Saturday, June 3, 2017

सालभर में बस्तर के नक्सली इलाकों तक पहुंच जाएगा बस्तर नेट


Published: Sat, 03 Jun 2017 08:03 PM (IST) | Updated: Sat, 03 Jun 2017 08:07 PM (IST)
By: Editorial Team
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी बस्तर नेट परियोजना पर काम शुरू हो चुका है। 60 करोड़ की इस परियोजना में बस्तर के सातों जिलों में डिजिटल हाइवे का निर्माण किया जाएगा। इसके तहत बस्तर में 836 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाया जाएगा, जिससे सुदूर नक्सल इलाकों और घने जंगलों तक कनेक्टिविटी की समस्या खत्म हो जाएगी।
बस्तर नेट योजना का भूमिपूजन 1 अप्रैल को जगदलपुर में मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने किया था। एक महीने के भीतर ही चिप्स के अफसरों ने इस योजना की सभी औपचारिकताएं पूरी कर टेंडर फाइनल कर दिया और काम शुरू करा दिया। यह परियोजना एक साल में पूरी होगी।
बस्तर के जिला मुख्यालयों तक में मोबाइल नेटवर्क की लुकाछुपी एक बड़ी समस्या है। सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर जैसे जिलों में जिला मुख्यालयों में भी कभी अचानक मोबाइल नेटवर्क चला जाता है और कई-कई दिन तक ये जिले दुनिया से कटे रहते हैं।
संभाग मुख्यालय जगदलपुर में इंटरनेट की धीमी गति की शिकायत आम है। ऐसे में जंगल में मोबाइल कनेक्टिविटी की बात करना ही बेमानी है। सुकमा के सुदूर इलाकों में पदस्थ जवान मोबाइल नेटवर्क न होने से कई दिनों तक अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते। हाल ही में बुरकापाल में नक्सल हमले के बाद बस्तर में मोबाइल नेटवर्क की समस्या पर पूरे देश का ध्यान गया।
यह भी कहा गया कि मोबाइल और इंटरनेट न होने से सूचना नहीं मिल पाती है। राज्य सरकार ने हालांकि इससे पहले ही बस्तर नेट का प्लान बना लिया था। अब एक साल में इस योजना को पूरा करने के लिए पूरी ताकत झोंकी जा रही है। बस्तर नेट परियोजना का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इस योजना में 836 किमी ऑप्टिकल फाइबर को रिंग पद्धति से बिछाया जाएगा। एक रिंग 405 किमी लंबी तथा दूसरी 421 किमी की होगी।
इसका फायदा यह होगा कि एक मार्ग से केबल कटने पर भी दूसरी ओर से कनेक्टिविटी बनी रहेगी। नक्सल प्रभावित इलाकों में केबल जंगल के भीतर तक जाएगी। अभी अधिकांश पुलिस कैंपों में नेटवर्क नहीं है। जवानों को पेड़ पर चढ़कर नेटवर्क तलाश करते देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि एक साल में इस समस्या का समाधान हो जाएगा। 
बनेगा डिजिटल इनफॉमेशन हाइवे
बस्तर नेट परियोजना के तहत डिजिटल इनफार्मेशन हाइवे का निर्माण किया जा रहा है। तेज गति के इंटरनेट से मोबाइल जोड़कर इसका उपयोग शिक्षा-स्वास्थ्य सहित तमाम योजनाओं में किया जाएगा। किसानों को आईटी का लाभ मिलेगा। कृषि उत्पादन, मृदा परीक्षण, बिक्री मूल्य की जानकारी आदि सेवाएं शुरू होंगी।
वर्चुअल एजुकेशन में इसका उपयोग कर बस्तर में शिक्षा की दशा सुधारने का भी प्लान है। नक्सल मोर्चे पर इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी से सूचनाओं के आदान प्रदान में सहूलियत होगी। 
इनका कहना है
बस्तर नेट पर काम शुरू हो चुका है। पिछले महीने ही टेंडर जारी हो चुका है। एक साल में बस्तर में मोबाइल और इंटरनेट कनेक्टिविटी की रफ्तार बढ़ जाएगी।
-अलेक्स पॉल मेनन, सीईओ चिप्स

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