संयुक्त घोषणा
बस्तर में लोकतंत्र बहाली के लिये राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की बैठक
आदिवासियों के घर जलाने वालों को दंडित करने के बजाय उजागर करने वालों पर सरकार का निशाना
रायपुर/16 नंवबर 2016। बैठक में प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के साथ ही जनतांत्रिक आंदोलनों पर हमले की मुहिम का कड़ा विरोध करते हुये सर्वसम्मति से एक संयुक्त घोषणा पत्र स्वीकर किया गया। इसे प्रदेश के राज्यपाल को भेजकर उनसे हस्तक्षेप की मांग की जायेगी। बैठक में 21 नवंबर को बस्तर में लोकतंत्र की बहाली के मुद्दों को लेकर धरना का भी निर्णय लिया गया।
आज रायपुर में राजातालाब के सीपीआईएम के दफ्तर में पूर्व मंत्री अरविंद नेताम की अध्यक्षता में बस्तर में लोकतंत्र बहाली के लिये राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की बैठक हुयी जिसमें संयुक्त घोषणा जारी की गयी। बैठक का संचालन सीपीएम नेता धर्मराज महापात्र ने किया। बैठक में कांग्रेस के शैलेश नितिन त्रिवेदी, सीपीआईएम के धर्मराज महापात्र, एम.के. नंदी, ए.के. लाल, सीपीआई के विनोद सोनी, आप के संकेत ठाकुर, जेडीयु के मनमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला, नदी घाटी मार्चा के गौतम बंदोपाध्याय उपस्थित थे। राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि ‘‘छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के राज में जनतंत्र पर हो रहे हमले विशेषकर बस्तर में माओवाद से निपटने के नाम पर राज्य प्रायोजित हिंसा व बस्तर आईजी कल्लूरी के नेतृत्व में राजनैतिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, आम आदिवासियों, महिलाओं, बच्चों, आम नागरिकों, अल्पसंख्यकों पर जारी दमनचक्र की हम तीव्र शब्दों में भत्र्सना करते है।
यह चिंता का विषय है कि, बस्तर को जनतांत्रिक दमन की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया गया है और उसका मूल मकसद आदिवासियों को उजाड़कर बस्तर के आदिवासी अंचल में मौजूद संसाधनों को निजी कार्पोरेट पूंजी की लूट के लिये उपलब्ध कराना है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की ताड़मेटला अग्निकांड पर राज्य सरकार और बस्तर आईजी कल्लूरी की भूमिका पर प्रत्यक्ष टिप्पणी के बावजूद राज्य सरकार दोषियों पर उचित कार्यवाही कर आदिवासियों के घरों को जलाने वालों को दंडित करने की बजाय इस घटना को उजागर करने वालों को ही निशाना बनाने की कोशिश कर रही है।
हम सभी राजनैतिक दल व विभिन्न जनसंगठनों के लोग बस्तर में जारी अप्रजातांत्रिक दमनचक्रों को तत्काल रोकने आदिवासियों का उत्पीड़न बंद करने आदिवासियों पर सांस्कृतिक हमले बंद करने, प्रो. नंदिनी सुंदर, प्रो. अर्चना प्रसाद, माकपा नेता संजय पराते, माकपा नेता मनीष कुंजाम, विनीत तिवारी व अन्य निर्दोष ग्रामीणों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने व बस्तर में राज्य प्रायोजित हत्या व हिंसात्मक मुहिम पर रोक लगाने की मांग करते है। हम सभ्ी लोग बस्तर में माओवादी हिंसा की भी कठोर शब्दों में निंदा करते है।
हम बस्तर में शांति स्थापित करने के लिये लोकतंत्र की बहाली और राजनैतिक प्रक्रिया प्रारंभ करने की मांग करते हैं।’’
बैठक में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल से बात कर जानकारी दी कि कांग्रेस के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बस्तर के मामले में स्थगन प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया है।
धर्मराज महापात्र
सदस्य प्रदेश सचिव मंडल सीपीआईएम
मो. 94252-05198
