* बरगुम हत्याकांड
* नाबालिग स्कूली बच्चों के पिता ने हाईकोर्ट में आवेदन देकर कहा कि पुलिस के अधिकारी दे रहे है अंजाम भुगतने की धमकी .
* बच्चों के पिता को एक सप्ताह तक बंधक बनाकर याचिका वापस लेने के लिये दबाव डाल रही है पुलिस.
* महेन्द्र कर्मा के बेटे दीपक कर्मा और पीड़ित परिवार ने बताया पत्रकारों को बिलासपुर में.
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अमूमन दिवगंत महेन्द्र कर्मा और उनका परिवार पुलिस को सहयोग करने के रूप में जाना जाता रहा है ,और सलवा जुडुम को स्थापित करने वाले परिवार के पुत्र दीपक कर्मा और उनकी मां विधायक देवती कर्मा आज उसी पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगा रहे है ,और पुलिस की प्रताड़ना की शिकायत लेकर पत्रकारों के सामने अपनी बात कहनी पड रही है .
आज बिलासपुर में प्रेसकांफ्रेस को संबोधित किया .पिछले माह दंतेवाड़ा के बरगुम थाना क्षेत्र में नक्सली बताकर दो स्कूली छात्रों के पिता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में आवेदन देकर बताया कि बस्तर पुलिस उन्हें लगातार परेशान किया जा रहा है और उनके साथ मारपीट की जा रही है ,पिछले एक सप्ताह उन्हें बंधक बनाकर रखा गया .
आवेदन में कहा गया कि पुलिस के आला अधिकारी और बस्तर के आई जी शिवराम प्रसाद कल्लूरी ,एसपी फर्जी मुठभेड़ की जांच और कार्यवाही के लिये दायर याचिका को वापस लेने के लिये दबाब बनाया जा रहा है .केस वापस नहीं लेने की स्थिति में अंजाम भुगतने की धमकी दी जा रही है.
आज दोनों मृतक बच्चों के पिता माइकू और नडगू कांग्रेस के नेता दीपक कर्मा के साथ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट पहुचे.,यहाँ उन्होंने कोर्ट को बताया कि बस्तर के आई जी और एसपी के निर्देश पर टीआई ने उन्हें घर से उठा लिया और एक सिपाही दिलीप सेठिया के घर पर सात दिन तक उन्हें बंधक बनाकर रखा गया ,इस दौरान उनकी बेदर्दी से मारपीट की गई और कहा कि हम लोग केस वापस लेलें. उन्होंने धमकी दी की नहीं तो अंजाम ठीक नहीं होगा. एक सप्ताह उन्हें बंधक बना कर छोड़ दिया गया.
* छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शासन और मुख्य सचिव को दिया नोटिस .
हाईकोर्ट में पहले से इस मामले की सुनवाई चल रही है ,कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के मुख्यसचिव और राज्य शाशन को नोटिस देकर तीन सप्ताह में घटना की समस्त जानकारी और ब्यौरा प्रस्तुत करने का आदेश दिया .
* कर्मा परिवार और पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने की मांग.
कोर्ट को दिये आवेदन पत्र में याचिका कर्ताओं ने स्वयं और परिवार को मदद कर रही विधायक देवती कर्मा के परिवार को सुरक्षा देने की मांग की है .॥
जैसा की मालुम है कि 23 सितंबर को कथित फर्जी मुठभेड़ में आदिवासी किसान के दो नाबालिग स्कूली बच्चों की पुलिस ने हत्या कर दी थी. दोनों बच्चों के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है और कहा है कि दोनों बच्चे निरपराध थे और स्कूल में पढते थे जो अपनी मौसी के घर एक निधन की सूचना देने गये थे ,जिन्हें घर से खींच कर जंगल में जाकर गोली मार दी और कहा कि वे नक्सली थे.
मारने वाले पुलिस कर्मीयों को एक लाख का ईनाम की भी घोषणा की ओर बाद में वही पुलिस कोर्ट में आकर पलट गई और कहा कि हमें नही मालुम इन्हें किसने मारा.
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23.11.2016
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