नसबंदी बनी नासूर! अब तक 14 महिलाओं की मौत, 72 अस्पताल में भर्ती
Bilaspur Sterilisation botch-up: 13 women dead
11/12/2014 8:13:58 AM
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के पेंडारी गांव में बीते शनिवार सरकारी कार्यक्रम के तहत नसबंदी कराने वाली 83 महिलाओं में से 11 की सोमवार रात मौत हो गई जबकि 72 अभी भी अपोलो और सिस्म अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। इस बेहद गंभीर मामले में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नेमीचंद जैन ट्रस्ट अस्पताल के चार डॉक्टरों को निलंबित कर दिया जबकि ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर आरके गुप्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश दिया, साथ ही प्रदेश के स्वास्थ्य संचालक कमलप्रीत सिंह को पद से हटा दिया गया।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमन सिंह से पूरे मामले में ठोस कार्रवाई करने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि जिस अस्पताल में ये नसबंदी ऑपरेशन किए गए, वो चार माह से बंद था।
ये है मामला
बीते शनिवार को सरकारी परिवार नियोजन योजना के तहत नेमीचंद्र जैन अस्पताल में 83 महिलाओं की नसबंदी की गई थी। डॉक्टर गुप्ता ने ये ऑपरेशन महज तीन घंटे में ही कर दिए थे। ऑपरेशन के बाद अस्पताल में भर्ती महिलाओं में इंफेक्शन की शिकायत सामने आई। उनकी तबीयत बिगड़ती गई और सोमवार रात एक साथ सात महिलाओं ने दम तोड़ दिया। मंगलवार सुबह तक मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त दवा, औजार, ओटी का कल्चर टेस्ट, ब्लड सैंपल सहित कई जांच रिपोर्ट भेजी गई है। एक माह में जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
मुआवजा राशि बढ़ा दी : परिवार नियोजन कार्यक्रम की गाइडलाइन के मुताबिक नसबंदी के दौरान यदि किसी की मौत होती है तो उसे दो लाख रूपए क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने इस राशि को बढ़ाकर मृतका के परिवार को चार लाख व उपचाराधीन महिलाओं को 50 हजार रूपए देने की घोषणा की।
सबूत मिटा दिए : पेंडारी स्थित नेमीचंद जैन ट्रस्ट के अस्पताल से दोपहर में ही घटना से सम्बंधित सारे सबूत नष्ट कर दिए गए। ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त दवाइयों और अन्य सामग्री को एकत्र करके अस्पताल के पीछे जला दिया गया। सोमवार रात जिस ऑपेरशन थियेटर को सील कर दिया गया था, उसे मंगलवार सुबह अचानक खोलकर सामग्री ले जाई जा चुकी थी।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रमन सिंह से पूरे मामले में ठोस कार्रवाई करने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि जिस अस्पताल में ये नसबंदी ऑपरेशन किए गए, वो चार माह से बंद था।
ये है मामला
बीते शनिवार को सरकारी परिवार नियोजन योजना के तहत नेमीचंद्र जैन अस्पताल में 83 महिलाओं की नसबंदी की गई थी। डॉक्टर गुप्ता ने ये ऑपरेशन महज तीन घंटे में ही कर दिए थे। ऑपरेशन के बाद अस्पताल में भर्ती महिलाओं में इंफेक्शन की शिकायत सामने आई। उनकी तबीयत बिगड़ती गई और सोमवार रात एक साथ सात महिलाओं ने दम तोड़ दिया। मंगलवार सुबह तक मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 11 हो गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है। ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त दवा, औजार, ओटी का कल्चर टेस्ट, ब्लड सैंपल सहित कई जांच रिपोर्ट भेजी गई है। एक माह में जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
मुआवजा राशि बढ़ा दी : परिवार नियोजन कार्यक्रम की गाइडलाइन के मुताबिक नसबंदी के दौरान यदि किसी की मौत होती है तो उसे दो लाख रूपए क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान है। बुधवार को मुख्यमंत्री ने इस राशि को बढ़ाकर मृतका के परिवार को चार लाख व उपचाराधीन महिलाओं को 50 हजार रूपए देने की घोषणा की।
सबूत मिटा दिए : पेंडारी स्थित नेमीचंद जैन ट्रस्ट के अस्पताल से दोपहर में ही घटना से सम्बंधित सारे सबूत नष्ट कर दिए गए। ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त दवाइयों और अन्य सामग्री को एकत्र करके अस्पताल के पीछे जला दिया गया। सोमवार रात जिस ऑपेरशन थियेटर को सील कर दिया गया था, उसे मंगलवार सुबह अचानक खोलकर सामग्री ले जाई जा चुकी थी।
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