Thursday, August 25, 2016

छत्तीसगढ़ और उडीसा के लोगों में मतभेद पैदा करने का राजनैतिक षडयंत्र .

* महानदी जोडती हैं तोड़ती नहीं
* उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के जनसंगठनों की सारंगगढ में  गहन चर्चा.
*महानदी को लेकर राजनीति बंद की जाये.
* महानदी बचाओ यात्रा और जन चर्चा के लिये लिये गये विभिन्न निर्णय
*छत्तीसगढ़ और उडीसा के लोगों में मतभेद पैदा करने का  राजनैतिक षडयंत्र .
*नदी और उसके पानी पर पहला ह़क किसानों और रहवासियों का है न कि उधोगों का.
* कारपोरेट के लिये काम कर रहीं हैं दोनों राज्य सरकारें.
आयोजन इंटेक रायगढ़  सारंगढ़ चेप्टर एवं संबलपुर उड़ीसा चेप्टर के तत्वावधान में .
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छत्तीसगढ़ और पश्चिमी उड़ीसा की जीवन रेखा महानदी को लेकर  सारंगढ में गंभीर चर्चा की गई, चर्चा मेंरायपुर ,बिलासपुर ,भुवनेश्वर ,संबलपुर,बरमकेला ,सरिया ,सांकरा ,कोसीर ,चंन्द्रपुर  , नदी गांव ,बालपुर , दुर्ग , भिलाई , तुमगांव, सुन्दरगढ, डभरा ,भुवनेश्वर  पोरथ आदि के सामाजिक संगठन शामिल हुये लगभग दो सौ लोगों की उपस्थिति  में  विभिन्न निर्णय लिये गये.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ल ने कहा कि दोनों राज्य सरकारें गलत तत्थों को बताकर जनता को गुमराह कर रहे है. उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक करें कि कितना पानी उधोगपति को देने का अनुबंध किया है .
महानदी सहित नदियों को बचाने, बने बांधों द्वारा हुए विस्थापन, नदियों के पानी का औद्योगिक उपयोग, खासकर पानी निगलने एवं धुआँ उगलने वाले तापविद्युत गृहों से हो रहे नुकसान एवं सामाजिक तनाव पर सार्थक चर्चा हुई।
 वक्ताओं ने महानदी के पानी को लेकर हो रही निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा दोनों प्रदेश की जनता के बीच वैमनस्य फैलाने की तीखी आलोचना किया।
लिंग राज ने हीराकुंड बांध तक पास्को के पाईपलाईन का विरोध और किसानों को पानी देने के सवाल पर चालीस हजार किसानों के साथ किए आंदोलन के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जगह जगह लोगों के बीच सभा करें, उन तक साहित्य पहुंचाया जाए, जैसा कि हमने अपने आंदोलन के समय पुस्तिका बांटी थी।
संबलपुर उड़ीसा के मोहन्ती ने कहा कि पश्चिम उड़ीसा का सबंध छत्तीसगढ़ की संस्कृती ,कला और  परंपराओं से जुडा है . इन दोनों राज्य की जनता के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए. हमें ध्यान रखना चाहिए कि दोनों राज्यों के  आने वाली पीढ़ियों की विरासत पर राजनीति करने का हम विरोध करते है .
दोनों सरकारें  पानी से आम आदमी और किसानों को  दूर रखना चाहती है .

छत्तीसगढ़ चैप्टर के संयोजक ललित सुरजन ने कहा कि दोनों राज्य के सांस्कृतिक मेल को बिगाड़ने की कोशिश हो रही है ,यह माहौल में तनाव पैदा करके नहीं होगा, सामाजिक और अन्य  संगठनों की जिम्मेदारी है कि एसा माहौल तैयार करें जिससे दोनों राज्य सरकार शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करें और जरूरत हो तो केंद्र सरकार को चर्चा में शामिल किया जायें.
सभा के सुचारू संचालन के लिये बने अध्यक्ष मंडल में सर्व श्री ललित सुरजन, महेन्द्र कुमार मिश्र, लिंग राज, सुदर्शन दास,महंत रामसुंदर दास शामिल थे.
अंत में सभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव में दस सदस्यीय कोर कमेटी बनाने, दोनों प्रदेशों की राज्य सरकारों को ज्ञापन देने, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अविलंब बात करने अनुरोध, पानी पर हुए अध्ययन के आधार पर विभिन्न जगहों पर बैठक करने ,यात्रा की तैयारियों के लिए उड़ीसा में एक बैठक करने आदि प्रस्ताव पारित किए गए। पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन श्री परिवेष मिश्रा ने किया.
आयोजन में प्रमुख रूप से महंत श्याम सुन्दर दास, पूर्व सांसद पुष्पा देवी ,परिवेश मिश्रा ,सतीश जायसवाल, कुलिशा मिश्रा ,महेन्द्र कुमार ,आनन्द मिश्रा,नंद कश्यप, डा. लाखन सिंह, गणेश कछवाहा ,और पचास गाँव से आये करीब दो सौ लोग उपस्थित थे।
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