Saturday, January 2, 2016

यह वही रक्त है, जो बहता है और एक माँ पैदा होती है

यह वही रक्त है, जो बहता है और एक माँ पैदा होती है 




सदमें मे हूँ, लखनऊ ऐसा तो न था, ये कौन लोग थे ? एक बेटा ऐसी हरकत तो नहीं कर सकता, तो क्या ये नराधम किसी माँ की औलाद नहीं है, तो किस कोख के जाये है ये ?
लखनऊ के मोहनलालगंज जहाँ यह नृशंश वारदात हुई, बेशक वह जगह जरा सुनसान हैं, पर लखनऊ वालों के मन इतनें भी सूनें तो नहीं थे कि दर्द से कराहती, चीखँती एक औरत की गुहार उस सूनेपन की भेंट चढ़ जाए ।
कभी एक औरत के बिखरे खूँन को देखा था, रक्तरंजित शरीर और सद्ध-प्रसूत बगल में पड़ा बच्चा। अस्पताल लाते रास्ते में ही हो गया था, सबकुछ ! पता नहीं क्यों, जबकि उसके घर वाले राहत की साँसे भर रहे थे, मै रो पड़ा था ।
यह फैला हुआ रक्त मुझे उस सद्ध-प्रसूता की याद दिला गया। इस रक्त से गुजरकर ही पैदा हुए होंगे वे नराधम भी। यह रक्त उनकी माँ का रक्त है, काश उनकी पैैदाइस वाला रक्त और पैदा हुआ भ्रूण किसी नाली में बह गया होता ।
इन तस्वीरों से मुँह न चुराइये, हमारे मुँह चुरानें की हकीकत हैं यह तस्वीरें । अब तो जो है, उसे जस का तस, बिना ब्लर किए स्वीकारिये, शेयर कीजिए

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