Thursday, March 12, 2015

आदिवसियो की जमीन का बंदरबांट करते है कार्पोरेट और सरकार ,बेशर्मी ये की वे विधानसभा में मानते भी है ,लेकिन करते कुछ नहीं ,

आदिवसियो की जमीन का बंदरबांट करते है कार्पोरेट और सरकार ,बेशर्मी ये की  वे विधानसभा में मानते भी है ,लेकिन करते कुछ नहीं ,




आज विधानसभा छत्तीसगढ़  सरकार ने माना  की निजी कंपनिया आदिवासियो की जमीन पे खनन कर रही हैं ,और हजारो एकड़ जमीन गैरआदिवासियो ने फर्जी रूप से आदिवासियों से  हड़प ली है ,बस्तर ,रायगढ़ ,महासमुदं और जांजगीर में ऐसे हजारो प्रकरण सामने आते रहे है , इनके खिलाफ कुछ संगठन कोर्ट भी गए ,लेकिन इनकी खरीदफरोख्त बंद नहीं हुई ,राजस्व मंत्री ने आज लिखित में जबाब दिया की रायगढ़ की 9  तहसील में आदिवासी किसानो से 4929  हेक्टर जमीन  गैरआदिवासियो ने खरीद ली 
रायगढ़ ,पुसौर सारंगगढ़,बरमकेला ,खरसिया ,घरगोड़ा ,तमनार ,लैलूंगा और धरमजयगढ़  में किसानो से बहार के फर्जी आदिवासियों ने भी जमींन  खरीदी , 
मंत्री ने विधान सभा में ये भी बताया की एसईसीएल ,जिंदल पॉवर लिमिटेड ,जिंदल स्टील ,सारडा  इनर्जी ,निको जायसवाल। गोवा  इंडस्ट्रीज जैसी कंपनी ने 16  गॉव  में 406  किसानो  किसानो  की 625 ,190  हेक्टर जमीन पर खनन काम किया  गैरकानूनी हैं ,
ये भी कहा गया की कंपनी अधिग्रहण 500  [अनुमति ] एकड़ पे करती यही लेकिन कब्जा 700  एकड़ पे कर लेती है ,इसी लिए सबसे ज्यादा आवेदन छत्तीसगढ़ में आते है ,यहाँ कागजातों से भी छेड़छाड़ करके जमीनो पे कब्ज़ा करवाया जाता हैं,
यही हल प्रदेश के दूसरे जिलो में भी हो रहा है ,सरलर की बेहरमी यह है की वो विधानसभा में तो मन रही है लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं करती ,क्या कार्पोरेट से मिलीभगत का इससे बड़ा कोई साबुत हो सकता हैं। 

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