Saturday, August 20, 2016



महानदी जल विवाद पर की जा रही राजनीति की निंदा की गई.

ganesh kachhwah

ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के जनसंगठनो एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रबुद्ध नागरिकों ने महानदी और केलो नदी के जल विवाद पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए दोनों सरकारों द्वारा की जा रही राजनीति की कड़े शब्दों में निंदा की है।
छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के आमजन एवं किसान एक हैं उनमें कोई भेद नहीं है।दोनों सरकार की गलत नीतियों से परेशान व संकट में हैं।सरकार को आम जनता और किसानो की चिंता नहीं है वे तो औद्योगिक घरानों के लिए चिंतित हैं।

चेतनशील नागरिक मंच ओड़िशा एवं जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ छत्तीसगढ़ के जनसंगठनो,सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं प्रबुद्ध नागरिकों ने संयुक्त रूप से ओड़िशा व छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि वे अपने अपने राज्य की जलनीति बनाए और जल की स्थिति,संरक्षण एवं उपयोग के संदर्भ में एक श्वेत पत्र जारी करे।जल प्रकृति की अनुपम देन है।जिस पर समाज का सामूहिक अधिकार है।इसे झेत्र,भाषा,जाति,धर्म व सम्प्रदाय में नहीं बांटा जा सकता है।जल पर प्राथमिक व मौलिक अधिकार जनता का है ।लेकिन सरकार इसकी अनदेखी कर औद्योगिक घरानों को जल के अंधाधुंध दोहन की प्राथमिकता दे रही है।जिसकी वजह से पानी का संकट गहराता जा रहा है।एक तरफ पानी की उपलब्धता का संकट दूसरी तरफ उद्योगों के अवशिष्ट एवं रसायन से जल प्रदूषण का खतरा भी बढ़ रहा है।

आंकड़े बतला रहे हैं कि दोनो सरकारे नदी एवं जलस्रोतों की झमता से अधिक पानी उद्योगों को देने के लिए एमओयु हस्ताक्षर किये हुए हैं।असली समस्या यह है कि पानी कहाँ से आए? ये सारे विवाद इन्हीं के हितों की रक्षा के लिए है आम जनता और किसानों के हितों के लिए नहीं है।

जनसंगठनो ने ओड़िशा और छत्तीसगढ़ की जनता और किसानों से अपील की है कि वे किसी भी राजनीतिक साजिश का हिस्सा न बने।अपने सामाजिक सौहार्दता की रक्षा करते हुए सरकारों को जनहित में जल नीति बनाने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए।इसके लिए जनचेतना अभियान चलाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

चेतना शील नागरिक मंच ओड़िशा एवं
जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा रायगढ छत्तीसगढ़ 

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