बस्तर में लोकतंत्र बहाली के लिये राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की बैठक
आदिवासियों के घर जलाने वालों को दंडित करने के बजाय उजागर करने वालों पर सरकार का निशाना
रायपुर/16 नंवबर 2016। बैठक में प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के साथ ही जनतांत्रिक आंदोलनों पर हमले की मुहिम का कड़ा विरोध करते हुये सर्वसम्मति से एक संयुक्त घोषणा पत्र स्वीकर किया गया। इसे प्रदेश के राज्यपाल को भेजकर उनसे हस्तक्षेप की मांग की जायेगी। बैठक में 21 नवंबर को बस्तर में लोकतंत्र की बहाली के मुद्दों को लेकर धरना का भी निर्णय लिया गया।
आज रायपुर में राजातालाब के सीपीआईएम के दफ्तर में पूर्व मंत्री अरविंद नेताम की अध्यक्षता में बस्तर में लोकतंत्र बहाली के लिये राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की बैठक हुयी जिसमें संयुक्त घोषणा जारी की गयी। बैठक का संचालन सीपीएम नेता धर्मराज महापात्र ने किया। बैठक में कांग्रेस के शैलेश नितिन त्रिवेदी, सीपीआईएम के धर्मराज महापात्र, एम.के. नंदी, ए.के. लाल, सीपीआई के विनोद सोनी, आप के संकेत ठाकुर, जेडीयु के मनमोहन अग्रवाल, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला, नदी घाटी मार्चा के गौतम बंदोपाध्याय उपस्थित थे। राजनैतिक दलों और जनसंगठनों की संयुक्त घोषणा में कहा गया है कि ‘‘छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के राज में जनतंत्र पर हो रहे हमले विशेषकर बस्तर में माओवाद से निपटने के नाम पर राज्य प्रायोजित हिंसा व बस्तर आईजी कल्लूरी के नेतृत्व में राजनैतिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, पत्रकारों, आम आदिवासियों, महिलाओं, बच्चों, आम नागरिकों, अल्पसंख्यकों पर जारी दमनचक्र की हम तीव्र शब्दों में भत्र्सना करते है।
यह चिंता का विषय है कि, बस्तर को जनतांत्रिक दमन की प्रयोगशाला में तब्दील कर दिया गया है और उसका मूल मकसद आदिवासियों को उजाड़कर बस्तर के आदिवासी अंचल में मौजूद संसाधनों को निजी कार्पोरेट पूंजी की लूट के लिये उपलब्ध कराना है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय की ताड़मेटला अग्निकांड पर राज्य सरकार और बस्तर आईजी कल्लूरी की भूमिका पर प्रत्यक्ष टिप्पणी के बावजूद राज्य सरकार दोषियों पर उचित कार्यवाही कर आदिवासियों के घरों को जलाने वालों को दंडित करने की बजाय इस घटना को उजागर करने वालों को ही निशाना बनाने की कोशिश कर रही है।
हम सभी राजनैतिक दल व विभिन्न जनसंगठनों के लोग बस्तर में जारी अप्रजातांत्रिक दमनचक्रों को तत्काल रोकने आदिवासियों का उत्पीड़न बंद करने आदिवासियों पर सांस्कृतिक हमले बंद करने, प्रो. नंदिनी सुंदर, प्रो. अर्चना प्रसाद, माकपा नेता संजय पराते, माकपा नेता मनीष कुंजाम, विनीत तिवारी व अन्य निर्दोष ग्रामीणों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने व बस्तर में राज्य प्रायोजित हत्या व हिंसात्मक मुहिम पर रोक लगाने की मांग करते है। हम सभ्ी लोग बस्तर में माओवादी हिंसा की भी कठोर शब्दों में निंदा करते है।
हम बस्तर में शांति स्थापित करने के लिये लोकतंत्र की बहाली और राजनैतिक प्रक्रिया प्रारंभ करने की मांग करते हैं।’’
बैठक में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल से बात कर जानकारी दी कि कांग्रेस के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बस्तर के मामले में स्थगन प्रस्ताव विधानसभा में लाया गया है।
धर्मराज महापात्र
सदस्य प्रदेश सचिव मंडल सीपीआईएम
मो. 94252-05198
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