स्टिंग ऑपरेशन शहीद: सुकमा एसपी का दावा- पुलिस अलर्ट को शान के खिलाफ मानती है CRPF
न्यूज18 इंडिया के स्टिंग 'ऑपरेशन शहीद' में मीणा ने बताया कि सीआरपीएफ के अधिकारी पुलिस को कमतर आंकते हैं.
छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ के जवानों पर हमले से पहले क्या पुलिस की चेतावनी को नजरअंदाज किया गया? सुकमा के एसपी अभिषेक मीणा का दावा तो यही कहता है. न्यूज18 इंडिया के स्टिंग 'ऑपरेशन शहीद' में मीणा ने बताया कि सीआरपीएफ के अधिकारी पुलिस को कमतर आंकते हैं. उनमें अहम है और वे पुलिस की ओर से दिए जाने वाले सुझावों को हल्के में लेते हैं. एसपी अभिषेक मीणा का कहना था कि पुलिस के अलर्ट को गंभीरता से लेना सीआरपीएफ के बड़े अधिकारियों की शान के खिलाफ है.
उन्होंने 24 अप्रैल को हुए हमले के बारे में चौंकाने वाली बात बताई, 'मैं बार-बार चिल्ला रहा हूं कि रियल इशू पर बात करो. कोई नहीं देख रहा कि इनके (सीआरपीएफ) ऑफिसर को कुछ नहीं आता. इनके ऑफिसर्स को टैकटिक्स नहीं आती. मुझे गुस्सा आ गया था. डीआईजी से बहस हो गई थी मेरी. भाई मारे जाओगे आप लोग क्या कर रहे हो. नाम मेरा आएगा कि ये एसपी आया था तब से हो रहा ये सब. भई मैं तो थाने से ही बोल रहा हूं कि आपका नुकसान यहां-यहां हो जाएगा. आप ही नहीं सुन रहे.'
मीणा ने आगे कहा, 'चिंतागुफा में इतना क्लियर वॉर्निंग के बाद भी कैसे पोस्ट निकल गई समझ नहीं आ रहा. इन्होंने बताया कि मेरी गलती थी. मेरी गलती मतलब मेरे स्टाफ की गलती थी उन्होंने वहां सीआरपीएफ को इंफॉर्म नहीं किया. लेकिन यहां (सुकमा हमला) इनफॉर्मेशन थी. सबकुछ था. मैंने इसपेसिफिक बोला कि चिंतागुफा के आगे मत जाओ जब तक कि जरूरी ना हो. कोई जवान घायल हो बीमार ना हो. 22 और 23 को बात मानी गई.'
उन्होंने दावा किया कि उन्हें सीआरपीएफ टीम के बाहर जाने की सूचना भी नहीं थी. एसपी के अनुसार, 'सुबह साढ़े पांच बजे टीम निकली. जब तक घटना नहीं हो गई तब तक पता ही नहीं कि टीम आउट है. मैंने तो बोला हुआ था कि मेरी कोई टीम निकलेगी तो इंफॉर्मेशन होनी चाहिए. इंफॉर्मेशन ही नहीं कौन सी टीम है. मेरे पास तो कोई खबर ही नहीं कि कोई टीम आउट है.' मीणा का कहना है कि 24 अप्रैल को सीआरपीएफ की टीम के साथ असिस्टेंट कमांडेंट ही नहीं था.
इशारों-इशारों में पुलिस कप्तान ने सीआरपीएफ की बहादुरी पर भी सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा, 'क्यों ज्यादा शहीद हैं. कोई भी असली मुद्दे की बात नहीं कर रहा. ज्यादा शहीद क्यों हैं. ऑपरेशन हमारे ज्यादा हैं, मुठभेड़ हमारी ज्यादा हैं नक्सलियों के साथ. नक्सलियों को मारा हमने ज्यादा है. बॉडी हमने ज्यादा रिकवर की हैं. आपके (सीआरपीएफ) एनकाउंटर में आपके शहीद ज्यादा हैं. आपके साथ जो भी एनकाउंटर होता है वो वन साइडिड क्यों होता है. नक्सली हमेशा मारकर चला जाता है. हमारे साथ तो कभी नहीं होता. DRG के साथ, इन्हीं के साथ क्यों होता है.'
एसपी ने कहा कि सीआरपीएफ के अधिकारी लापरवाही बरतते हैं. उन्हें एडवांस में बताना पड़ता है. मीणा ने बताया, 'प्रॉब्लम है सीआरपीएफ के स्टार. किसके कंधे पर कितने स्टार. उनके कंधे पर दो स्टार हमारे कंधे पर एक स्टार. हम तो बड़े हैं. वहीं से मेंटेलिटी चालू हो जाती है कि हम तो डीआईजी हैं एसपी से हम क्यों करें बात. मतलब प्रोफेशनलिस्म का रेस्पेक्ट नहीं है. सिर्फ वो रेंक पोस्ट है उसी को देखा जाता है.
