Thursday, August 27, 2015

गुजरात का आर्थिक वैभव और हार्दिक पटेल का उद्भव -- नन्द कश्यप



गुजरात का आर्थिक वैभव और हार्दिक पटेल का उद्भव 



नन्द कश्यप 





हार्दिक पटेल को लेकर कितने कयास लगाए जा रहे हैं सोशल मीडिया में, एक फोटो अरविन्द केजरीवाल के गुजरात दौरे में ड्राइवर की, एक फोटो प्रवीण तोगड़िया के साथ पिस्तौल लिए हुए वह सब तो ठीक है परंतु इसमें पाटीदार समाज या गुजरात के कथित विकास जिसको बेचकर नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने उसकी सचाई या झूठ को नकारने का काम करते हैं यदि उसके साथ विष्लेषण न हो।जिस विकसित गुजरात की मारकेटिंग की गई उसकी शासकीय आंकड़ों से ही परख कर ली जाए ।अपने जीवन यापन के लिए प्रति व्यक्ति प्रति माह खर्च गुजरात1536 ₹वहीं राष्ट्रीय औसत1430₹है।भारतीय सांख्यिकी संस्थान फरवरी 2015 report.इसका मतलब हुआ वाईब्रेन्ट गुजरात में भी एक व्यक्ति 50₹में जीता है।

 आज से कुछ साल पहले यानि नई आर्थिक नीतियों से पहले गुजरात पंजाब पश्चिम उप्र दक्षिण के राज्यों में कृषि आधारित कुटीर उद्योग जनता में सम्पन्नता के प्रतीक थे। नई आर्थिक नीति के बाद 2006 में विश्व बैंक ने 2025 तक दुनिया की आधी आबादी के शहरीकरण का लक्ष्य लिया जिसके तहत भारत को शहरीकरण के लिए अच्छी खासी रकम का वादा किया गया। इस काम में चिदम्बरम साहेब के खासमखास मुख्य मंत्रियों में मोदी जी भी थे। इसी शहरीकरण की मुहिम ने गुजरात सहित देश के अनेक हिस्सों मे कृषि संकट को जन्म दिया किसानों की आत्महत्याओं में इजाफा हुआ।

 खैर गुजरात में भी पिछले वर्षो में ग्रामीण खाद्य प्रसंस्करण एवं आजीविका यथा दर्ज़ी, खादी, हेंडलूम, सिलाई कढ़ाई, गुड़, अचार, पापड़, दूध प्रसंस्करण जैसे उद्योगों का स्थान बड़े पूंजीपतियों ने ले लिया किसानों की जमीन जबरदस्ती उद्योगों को दिया। गांवों की छोटी छोटी आमदनियां बंद होने का असर धीरे धीरे व्यापक होते जा रहा है। उससे उपजे असंतोष और गुस्से को या तो बेहतर विकल्प मिले अन्यथा बस एक तीली ही पर्याप्त है।वैसे आजकल अपने सभी मित्रों को एक सवाल करता हूँ, योरोप में औद्योगिक क्रांति के बाद वो सारी दुनिया को अपना उपनिवेश बना उसका२०० वर्ष तक शोषण किया।

 आज उनके पास उस लूट का वैभव है।सारी तकनीकी विशेषज्ञता है। आबादी वृद्धि दर भी कम है फिर भी वो बार बार मंदी और आर्थिक संकट में क्यों फंसता है? फिर हम क्यों उन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर अपने ,ही देश में दो और तीन भारत बना रहे। असल सवाल यही है और इस मामले में सबसे ज्यादा झूठे, कपटी निकले आरएसएस और भाजपा जो स्वदेशी को ठीक वैसे ही ओढे रहे जैसा भेड़िया गाय की खाल ओढ़ धोखा देता है।


 सत्ता में आने के बाद मोदी विश्व बैंक की चाकरी कर रहे और इस
बार अमेरिका जाकर अपने मालिक को बतलाऐंगे मैं शहरीकरण के लिए executive order निकाल दिया हूँ। अब किसान विरोध करेगा तो उससे कानूनन जबरजस्ती जमीन छीन ली जायेगी और उसे सस्ते में बिल्डरों को दे दी जाएगी ताकि आपका शहरीकरण प्रोजेक्ट सफल हो सक

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