Thursday, April 27, 2017

सेना के जवान हमारे दुश्मन नहीं: माओवादी- बीबीसी

सेना के जवान हमारे दुश्मन नहीं: माओवादी

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सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 जवानों के मारे जाने के बाद माओवादियों ने कहा है कि वे हिंसावादी नहीं हैं.
माओवादियों ने मीडिया में आई उन ख़बरों का भी खंडन किया है कि मारे गए जवानों के शवों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई थी या कथित रूप से उनके गुप्तांग काटे गए थे.
सीपीआई माओवादी के दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने गुरुवार को अपने एक बयान में कहा है कि चिंतागुफा सीआरपीएफ के जवानों पर किया गया ताज़ा हमला, 11 मार्च को सुकमा ज़िले के ही भेज्जी में 12 जवानों के मारे जाने की निरंतरता है.
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विकल्प ने कहा, "हम हिंसावादी नहीं हैं, लेकिन सामंती शक्तियों, देसी-विदेशी कॉर्पोरेट घरानों का प्रतिनिधित्व करने वाली केंद्र-राज्य सरकारों द्वारा हर पल किए जा रहे हिंसा के प्रतिरोध में और पीड़ित जनता के पक्ष में खड़े होकर अनिवार्यतः हिंसा को अंजाम देने के लिए हम बाध्य हैं."
माओवादी प्रवक्ता ने सुकमा के ताज़ा हमले को पिछले साल सुकमा में 9 माओवादियों और ओडिशा में कथित रूप से 9 ग्रामीणों समेत 21 माओवादियों की हत्या के जवाब में की गई कार्रवाई बताया है.
माओवादियों ने कहा है कि सुरक्षा बलों के मिशन 2017 को परास्त करने के लिए ही यह हमला किया गया है.
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विकल्प ने अपने बयान में कहा है कि पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के हमलों में मारे गए पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों के शवों के साथ अपमानजनक व्यवहार नहीं करते हैं.
विकल्प ने उन ख़बरों का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि सुकमा के ताज़ा हमलों में मारे गए जवानों के गुप्तांग काट दिए गए थे.
इसके उलट विकल्प ने आरोप लगाया है कि बस्तर में माओवादियों के शवों के साथ पुलिस हमेशा दुर्व्यवहार करती रही है.
विकल्प ने महिला माओवादियों के शवों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो बनाए जाने और उन्हें सोशल मीडिया में प्रसारित करने का भी आरोप लगाया है.
विकल्प ने कहा, "सशस्त्र बलों के जवान व्यक्तिगत तौर पर हमारे दुश्मन नहीं हैं, वर्ग दुश्मन तो कतई नहीं हैं.''
उन्होंने कहा, ''शोषणमूलक राज सत्ता के दमनकारी राज्य मशीनरी के हिस्से के तौर पर जन दमन के औजार के रूप में वे क्रांतिकारी आंदोलन के आगे बढ़ने के रास्ते में प्रत्यक्ष रूप से आड़े आ रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ''पार्टी, पीएलजीए, जनताना सरकारों और जनता पर हमलों को अंजाम दे रहे हैं, इसलिए अनिवार्य रूप से पीएलजीए के हमलों का शिकार बन रहे हैं."
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विकल्प ने सुरक्षाबल के जवानों से अपनी नौकरियां छोड़ कर राज्य के ख़िलाफ़ खड़े होने का आह्वान किया है.
दूसरी तरफ इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि सुरक्षाबल के जवानों के लगातार बढ़ते दबाव के कारण माओवादी बौखला गए हैं. मुख्यमंत्री ने सुकमा को माओवादियों की अंतिम लड़ाई करार दिया है.
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि घात लगाकर हमला करना नक्सलियों की कायरतापूर्ण हरकत है. हमारे बहादुर जवानों का आमने-सामने मुकाबला करने की हिम्मत नक्सलियों में नहीं है.
उन्होंने कहा, "सुरक्षा बलों का दबाव नक्सलियों पर लगातार बढ़ रहा है. इस वजह से वे बौखला गए हैं. केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के इन जवानों ने बस्तर में जनजीवन की सुरक्षा के लिए कर्तव्य के मार्ग पर अपने प्राणों की आहुति दी है. उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी."
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