दोहन पूरा, संरक्षण अधूरा
Full exploitation, conservation incomplete
11/14/2014 1:56:25 AM
रायगढ़। जिले के उद्योगों में एक ओर भू-गर्भ जल का दोहन जमकर किया जा रहा है। दूसरी ओर जल संरक्षण के मामले में उदासीनता बरती जा रही है। इस बात की गवाही टास्क फोर्स टीम की ओर से की गई जांच के बाद सामने आ रही है। हलांकि यह जांच 2011 में की गई थी। जिसमें खुद टीम ने कहा है कि कई उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को संपादित नहीं किया गया है।
ऎसे में जब हाल में संबंधित अधिकारियों से उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मामले के विषय में पूछ ताछ की गई तो किसी अधिकारी ने कहा कि यह उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। जब कोई शिकायत आती है तो जांच कर ली जाती है। वहीं किसी अधिकारी ने कहा कि इस विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि संपादित नहीं किया जा रहा है तो इसके लिए उद्योगों को निर्देश दिया जाएगा।
ऎसे में उद्योग और अधिकारी रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कितना सचेत हैं इस बात की पोल खुल जाती है। अब टास्क फोर्स की ओर से भूगर्भ जल दोहन के लिए की गई जांच के रिपोर्ट की बात करें तो सूचना के अधिकार के तहत निकली इस जानकारी में 17 उद्योगों में टास्क फोर्स टीम की ओर से जांच की गई थी। ऎसे में केवल 3 उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को संपादित किए जाने की बात कही गई है। जबकि 14 उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग कार्य संपादित नहीं था। ऎसे में विभाग ने दोबारा इस मामले की जांच नहीं की। न तो इसके लिए कोई कार्रवाई की।
यहां नहीं हुआ काम
रायगढ़ अनविभाग में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों में जब जांच की गई। तो रूपेश स्टील, सुनील इस्पात, एनआर इस्पात, महामाया रोलिंग, रायगढ़ इस्पात, चंद्रहासिनी रोलिंग मिल, अभिषेक रोलिंग मिल, गायत्री रोलिंग मिल, साकंभरी स्टील, मां मंगला इस्पात, शिव शक्ति, आरआर एनर्जी, इंडस एनर्जी महापल्ली, इंडस एनर्जी कोटमार का नाम शामिल है।
इनके यहां काम पूरा
जांच टीम को केवल तीन उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य संपादित होना पाया है। जिसमें एमएसपी मनवापाली, एमएसपी जामगांव और जेएसपीएल का नाम शामिल है। तीन साल पहले हुई जांच के बाद दोबारा अधिकारियों ने इसकी सुध तक नहीं ली है।
ऎसे में जब हाल में संबंधित अधिकारियों से उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के मामले के विषय में पूछ ताछ की गई तो किसी अधिकारी ने कहा कि यह उनके कार्यक्षेत्र में नहीं आता है। जब कोई शिकायत आती है तो जांच कर ली जाती है। वहीं किसी अधिकारी ने कहा कि इस विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि संपादित नहीं किया जा रहा है तो इसके लिए उद्योगों को निर्देश दिया जाएगा।
ऎसे में उद्योग और अधिकारी रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए कितना सचेत हैं इस बात की पोल खुल जाती है। अब टास्क फोर्स की ओर से भूगर्भ जल दोहन के लिए की गई जांच के रिपोर्ट की बात करें तो सूचना के अधिकार के तहत निकली इस जानकारी में 17 उद्योगों में टास्क फोर्स टीम की ओर से जांच की गई थी। ऎसे में केवल 3 उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को संपादित किए जाने की बात कही गई है। जबकि 14 उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग कार्य संपादित नहीं था। ऎसे में विभाग ने दोबारा इस मामले की जांच नहीं की। न तो इसके लिए कोई कार्रवाई की।
यहां नहीं हुआ काम
रायगढ़ अनविभाग में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों में जब जांच की गई। तो रूपेश स्टील, सुनील इस्पात, एनआर इस्पात, महामाया रोलिंग, रायगढ़ इस्पात, चंद्रहासिनी रोलिंग मिल, अभिषेक रोलिंग मिल, गायत्री रोलिंग मिल, साकंभरी स्टील, मां मंगला इस्पात, शिव शक्ति, आरआर एनर्जी, इंडस एनर्जी महापल्ली, इंडस एनर्जी कोटमार का नाम शामिल है।
इनके यहां काम पूरा
जांच टीम को केवल तीन उद्योगों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य संपादित होना पाया है। जिसमें एमएसपी मनवापाली, एमएसपी जामगांव और जेएसपीएल का नाम शामिल है। तीन साल पहले हुई जांच के बाद दोबारा अधिकारियों ने इसकी सुध तक नहीं ली है।
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