Tuesday, April 11, 2017

यही निज़ाम हैं तुम्हारा . जहाँ एक महिला अपने से हुई ज्यादती बयाँ नहीं कर सकती

यही निज़ाम हैं तुम्हारा .
जहाँ एक  महिला अपने से हुई  ज्यादती बयाँ नहीं कर सकती .
हवश की शिकार लड़की  को कहना पडे की नहीं मेरे साथ कुछ नही हुआ .
धिक्कार  है  ऐसी सरकार और उसके पहरेदार हमलावर सेना को .
सुनो कान खोलकर , तुम्हारे अत्याचार तुम्हे ले  ही डूबेंगे एक दिन .
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  वैसे तो पूरा बस्तर ही   दोनों तरफ के हमलो का केंद्र रहे है ,लेकिन  अभी हम   सुकमा के  चिंतागुफा और आसपास के गाँव   की बात कर लेते है .

तुमने  जो घाव लगाये है वह कभी न भरने वाले हैं .

लेकिन  जिन्हें तुम लोकतंत्र विरोधी ,हथियार बंद ,कानून का न मानने वाला और विकास विरोधी कहते हो उन्होंने कभी लडकियों के साथ बेअदवी नहीं की  या हाथ नहीं उठाया और न हमारे घरो को जलाया न हमे उजाड़ा .
उनकी लड़ाई होगी तुमसे और तुम्हारी व्यवस्था से .उसमें हमें क्यों शिकार की तरह मार रहे हो ,

लेकिन तुम तो लोकतान्त्रिक तरीके से चुने हुए और संविधान की कसम खा कर आये हो हम पर राज करने .

घटनाएँ  तो हजारो है ,अभी दो चार दिन पहले  की ही  तो बात है .
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भेज्जी में उन लोगो के लगायें एम्बुश में दस ग्यारह  सैनिको ने अपने प्राण गंवाये ,सबको दुख हुआ ,हमको भी हुआ था उनके मरने का . कुछ लडके हमारे पासपडोस , अपने ही समुदाय और रिश्तेदार भी थे
हम भी नहीं उबरे  थे उनकी मौत से .
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घटना के कुछ दिन बाद ही गोरका केम्प और थाने से बडी संख्या में सैनिक आ धमके हमारे गाँव कोट्टाचेरू ,कोमिगताग ,और बेंदरापेडार  में ,कोई शादी घर में था तो कोई सामूहिक पूजापाठ में लगा था कि सबको बुरी तरह मारना पीटन शुरू कर दिया ,किसी का हाथ टूटा कोई इतना गंभीर हो गया की उठने बैठने योग्य नहीं रह गया, एक महिला को तो नंगा करके पीटा इन कायर पुलिस वालों ने .लगतार बार बार पुलिस के लोग गाँव आते मारपीट करते और डराते धमकाते और अगले दिन के आने के लिये चले जाते .
तीन गाँव के लोग गाँव छोड़कर आंध्र भाग गए .25 लोगो को पकडकर गोरका कैम्प ले गये , कुछ लोगो को  कोंटा के अस्पताल में भरी भी किया .जिन 25 को पकड ले गये थे उनमे से सात को वही रख लिया ,बहुत भागदौड़ के बाद उन्हें माओवादी बता दिय गया।
इस पूरी घटना की जानकारी सोनी दीदी और कुछ अखबारो की दी ,कुछ लोग हमारे गाँव आये भी और खबर मी छापी .

