रेणी माना जा सकता है। पुलिस कानून के मुताबिक अवैध है। इस आचरण के लिए दंड का प्रावधान है। यह इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि यह आंदोलन बस्तर के सभी जिलों में एक साथ हुआ। सभी में प्रदर्शन करने वाले सहायक आरक्षक हैं। इस रवैये से जनता में पुलिस के प्रति अविश्वास की भावना पैदा होती है। सरकार को इसकी तह में जाकर यह पता लगाया जाना चाहिए कि इस विद्रोह के पीछे किसका दिमाग है। उन सभी लोगों को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए, जो आंदोलन में शामिल हुए।

नहीं ली इजाजत
पुलिसकर्मियों ने आंदोलन के लिए किसी तरह की आधिकारिक इजाजत नहीं ली। गृह विभाग के सचिव एवं ओएसडी अरुण देव गौतम ने कहा, पुलिस कर्मियों का आंदोलन करना नियम विरुद्ध है। उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। रिपोर्ट आने पर कार्रवाई होगी।

मुख्यमंत्री बोले, कोर्ट के निर्देशों का पालन होगा
मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने कहा, सीबीआई की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं, उसके मुताबिक काम होगा। जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की बात कही गई है, वे लोग अज्ञात हैं, सीबीआई ने घटना के बाद जांच के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को सौंपा है।

पुलिस एक्ट में धरना, प्रदर्शन, आंदोलन या संगठन बनाने जैसी गतिविधियों को कोई जगह नहीं है। एेसा हुआ है तो यह गलत है। सरकार को नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए

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