14 साल की सजा काटने के बाद भी नहीं हुआ रिहा तो कैदी ने खुद का गला रेता
13 .11.16
पत्रिका
बिलासपुर. सेन्ट्रल जेल बिलासपुर में एक सजायाफ्ता कैदी ने शनिवार सुबह हंसिया से अपने ही गले पर वार कर आत्महत्या का प्रयास किया। गंभीर हालत में जेल प्रबंधन ने उसे उपचार के लिए सिम्स में भर्ती कराया। आजीवन कारवास की सजा काट रहा बंदी 14 वर्ष पूरे होने के बाद भी रिहाई नहीं होने से क्षुब्ध था।
जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा के ग्राम डभरा में रहने वाला देवलाल पिता अमरनाथ ( 40) 26 अप्रैल 2002 को पत्नी की हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ था। वर्ष 2003 में उसे दोष सिद्ध होने पर न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सजा आदेश के बाद से वह सेन्ट्रल जेल में बंद था। जेल प्रबंधन ने उसे किचन गोदाम का इंचार्ज नियुक्त किया था। पिछले 15 साल से जेल में बंद देवलाल शनिवार सुबह सुबह साढ़े 6 बजे रोज की तरह गोदाम पहुंचा। उसके साथ पांच अन्य कैदी राशन का सामान लेने पहुंचे थे।
इसी बीच उसने गोदाम में रखी हंसिया से अपने गले पर हमला कर आत्महत्या का प्रयास किया। घटना के बाद जेल में हड़कंप मच गया। बंदियों ने घटना की सूचना जेल प्रहरियों को दी। घटना की सूचना मिलते ही जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा और सहायक उपजेल अधीक्षक एनके शर्मा मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने उसे उपचार के लिए तुरंग सिम्स भेज दिया। गंभीर हालत में सिम्स पहुंचने के बाद डाक्टरों ने उसका अपरेशन किया और सर्जिकल आईसीयू में भर्ती किया गया। डाक्टरों के अनुसार बंदी की हालत खतरे से बाहर है।
एक साल से था परेशान
सिम्स में बंदी की सुरक्षा के लिए तैनात दो प्रहरियों ने बताया कि देवलाल पिछले 1 साल से परेशान था। बंदियों और प्रहरियों से वह खुद की रिहाई के संबंध में जानकारी लेता था। जेल में 14 सल पूरे होने के बाद एक साल अधिक जेल में बंदी रहने की बात से मानसिक तनाव झेल रहा था।
छोड़ नहीं सकते हो फांसी पर लटका दें
सिम्स में भर्ती देवलाल ने बताया कि वह 14 साल की सजा काट चुका है। पिछले एक साल से वह जेल में है। उसके बात जेल दाखिल हुए आजीवन कारवास के 14 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। जेल प्रबंधन से कई बार सजा पूरी होने का हवाला देकर रिहाई की गुहार लगा चुका है, लेकिन अधिकारी फरियाद का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। कैदी ने कहा कि सजा काटने के बाद भी जेल में रखने से अच्छा है कि उसे फांसी पर लटका दिया जाए।
केन्द्रीय जेल बिलासपुर के अधीक्षक एसएस तिग्गा ने कहा कि सजायाफ्ता कैदी ने हंसिया से गला काटकर आत्महत्या का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारवास के कैदियों की रिहाई पर प्रतिबंध लगाया था। इस कारण उसे सजा काटने के बाद भी नहीं छोड़ गया है। उसकी रिहाई के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
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बिलासपुर. सेन्ट्रल जेल बिलासपुर में एक सजायाफ्ता कैदी ने शनिवार सुबह हंसिया से अपने ही गले पर वार कर आत्महत्या का प्रयास किया। गंभीर हालत में जेल प्रबंधन ने उसे उपचार के लिए सिम्स में भर्ती कराया। आजीवन कारवास की सजा काट रहा बंदी 14 वर्ष पूरे होने के बाद भी रिहाई नहीं होने से क्षुब्ध था।
जानकारी के अनुसार जांजगीर-चांपा के ग्राम डभरा में रहने वाला देवलाल पिता अमरनाथ ( 40) 26 अप्रैल 2002 को पत्नी की हत्या के मामले में गिरफ्तार हुआ था। वर्ष 2003 में उसे दोष सिद्ध होने पर न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सजा आदेश के बाद से वह सेन्ट्रल जेल में बंद था। जेल प्रबंधन ने उसे किचन गोदाम का इंचार्ज नियुक्त किया था। पिछले 15 साल से जेल में बंद देवलाल शनिवार सुबह सुबह साढ़े 6 बजे रोज की तरह गोदाम पहुंचा। उसके साथ पांच अन्य कैदी राशन का सामान लेने पहुंचे थे।
इसी बीच उसने गोदाम में रखी हंसिया से अपने गले पर हमला कर आत्महत्या का प्रयास किया। घटना के बाद जेल में हड़कंप मच गया। बंदियों ने घटना की सूचना जेल प्रहरियों को दी। घटना की सूचना मिलते ही जेल अधीक्षक एसएस तिग्गा और सहायक उपजेल अधीक्षक एनके शर्मा मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने उसे उपचार के लिए तुरंग सिम्स भेज दिया। गंभीर हालत में सिम्स पहुंचने के बाद डाक्टरों ने उसका अपरेशन किया और सर्जिकल आईसीयू में भर्ती किया गया। डाक्टरों के अनुसार बंदी की हालत खतरे से बाहर है।
एक साल से था परेशान
सिम्स में बंदी की सुरक्षा के लिए तैनात दो प्रहरियों ने बताया कि देवलाल पिछले 1 साल से परेशान था। बंदियों और प्रहरियों से वह खुद की रिहाई के संबंध में जानकारी लेता था। जेल में 14 सल पूरे होने के बाद एक साल अधिक जेल में बंदी रहने की बात से मानसिक तनाव झेल रहा था।
छोड़ नहीं सकते हो फांसी पर लटका दें
सिम्स में भर्ती देवलाल ने बताया कि वह 14 साल की सजा काट चुका है। पिछले एक साल से वह जेल में है। उसके बात जेल दाखिल हुए आजीवन कारवास के 14 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। जेल प्रबंधन से कई बार सजा पूरी होने का हवाला देकर रिहाई की गुहार लगा चुका है, लेकिन अधिकारी फरियाद का कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। कैदी ने कहा कि सजा काटने के बाद भी जेल में रखने से अच्छा है कि उसे फांसी पर लटका दिया जाए।
केन्द्रीय जेल बिलासपुर के अधीक्षक एसएस तिग्गा ने कहा कि सजायाफ्ता कैदी ने हंसिया से गला काटकर आत्महत्या का प्रयास किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारवास के कैदियों की रिहाई पर प्रतिबंध लगाया था। इस कारण उसे सजा काटने के बाद भी नहीं छोड़ गया है। उसकी रिहाई के लिए राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।
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