400 दुष्कर्म पीडिताओं को सालों से नहीं मिली प्रतिकर राशि
The amount of compensation has not been 400 misdemeanor Peeditaon
11/13/2014 2:24:50 AM
मनोज सिंह
रायपुर। प्रदेश की 400 दुष्कर्म पीडिताओ को सालों से प्रतिकर राशि नहीं मिली है। पीडिताओं की पहचान न कर पाना इसकी वजह है। इससे जेल में बंद दुष्कर्मियों की करीब तीन करोड़ रूपए पारिश्रमिक बैंक खातों में डंप है। गौरतलब है कि सजायाफ्ता दुष्कर्मियों की पारिश्रामिक की 50 फीसदी राशि पीडिताओं को प्रतिकर राशि के रूप में दी जानी है।
यह है व्यवस्था
सजायाफ्ता दुष्कर्मी को परिश्रमिक की आधी रकम पीडिता को देनी होती है। आधी रकम की एक तिहाई वह अपने पास रख सकता है। एक तिहाई घर भेज सकता है और एक तिहाई रिहाई के समय उसे दी जाती है। पारिश्रमिक की राशि पीडिता को हर तीसरे माह देने की व्यवस्था है। इसे चेक द्वारा थानों के माध्यम से पीडितों तक पहुंचाया जाता है। सत्यापन के बाद ही पीडिता को रकम दी जाती है। अधिकतर पीडिताओं की शादी होने या फिर निवास स्थान छोड़ने से इनकी पहचान नहीं हो पा रही है। राज्य के 27 जिलों में 582 रेप के आरोपियों को सजा हो चुकी है। 884 आरोपियों के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
लाखों रूपए होती है कमाईजेलों में सजा काट रहे कुशल कैदी को 30 और अकुशल को 25 रूपए रोजाना पारिश्रमिक मिलता है। कैदी एक माह में बीस दिन काम करता है। यानी एक माह में 500 रूपए। इस तरह से एक साल में 6 हजार रूपए परिश्रमिक मिलती है। दुष्कर्म के आरोपी को अधिकतम 20 साल सजा होती है। इस तरह पूरी सजावधि में एक कैदी 1 लाख 20 हजार रूपए की कमाई करता है।
पहचान की समस्या
दुष्कर्म के मामलों में पीडिताओं और उनके पते की पहचान न होने की वजह से प्रतिकर राशि नहीं दी गई है। हालांकि अभी पीडितों की जांच संबंधित जिले की पुलिस से कराई जा रही है।
केके गुप्ता डीआईजी जेल
रायपुर। प्रदेश की 400 दुष्कर्म पीडिताओ को सालों से प्रतिकर राशि नहीं मिली है। पीडिताओं की पहचान न कर पाना इसकी वजह है। इससे जेल में बंद दुष्कर्मियों की करीब तीन करोड़ रूपए पारिश्रमिक बैंक खातों में डंप है। गौरतलब है कि सजायाफ्ता दुष्कर्मियों की पारिश्रामिक की 50 फीसदी राशि पीडिताओं को प्रतिकर राशि के रूप में दी जानी है।
यह है व्यवस्था
सजायाफ्ता दुष्कर्मी को परिश्रमिक की आधी रकम पीडिता को देनी होती है। आधी रकम की एक तिहाई वह अपने पास रख सकता है। एक तिहाई घर भेज सकता है और एक तिहाई रिहाई के समय उसे दी जाती है। पारिश्रमिक की राशि पीडिता को हर तीसरे माह देने की व्यवस्था है। इसे चेक द्वारा थानों के माध्यम से पीडितों तक पहुंचाया जाता है। सत्यापन के बाद ही पीडिता को रकम दी जाती है। अधिकतर पीडिताओं की शादी होने या फिर निवास स्थान छोड़ने से इनकी पहचान नहीं हो पा रही है। राज्य के 27 जिलों में 582 रेप के आरोपियों को सजा हो चुकी है। 884 आरोपियों के मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं।
लाखों रूपए होती है कमाईजेलों में सजा काट रहे कुशल कैदी को 30 और अकुशल को 25 रूपए रोजाना पारिश्रमिक मिलता है। कैदी एक माह में बीस दिन काम करता है। यानी एक माह में 500 रूपए। इस तरह से एक साल में 6 हजार रूपए परिश्रमिक मिलती है। दुष्कर्म के आरोपी को अधिकतम 20 साल सजा होती है। इस तरह पूरी सजावधि में एक कैदी 1 लाख 20 हजार रूपए की कमाई करता है।
पहचान की समस्या
दुष्कर्म के मामलों में पीडिताओं और उनके पते की पहचान न होने की वजह से प्रतिकर राशि नहीं दी गई है। हालांकि अभी पीडितों की जांच संबंधित जिले की पुलिस से कराई जा रही है।
केके गुप्ता डीआईजी जेल
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