संघ और मई दिवस
खग जाने खग की ही भाषा !
*
कल एक संघी मित्र ने पूछ ही लिया कि मई दिवस का भारत से क्या संदर्भ है .
उसका आशय मई दिवस भारत के बाहर से आने से था .
तो मेने भी पूछ लिया कि राजाओ की वेशभूषा पहने ये विश्वकर्मा कैसे मजदूर बन गया .
तो उसने कहा की विशवकर्मा ने सारी दुनिया का निर्माण एक दिन में कर दिया .तो वो ही न पहला मजदूर हुआ .
अब बारी मेरी थी ,
विश्वकर्मा ने पूरी दुनिया बनाई या सिर्फ भारत का निर्माण किया.
तब थोडा हिचका ,फिर कहा ,सारी दुनियां !
तो फिर यही तय हुआ न !
की सारी दुनियां का निर्माण मजदूरों ने ही किया ?
में ऊनके अनुसार ही चल रहा था .
तो भाई विश्वकर्मा तो राजा रहे होंगे ,तो उन्होंने काम के लिए मजदूर भी लगाये होंगे,बड़ा काम था न !
एशिया ,योरोप ,अफ्रीका ,अमेरिका वगैरह वगैरह बनाना जो पडा .
हाँ ..हाँ .वो तो होगा ही
भगवान विश्वकर्मा और उनके साथी चोबिस घंटे काम करते होंगे ?
हाँ ये तो सही है
तो उन्हें और उनके मजदूरों को नित्य क्रिया ,भोजन भजन ,घर बार , बच्चो ,आराम की भी जरुरत होगी की नहीं ?
घरबार चलाने के लिए कुछ वेतन फेतन भी चाहिए ही होगा ,कि नही ?
तो मेरे चड्डी से फुल पेंट हुए भाई ,
जब तुम्हारे विश्वकर्मा जी मजदूरों से दिन रात बिना वेतन के कम करवा रहे थे तो मजदूरों ने हड़ताल कर दी और बड़ा आन्दोलन फैल गया .
मजदूरों पर फरसे लाठी चलवा दी ,बहुत से मजदूर शहीद हो गये .
तब जाकर मजदूरों और मालिको में एक मई को समझौता हुआ की मजदूर दिन में आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा .
तब से मजदूरों के काम के घंटे तय हुए .
और धीरे धीरे मजदूरों ने और लड़ाई लड़ कर जीत हासिल की !
तो आखरी में नये नये फुल पेंट हुए मित्र ने अपना आखरी शस्त्र चलाया ,,
ओह . .. तो आप कम्युनिस्ट हो .
तभी बार बार मजदूर मजदूर बोल रहे हो
हमारी विश्वकर्मा जी को भी मजदूर सिद्द कर दिया .
*
तो लीजिये !
अब कारपोरेट सामने है
कारपोरेट क्या सरकार भी ऐसी ही है.
आठ नहीं 12 ,12 घंटे काम करवा रहा है
न जॉब की कोई गारंटी और न वेतन का कोई निर्धारण
न कोई श्रम कानून,न औधोगिक न्यायलय की झंझट
न ट्रेड यूनियन के हक और न मजदूरों के प्राथमिक हक़ .
**
तो ..तो..
मजदूर दिवस मनाने से कुछ नही होगा ,
अब वही लडाई शुरू करना होगी जो कभी हमारे पूर्वजों ने लड़ी थी.
**
No comments:
Post a Comment