Sunday, April 16, 2017

17 एवं 18 वर्षीय दलित लड़कियों के साथ सवर्ण जाति के पुरुषों द्वारा सामूहिक बलात्कार एवं आत्महत्या भगेगा, नीमकाथाना, जिला सीकर

राजस्थान के संगठनो द्वारा न्याय की मांग

17 एवं 18 वर्षीय दलित लड़कियों के साथ सवर्ण जाति के पुरुषों द्वारा सामूहिक बलात्कार एवं आत्महत्या
भगेगा, नीमकाथाना, जिला सीकर

जयपुर
14 अप्रैल, 2017

प्रेस विज्ञप्ति

5 अप्रैल, 2017 की सुबह, लालचंद बलाई की दो बेटियां जो BA के प्रथम वर्ष की नीमकाथाना के सरकारी महाविद्यालय में छात्रा थी. उस दिन सुबह से ही अपने घर पर ही थी. उनके पिताजी लालचंद बलाई मिस्त्री का काम करने के लिए नीमकाथाना गए हुए थे. माँ श्रावणी, गाँव के जमींदार भीम सिंह राजपूत के खेत पर गेहूं की कटाई के लिए गईं हुई थी, बड़ी बहन किरन नीमकाथाना के सरकारी कॉलेज में परीक्षक की ड्यूटी पर गयी हुई थी, बड़ा भाई राजेश हरियाणा में मजदूरी करने गया हुआ था, छोटा भाई अक्षय कुमार वर्मा नीमकाथाना काम की तलाश में गया हुआ था. जब वह करीब 10 से 11 बजे के बीच वापस घर आया तो उसने घर के कमरे के दरवाज़े खुले हुए देखे और कमरे के अन्दर से चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी. जब वह कमरे के अन्दर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बहनों के कपडे फटे हुए थे और उसे देखते ही वहां पर उपस्थित तीन  लड़के, विक्रम सिंह, बजरंग सिंह और कान्हा भागने लगे. उनमें से दो भाग निकले, एक को अक्षय ने पकड़ा, वह भी उसको धक्का देते हुए भाग गया. रेणु और पूजा ने अक्षय को चिल्लाते हुए बोला कि इन सभी को छोड़ना मत और इन लोगों ने हमारे साथ गलत काम किया है. वह उन लडको का पीछा करते घर से निकल गया और गाँव के बाहर तक पीछा किया. जब वह लौटा तो पाया कि दोनों बहनें घर पर नहीं हैं. अक्षय उन्हे ढूँढने लगा और उसने आस-पड़ोस में बहुत ढूँढा लेकिन उसे वे कहीं नहीं मिली. जब उनकी मां जमींदार के खेत से 1 बजे दोपहर में आईं तो भाई ने उसे लड़कियों के गायब होने के बारे में बताया. माँ ने भी हर तरफ ढूँढने का प्रयास कर रहे थे.

इसी बीच बड़ी बहिन किरण भी कॉलेज से आ गई. ये लोग मिलकर ढूंढ ही रहे थे और मां जब जमींदार के यहाँ 3:30 बजे तक नहीं पहुंची तो खेत मालिक ने बड़ी बहन किरण को फ़ोन किया और पूछा कि मजदूरी के लिए तुम्हारी मां क्यों नहीं आई है. उसके बाद भीम सिंह ने बताया की दो लड़कियां ट्रेन से कट करकर मर गईं हैं, उसके बाद शाम 5 बजे किरण भागेगा स्टेशन पर गई और स्टेशन मास्टर से इस बारे में बात की. स्टेशन मास्टर ने किरण की पुलिस से बात करवाई जिन्होंने लड़कियों की लाश सामान्य राजकीय चिकित्सालय, नीमकाथाना, में भेजने की बात बताई और पहचान के चिन्ह बताये उस आधार पर किरण ने बाते कि वे मेरी छोटी बहिनें ही हैं. सदर थानाधिकारी ने किरण को कहा कि गाँव के सरपंच को लेकर थाने आ जाओ. किरण उसके बाद सीधा नीमकाथाना के सामुदायिक चिकत्सालय पहुंची वहां बहनों की पहचान कर लौट आई.

अगले दिन सुबह 10 बजे पिताजी लालचंद बलाई, भाई राजेश, अक्षय व अन्य रिश्तेदार नीमकाथाना पुलिस थाना सदर पहुंचे और FIR दर्ज करने बाबत रिपोर्ट पुलिस को दी. पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने से लगातर इंकार करते रहे और परिजनों पर दवाब बनाते रहे कि अस्पताल जाकर पोस्टमार्टम कराओ और लाश ले जाओ लेकिन परिजनों ने FIR दर्ज किये जाने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने कपर अड़े रहे. जब परिजन किसी भी हालात में पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं हुए तो शाम 5 बजे रिपोर्ट दर्ज की. FIR दर्ज होने के बाद परिजनों ने अगले दिन सुबह पोस्टमार्टम कराने की कहकर क्योंकि जिस समुदाय से वे सम्बन्ध रखते हैं उसमें सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है. जब वे अपने घर लौटे ही थे कि थाने से फ़ोन आया कि आप वापस आओ आज ही आपको पोस्टमार्टम कराना होगा, उसके बाद लड़कियों के पिता लालचंद अस्पताल पहुंचे और उसके बाद पोस्टमार्टम किया गया और लड़कियों की लाश परिजनों को सौंप दी. परिजनों पर पुलिस का तुरंत अंतिम संस्कार किये जाने का दवाब था और लाशों को सीधे ही शमशान ले जाया गया. रात 9 से 10 बजे के बीच दोनों बहिनों का का अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार से पहले दोनों बहिनों को घर भी नहीं ले जाया गया. उनकी माँ ने शक्लें भी अंतिम बार नहीं देख पाई. पुलिस ने जिस तत्परता से अंतिम संस्कार करवाया उससे स्पष्ट है की पुलिस लाशों को जल्दी dispose ऑफ करना चाहती थी.

