Saturday, August 20, 2016

जहां फहरता था नक्सलियों का काला झण्डा, वहां सोनी सोढ़ी ने फहराया तिरंगा
राजकुमार सोनी
( पत्रिका)

जगदलपुर. नक्सलियों के गढ़ गोमपाड़ में जहां कभी नक्सलियों का काला झण्डा फहरता था वहां 15 अगस्त को पहली बार तिरंगा लहराया। आप नेत्री सोनी सोढ़ी 180 किमी की तिरंगा यात्रा के बाद सोमवार को गोमपाड़ पहुंची। यहां सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में सोढ़ी ने ध्वजारोहण किया।

सोढ़ी ने अपनी यात्रा को बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे सरकार और पुलिस के ज्यादती के खिलाफत का लोकतांत्रिक विरोध बताया। सोढ़ी ने कहा, इस गांव की मड़कामी हिड़मे को पुलिस जवानों ने अनाचार के बाद हत्या कर दी और उसे नक्सली करार दिया।

इस दौरान वह लगातार गांव आने की कोशिश करती रही लेकिन पुलिस उन्हें इस गांव में आने से रोकती रही। आखिरकार मजबूरन उन्हें तिरंगा लेकर यात्रा करनी पड़ी और आखिरकार वह इस गांव तक पहुंच कर तिरंगा फहराने में सफल हो सकी।

ग्रामीणों ने लगाए वंदे मातरम के नारे
सोढ़ी के साथ ग्रामीणों ने भारत माता की जय, वंदे मातरम के नारे लगाए। ग्रामीणों ने कहा, उन्हें पहली बार महसूस हुआ, वे भी इस अखण्ड भारत का हिस्सा हैं। उनके गांव में पहली बार तिरंगे को लहराता देख ग्रामीण गौरवान्वित महसूस करते रहे।

संविधान और मौलिक अधिकारों की समझाइश
यात्रा के दौरान सोढ़ी करीब एक दर्जन गांव में पड़ाव डाला। वहां ग्रामीणों को संविधान का महत्व समझाते हुए मौलिक अधिकारों से वाकिफ कराया। सोढ़ी ने कहा, आदिवासी अपने अधिकारों को लेकर जागरुक रहेेंगे तो उनकी आवाज दबाना आसान नहीं होगा।

हुर्रे के बच्चे को गोद में लेकर शुरू की थी यात्रा
सोढ़ी ने 9 अगस्त को आदिवासी दिवस पर दंतेवाड़ा में अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण कर अपनी यात्रा शुरू की थी। यात्रा की शुरूआत में वह आदिवासी महिला हुर्रे के बच्चे को गोद में लिए हुए थी। एक हाथ में तिरंगा और एक हाथ में संविधान लेकर उन्होंने यह यात्रा की। उनकी इस यात्रा को देश भर के सोशलिस्ट और मीडिया पर्सन ने समर्थन दिया था।

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