मलेरिया से 7 बाद ,दो और बच्चे ने गंवाई जान
Two more children lost their lives
11/13/2014 2:24:58 AM
जगदलपुर। बस्तर में मलेरिया को लेकर हाइअलर्ट के बावजूद मेकाज में ब्रेन मलेरिया से अब तक सात मौत हो चुकी है। बुधवार को दो बच्चों की ब्रेन मलेरिया के चलते मौत हुई। इसमें ओडिशा के कोटपाड़ इलाके से लाए गए एक दो माह का दुधमुहा मासूम भी शामिल है।
बच्चें को मलेरिया के साथ निमोनिया भी था। बयानार बालक आश्रम से आए विष्णु नाम के छात्र ने भी उपचार के दौरान आखिरकार दम तोड़ दिया। उसे पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर रख गया था। उसकी देर रात सांसे थम गई। इधर डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों को दिए जाने वाले मलेरिया की दवाओं का असर कम हो रहा है।
फेलसीफे गया कि फैलसीफेरम मेलेरिया बस्तर में बुहुत ही घातक साबित हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता न होने के कारण लोग इसके शिकार हो रहे हैं। वही पुरानी दवाओं का सेवन करने के बाद मरीजों को आराम मिल जाता है, इसके बाद ये लोग अस्पताल नहीं आते हैं। जबकी शरीर में मलेरिया के कीटाणु जिंदा होते हैं और तेजी से इसका असर 24 से 48 घंटे में दुबारा दिखता है। इस दौरान उन्हें संभलने का मौका नहीं मिलाता है। बच्चों में प्रतिरोधकता क्षमता कम होने से इसका असर ज्यादा दिखता है और मलेरिया ब्रेन तक पहुंच जाता है।
नहीं है इंजेक्शन
डॉक्टरों के मुताबिक मलेरिया पीडित गंभीर मरीजों पर दवाओं का आसर नही हो रहा है। इन मरीजों को इंजेक्शन की जरूरत है। मेकॉज में ना आईबी डोज है और न ही आईएम डोज । इसके अलावा जो इंजेक्शन इन पीडितों के लिए कारगर बताया जा रहा है, वो अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। पैरासिटामॉल और पेंटोसिलिट इंजेक्शन जब डॉक्टर लिखते हंै तो वह उपलब्ध नही हो पाता है। ऎसी स्थिति में मरीजों के तीमारदारों के सामने आर्थिक संकट भी आड़े आती है। उन्हे बाहर से इंजेक्शन की व्यवस्था करना पड़ता है।
स्वस्थ्य विभाग का दावा
बस्तर जिले में स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि सिर्फ जिले में दो मौते हुई है। सीएमओ देवेंद्र नाग का कहना है कि सातों ब्लाकों का के बीएमओ का निर्देशित कर दिया गया है। दोबारा से स्लाइड बनाने के आदेश के दिए गए हैं। नानगुर ब्लॉक पर विशेष्ा नजर रखी जा रही है। छह सदस्यी टीम का एक पैनल तैयार किया गया है। जरूरत पड़ने पर इसे गांव में भेजा जाएग
बच्चें को मलेरिया के साथ निमोनिया भी था। बयानार बालक आश्रम से आए विष्णु नाम के छात्र ने भी उपचार के दौरान आखिरकार दम तोड़ दिया। उसे पिछले चार दिनों से वेंटिलेटर पर रख गया था। उसकी देर रात सांसे थम गई। इधर डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों को दिए जाने वाले मलेरिया की दवाओं का असर कम हो रहा है।
फेलसीफे गया कि फैलसीफेरम मेलेरिया बस्तर में बुहुत ही घातक साबित हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता न होने के कारण लोग इसके शिकार हो रहे हैं। वही पुरानी दवाओं का सेवन करने के बाद मरीजों को आराम मिल जाता है, इसके बाद ये लोग अस्पताल नहीं आते हैं। जबकी शरीर में मलेरिया के कीटाणु जिंदा होते हैं और तेजी से इसका असर 24 से 48 घंटे में दुबारा दिखता है। इस दौरान उन्हें संभलने का मौका नहीं मिलाता है। बच्चों में प्रतिरोधकता क्षमता कम होने से इसका असर ज्यादा दिखता है और मलेरिया ब्रेन तक पहुंच जाता है।
नहीं है इंजेक्शन
डॉक्टरों के मुताबिक मलेरिया पीडित गंभीर मरीजों पर दवाओं का आसर नही हो रहा है। इन मरीजों को इंजेक्शन की जरूरत है। मेकॉज में ना आईबी डोज है और न ही आईएम डोज । इसके अलावा जो इंजेक्शन इन पीडितों के लिए कारगर बताया जा रहा है, वो अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। पैरासिटामॉल और पेंटोसिलिट इंजेक्शन जब डॉक्टर लिखते हंै तो वह उपलब्ध नही हो पाता है। ऎसी स्थिति में मरीजों के तीमारदारों के सामने आर्थिक संकट भी आड़े आती है। उन्हे बाहर से इंजेक्शन की व्यवस्था करना पड़ता है।
स्वस्थ्य विभाग का दावा
बस्तर जिले में स्वास्थ्य विभाग दावा कर रहा है कि सिर्फ जिले में दो मौते हुई है। सीएमओ देवेंद्र नाग का कहना है कि सातों ब्लाकों का के बीएमओ का निर्देशित कर दिया गया है। दोबारा से स्लाइड बनाने के आदेश के दिए गए हैं। नानगुर ब्लॉक पर विशेष्ा नजर रखी जा रही है। छह सदस्यी टीम का एक पैनल तैयार किया गया है। जरूरत पड़ने पर इसे गांव में भेजा जाएग
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