पुलिस की नीयत इससे भी साफ़ थी की FIR दर्ज करते वक्त सिर्फ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 में ही दर्ज की गई. पुलिस ने आरम्भ से ही इसे बलात्कार या यौन शोषण का मसला मानने से इंकार किया क्योंकि प्रथम जाँच अधिकारी से लेकर वर्तमान जाँच अधिकारी तक सभी राजपूत जाति के हैं. यह FIR रेणु और पूजा के भाई अक्षय कुमार वर्मा द्वारा लिखी गई. इस रिपोर्ट में अनुसूचित जाति/जन जाति अत्याचार निवारण की धाराएं नहीं जोड़ी गई और ना ही बलात्कार से सम्बंधित धाराएँ जोड़ी गई और ये तो खतरनाक से खतरनाक से अपराध किया है वे धाराएँ भी नहीं जोड़ी गई इससे साफ़ नजर आता है कि पुलिस अपराध के घटित होने ही स्वीकाने को तैयार थे. FIR दर्ज होने के बाद पुलस ने कोई कार्यवाही नहीं की है किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है जब जाँच अधिकारी पुलिस उपाधीक्ष कुशाल सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि अपराधी मेरे कब्जे में हैं लेकिन जब तक एफएसएल की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक मैं किसी को गिरफ्तार नहीं करूँगा. घटना के बाद से ही परिजनों के ऊपर लगातार दवाब बनाया जा रहा है. पूरे परिवार में गम का माहौल है, सदमें की बजह से लड़कियों के चाचा की दिनांक 13 अप्रेल को हार्ट अटैक से मौत हो गई है.

कार्यकर्ताओं के दवाब के बाद पुलिस ने 10 अप्रेल को अनुसूचित जाति/ जन जाति अत्याचार निवारण, बलात्कार एवं POCSO की  की धाराएँ जोड़ी हैं .

लेकिन आज दिन तक अपराधीयों की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. वे खुलेआम घूम रहे हैं. परिजन पर दबाव बनाया जा रहा है की वे इस मसले को आगे नहीं बढाएं. घर व समाज में इज्ज़त के नाम पर, व बड़ी बेटी का ब्याह के नाम पर आरोपियों के बचाया जा रहा है.

राजस्थान के जन संगठनों की ओर से प्रमुख मांगे:-

1.       इस मामले के जाँच अधिकारी को बदला जाये और जाँच अधिकारी नीमकाथाना और सीकर जिले से अन्य जगह से लगाया जाये.

2.       जिन लोगों ने FIR दर्ज करने में देरी की एवं आवेदन के अनुसार सम्पूर्ण अपराधों की धाराएँ नहीं लगाएँ उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए निलंबित किया जाये और इन पर भारतीय दंड संहिता 166A के तहत मुकदमा दर्ज किया जाये.

3.       दोनों लड़कियों के सामूहिक बलात्कार एवं यौन शोषण के आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाये.

4.       पीड़ित परिवार को सुरक्षा मुहैया कराई जाये क्योंकि परिवार भय के साये में जी रहा है.

5.       पीड़ित परिवार के इन उभरती युवा लड़कियों की मौत से बड़ी आर्थिक क्षति हुई है इसलिए इस परिवार को अनुसूचित जाति/ जन जाति अत्याचार निवारण कानून व POCSO कानून के अनुसार तुरंत मुआवजा दिया जाये.

6.       राजस्थान उच्च न्यायलय द्वारा राजस्थान गवाहों की सुरक्षा योजना के तहत चश्मदीद गवाह अक्षय वर्मा, ओमप्रकाश और किरन को सुरक्षा मुहैया कराई जाये.



राजस्थान के विभिन्न जन संगठनों की ओर से

कविता श्रीवास्तव, भंवर मेघवंशी, कैलाश मीना, राकेश शर्मा, PUCL, राजस्थान
मुकेश निर्वासित, कमल टाक, सुचना एवं रोज़गार अधिकार मंच, राजस्थान
सुमन देवाठिया, आल इंडिया दलित महिला अधिक्रार मंच, राजस्थान
गोपाल वर्मा, सामाजिक न्याय एवं विकास समिति, राजस्थान
निशा सिधु, NFIW, राजस्थान
रेणुका पामेचा, महिला पुनर्वास समूह
ममता जेटली, विविधा महिला आलेखन एवं सन्दर्भ केंद्र,
लक्ष्मी अशोक, शिल्पायन, राजस्थान, सुमित्रा चोपड़ा, कुसुम साईवाल, AIDWA,


संपर्क : Kaliash : 9928136988, कविता 9351562965, Bhanwar: 9571047777, Mukesh: 9468862200

No comments:

Post a Comment