इस हादसे से हम अभी उभरे नही थे कि पटेलपारा के एक घर में सुबह चार बजे तीन सैनिक हमारे घर में घुस गये , मेरे पिता को रायफल की नौक पर कर लिया ,मेरी भाभी और माँ को विरोध करने पर मारपीट कर घर से बाहर भगा दिया , तीन सिपाहियों ने मेरे साथ दुष्कर्म किया मेरी उम्र अभी 14 या 15 वरस की ही होगी
तीनो और बांकी सिपाही वापस चले गये .
सुबह किसी ने नंदनी सुन्दर और किसी अख़बार को फोन से दी भी ,इससे सब जगह मालुम भी पडा.
पुलिस के आला अधिकारियों ने बिना किसी  प्रारंभिक जाँच के तुरंत कह दिया की बलात्कार की बात झूठी है यह सब माओवादियों का प्रचार है .
अगले दिन पुलिस के भारी प्रतिरोध के बाबजूद कुछ पत्रकार और सीपीआई के महिला सगठनों के लोग गाँव भी पहुचे. उनके कहने और सलाह पर तीसरे दिन सुकमा एसपी के पास रिपोर्ट लिखवाने की कवायद शुरू हुई .
पुलिस बार बार एक कहानी प्रसारित करते और अखबारों में छपाते रहे की लडकी का भाई  माओवादी है और इनामी भी , सभी  अखबारों ने बलात्कार के आरोप के साथ मेरे भाई के माओवादी होंने की खबर प्रमुखता से बाक्स में छापी भी .
यह इस तरह पेश किया जा रहा था मानो उसका माओवादी होना मेरे साथ बलात्कार करने के लिए पुलिस को  जस्टीफ़ाई करता हो.
तीन दिन तक मेरा मेडिकल नहीं कराय गया.
तीसरे दिन मेरे माँ पिता को पुलिस ने पकड कर बिठा लिया या अपहरण कर लिया . उन्हें इस बात का दबाब बनाया गया की में इस  बात से इंकार कर दूँ की मेरे साथ किसी सुरक्षा कर्मी ने दुष्कर्म किया है ,मुझे किसी पत्रकार या संघटन के लोगो से मिलने नहीं दिया गया ,
 मुझे और मेरे पूरे परिवार को बहुत डराया धमकाया गया ,कभी भी किसी को भी नक्सली बता कर मुठभेड़ बता कर मारने की धमकी दी गई,,दो बार मेरा मेडीकल कराया गया और रिपोर्ट में लिखा गया कि मेरे साथ दुष्कर्म ही नहीं हुआ .
सब थोडा कानून की पडताल कर ली जाये .
कभी भी एजेंसी  बिना जाँच के  बलात्कार पर अपनी राय नही दे सकता ,सिर्फ कोर्ट ही तय करेगा की महिला के साथ बलात्कार हुआ है या नहीं ,खासकर जब पुलिस आरोपी हो लेकिन  यहाँ तो पहले दिन
से ही  पुलिस के आलाधिकारी कह रहे थे कि यह झूठा आरोप है ,  और  यह सब माओवादियों के इशारे पर पुलिस को बदनाम करने के उद्देश्य से किया जा रहा है .
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आखिर में हुआ यही कि  मुझे यह कहना ही पडा कि मेरे साथ कुछ नही हुआ .
पुलिस तब भी चारों तरफ थी और आज भी वही  पुलिस चारों तरफ है ,,जिसने  पहले दिन ही तय कर दिया था
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तो जो आज मेरे साथ हुआ हमारे गाँव में और आसपास हो रहा है वह किसी से छिपा नहीं है , सब जानते है आप भी जानते है .सबने कहा ,अखबारों ने लिखा ,मानव अधिकार आयोग ने कहा,महिलाआयोग से लेकर अनुसूचित जन जाती आयोग ने भी लिखा और तो और सरकार द्वारा नियुक्त जाँच योग ने भी बलात्कार की पुष्टि की ,और भी बहुत से स्वतंत्र जाँच कमेटियों ने रिपोर्ट दी ,केन्द्र  सरकार की सीबीआई तक ने लिखा की समुहिक बलात्कार ,आगजनी और हत्यायें पुलिस ने की है .कौर्ट तो बार बार पुलिस को कटघरे  में खड़ा करता ही रहता है.
लेकिन आज तक यह अत्याचार आपके  विमर्श का केन्द्र नही बन सका .
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कोन हम कौन उन कोन  तुम यह तो आपको ही  तय करना हैं
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विभिन्न अखबारों से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर नोट
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क्यू

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