उन्होंने कहा, 'देखो नॉर्मल वॉर बहुत फ्लैक्सी वॉर फोर्स है. सीपीएमएफ (सेंट्रल पैरा मिलेट्री फोर्स) के साथ सबसे बड़ी दिक्कत क्या है कि वो फ्लैक्सिबल नहीं होते हैं. DRG को फटाफट बोला कि दो घंटे में ऑपरेशन करना है.DRG टीम बिना सवाल किए तैयार हो जाती है. सीआरपीएफ के साथ दिक्कत है कि 12 घंटे पहले नोटिस चाहिए. उसके बाद वो प्लान अंदर जाएगा फिर वो अप्रूव होगा. फिर अप्रूव होकर वापस आएगा वहां से, फिर देखेंगे कि कर सकते हैं या नहीं.
उन्होंने 24 अप्रैल को हुए हमले के बारे में चौंकाने वाली बात बताई, 'मैं बार-बार चिल्ला रहा हूं कि रियल इशू पर बात करो. कोई नहीं देख रहा कि इनके (सीआरपीएफ) ऑफिसर को कुछ नहीं आता. इनके ऑफिसर्स को टैकटिक्स नहीं आती. मुझे गुस्सा आ गया था. डीआईजी से बहस हो गई थी मेरी. भाई मारे जाओगे आप लोग क्या कर रहे हो. नाम मेरा आएगा कि ये एसपी आया था तब से हो रहा ये सब. भई मैं तो थाने से ही बोल रहा हूं कि आपका नुकसान यहां-यहां हो जाएगा. आप ही नहीं सुन रहे.'
मीणा ने आगे कहा, 'चिंतागुफा में इतना क्लियर वॉर्निंग के बाद भी कैसे पोस्ट निकल गई समझ नहीं आ रहा. इन्होंने बताया कि मेरी गलती थी. मेरी गलती मतलब मेरे स्टाफ की गलती थी उन्होंने वहां सीआरपीएफ को इंफॉर्म नहीं किया. लेकिन यहां (सुकमा हमला) इनफॉर्मेशन थी. सबकुछ था. मैंने इसपेसिफिक बोला कि चिंतागुफा के आगे मत जाओ जब तक कि जरूरी ना हो. कोई जवान घायल हो बीमार ना हो. 22 और 23 को बात मानी गई.'
उन्होंने दावा किया कि उन्हें सीआरपीएफ टीम के बाहर जाने की सूचना भी नहीं थी. एसपी के अनुसार, 'सुबह साढ़े पांच बजे टीम निकली. जब तक घटना नहीं हो गई तब तक पता ही नहीं कि टीम आउट है. मैंने तो बोला हुआ था कि मेरी कोई टीम निकलेगी तो इंफॉर्मेशन होनी चाहिए. इंफॉर्मेशन ही नहीं कौन सी टीम है. मेरे पास तो कोई खबर ही नहीं कि कोई टीम आउट है.' मीणा का कहना है कि 24 अप्रैल को सीआरपीएफ की टीम के साथ असिस्टेंट कमांडेंट ही नहीं था.
इशारों-इशारों में पुलिस कप्तान ने सीआरपीएफ की बहादुरी पर भी सवाल उठा दिए. उन्होंने कहा, 'क्यों ज्यादा शहीद हैं. कोई भी असली मुद्दे की बात नहीं कर रहा. ज्यादा शहीद क्यों हैं. ऑपरेशन हमारे ज्यादा हैं, मुठभेड़ हमारी ज्यादा हैं नक्सलियों के साथ. नक्सलियों को मारा हमने ज्यादा है. बॉडी हमने ज्यादा रिकवर की हैं. आपके (सीआरपीएफ) एनकाउंटर में आपके शहीद ज्यादा हैं. आपके साथ जो भी एनकाउंटर होता है वो वन साइडिड क्यों होता है. नक्सली हमेशा मारकर चला जाता है. हमारे साथ तो कभी नहीं होता. DRG के साथ, इन्हीं के साथ क्यों होता है.'
एसपी ने कहा कि सीआरपीएफ के अधिकारी लापरवाही बरतते हैं. उन्हें एडवांस में बताना पड़ता है. मीणा ने बताया, 'प्रॉब्लम है सीआरपीएफ के स्टार. किसके कंधे पर कितने स्टार. उनके कंधे पर दो स्टार हमारे कंधे पर एक स्टार. हम तो बड़े हैं. वहीं से मेंटेलिटी चालू हो जाती है कि हम तो डीआईजी हैं एसपी से हम क्यों करें बात. मतलब प्रोफेशनलिस्म का रेस्पेक्ट नहीं है. सिर्फ वो रेंक पोस्ट है उसी को देखा जाता है.
उन्होंने कहा, 'देखो नॉर्मल वॉर बहुत फ्लैक्सी वॉर फोर्स है. सीपीएमएफ (सेंट्रल पैरा मिलेट्री फोर्स) के साथ सबसे बड़ी दिक्कत क्या है कि वो फ्लैक्सिबल नहीं होते हैं. DRG को फटाफट बोला कि दो घंटे में ऑपरेशन करना है.DRG टीम बिना सवाल किए तैयार हो जाती है. सीआरपीएफ के साथ दिक्कत है कि 12 घंटे पहले नोटिस चाहिए. उसके बाद वो प्लान अंदर जाएगा फिर वो अप्रूव होगा. फिर अप्रूव होकर वापस आएगा वहां से, फिर देखेंगे कि कर सकते हैं या नहीं.
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