नसबंदी से मौत पर हाईकोर्ट गंभीर, राज्य शासन से जवाब मांगा
High court issues notice to State government
11/13/2014 8:56:28 AM
बिलासपुर। नसबंदी ऑपरेशन के बाद महिलाओं की लगातार मौतों को हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मामला मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। जस्टिस टीपी शर्मा, इंदरसिंह उबोवेजा की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के बाद केंद्र, राज्य शासन व मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने इस मामले की पड़ताल के लिए न्यायमित्र भी नियुक्त किए हैं। कोर्ट ने शासन से मौत का कारण पूछा है। यह सवाल भी किया है कि रोकथाम क्यों नहीं हो पा रही है? कोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही महिलाओं को हर संभव इलाज उपलब्ध कराने और जरूरत पर अन्य अस्पताल भेजने का आदेश दिया।
शहर के लगे हुए ग्राम पेंडारी में शनिवार को हुए नसबंदी ऑपरेशन के बाद सोमवार से महिलाओं की मौत का सिलसिला शुरू हुआ जो थम नहीं रहा है। बुधवार की दोपहर को रुटीन सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने लगभग 12.30 बजे इस प्रकरण की आफिस रेफरेंस के तौर पर सुनवाई शुरू की। हाईकोर्ट में राज्य शासन की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और आशुतोष सिंह कछवाहा को कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में शासन द्वारा की गई इलाज की व्यवस्था, मौत की वजह, शासन रोकथाम क्यों नहीं कर पा रहा है, इस पर विस्तृत रिपोर्ट 10 दिन में प्रस्तुत करें।
कोर्ट को तथ्यों की जानकारी देंगे न्यायमित्र
कोर्ट ने इस मामले में सही तथ्य एकत्रित करने और कोर्ट को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए वकील सलीम काजी और सुनीता जैन को न्यायमित्र भी नियुक्त किया है। दोनों न्यायमित्र पीडि़त महिलाओं के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास, उनको उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं सहित अन्य पूरी जानकारी कोर्ट को देंगे। साथ ही वे शासन द्वारा दिए गए जवाब और रिपोर्ट की स्क्रूटनी भी करेंगे।
कोर्ट ने की टिप्पणी
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने टिप्पणी की है कि प्रदेश में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। कोर्ट ने मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कई लोगों के आंखों की रोशनी जाने, कुछ की मौत और गर्भाशय कांड का उल्लेख किया। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की बदतर हालत और मरीजों की मौत पर चिंता भी जताई।
कोर्ट ने इस मामले की पड़ताल के लिए न्यायमित्र भी नियुक्त किए हैं। कोर्ट ने शासन से मौत का कारण पूछा है। यह सवाल भी किया है कि रोकथाम क्यों नहीं हो पा रही है? कोर्ट ने अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही महिलाओं को हर संभव इलाज उपलब्ध कराने और जरूरत पर अन्य अस्पताल भेजने का आदेश दिया।
शहर के लगे हुए ग्राम पेंडारी में शनिवार को हुए नसबंदी ऑपरेशन के बाद सोमवार से महिलाओं की मौत का सिलसिला शुरू हुआ जो थम नहीं रहा है। बुधवार की दोपहर को रुटीन सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने लगभग 12.30 बजे इस प्रकरण की आफिस रेफरेंस के तौर पर सुनवाई शुरू की। हाईकोर्ट में राज्य शासन की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत और आशुतोष सिंह कछवाहा को कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले में शासन द्वारा की गई इलाज की व्यवस्था, मौत की वजह, शासन रोकथाम क्यों नहीं कर पा रहा है, इस पर विस्तृत रिपोर्ट 10 दिन में प्रस्तुत करें।
कोर्ट को तथ्यों की जानकारी देंगे न्यायमित्र
कोर्ट ने इस मामले में सही तथ्य एकत्रित करने और कोर्ट को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए वकील सलीम काजी और सुनीता जैन को न्यायमित्र भी नियुक्त किया है। दोनों न्यायमित्र पीडि़त महिलाओं के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास, उनको उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं सहित अन्य पूरी जानकारी कोर्ट को देंगे। साथ ही वे शासन द्वारा दिए गए जवाब और रिपोर्ट की स्क्रूटनी भी करेंगे।
कोर्ट ने की टिप्पणी
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने टिप्पणी की है कि प्रदेश में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। कोर्ट ने मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद कई लोगों के आंखों की रोशनी जाने, कुछ की मौत और गर्भाशय कांड का उल्लेख किया। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग की बदतर हालत और मरीजों की मौत पर चिंता भी जताई।
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