नेशनल दस्तक की जमीनी पड़ताल: शब्बीरपुर में दलितों को काटने पर उतारू थे तलवारधारी ठाकुर
सहारनपुर। शब्बीरपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद से हुए भारी नुकसान ने यूपी प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पांच मई को महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर ठाकुर समुदाय की ओर से निकले जलसे में से कुछ उपद्रवियों ने बाबा साहब अंबेडकर की मूर्ति और संत रविदास की मूर्ति तोड़ी तो यह विवाद बढ़ता गया। जिसके बाद करीब साठ दलित घरों को आग के हवाले कर दिया गया था औऱ कई दलितों पर हमला किया गया था। वहीं मंगलवार को जब इस जातीय हिंसा के विरोध में दलित गांधी पार्क में धरना दे रहे थे तो उनपर लाठीचार्ज किया गया। जिसके बाद मामला और उग्र हो गया।
इस घटना के बाद अब मीडिया में अलग-अलग तरह की रिपोर्टें सामने आ रही हैं। इस पूरे मामले की सच्चाई जानने के लिए नेशनल दस्तक की टीम जब मंगलवार को सहारनपुर के शब्बीरपुर पहुंची तो मीडिया रिपोर्ट्स से इतर जमीनी हकीकत कुछ ओर ही दिखाई दी।
इस दौरान पर जब नेशनल दस्तक के पत्रकार यहां सहारनपुर जिला अस्पताल पहुंचे तो जातीय हिंसा में गंभीर रुप से घायल करीब एक दर्जन से ज्यादा लोग यहां भर्ती थे। अस्पताल में भर्ती एक पीड़ित श्याम सिंह ने बताया कि हमारे यहां शादी थी, मैं छोड़ने के लिए महेशपुर अड्डे पर जा रहा था। तभी उन्होने हमला कर दिया। वे कई हजार आदमी थे। पीड़ित के सिर पर टांके लगे हैं और हाथ भी टूटा हुआ है।
एक अन्य पीड़ित अनिल ने बताया, मैं काम से आ रहा था, मेरे को कुछ मालूम नहीं था। मेरे को लड़ाई का कुछ पता नहीं था। मैं भट्टे पर मेहनत करता हूं। मैने बच्चों से रोटी मांगी और बच्चों ने मुझे दी। अचानक ही मेरे तीन दोस्त लोग भागकर मुझे बचाने की कोशिस की। हम अंदर बंद हो गए। वे पचास लोग आए और हमारे दरवाजे तोड़कर अंदर आ गए। फिर हमें सरिया-लाठियों से पीटा। मेरे दोनों बाहें तोड़ दी। मेरी कमर तोड़ दी है। अब मेरे से बैठा भी नहीं जाता है। मेरे बच्चे पर भी चोटें आई। फिर मै पीछे की दीवार तोड़कर भाग आया। तब जाकर मेरी और मेरे बच्चों की जानें बच पाईं।
जिला अस्पताल में पीड़ितों के परिजनों में से एक स्थानीय दलित मनमोहन भारती ने बताया, जब गांव पर हमला हुआ तो हम लोग वहीं पर मौजूद थे। कुछ लोग हाथों में तलवार लेकर बाइक से चलते हुए हंगामा कर रहे थे। एक अन्य व्यक्ति ने कहा, जिस समय यह घटना हुई उस समय मैं गांव में था। हमारे घर में भैय्या की शादी थी। हमारे मेहमान आए हुए थे। इतने में वो लोग आए और हमारे घर को जलाकर शमसान बना दिया।
एक दलित लड़की वर्षा ने बताया, उस दिन लड़ाई हुई। उन्होने हमारे घरों को चला दिया। डंडे और तलवार लेकर घरों में घुसे और कह रहे थे कि एक को भी नहीं छोड़ेंगे, गांव में सबको मार डालेंगे। पुलिस वाले उनके साथ ही थे।इस दौरान अधिकांश लोगों ने बताया कि पुलिस ने इन उपद्रवियों को रोकने की कोशिश ही नहीं की। एक स्थानीय दलित ने बताया कि पूरे बड़गाव थाने की गाड़ी उनके साथ रही। प्रशासन ने उनका इतना साथ दिया जितना कोई नहीं दे सकता।
इसके बाद नेशनल दस्तक की टीम ने यहां मौके पर मौजूद युवाओं से भी बातचीत की। एक स्थानीय नागरिक चंद्रशेखर ने बातचीत करते हुए बताया, आज शब्बीरपुर मामले में हमारा प्रोटेस्ट था लेकिन वहां बड़ी संख्या में पीएसी तैनात थी। जो भी वहां जा रहा था उसे पीटा जा रहा था। उन्हें भगाया जा रहा था। उसके वाहन छीन लिए जा रहे थे। उसके बाद जब यह सब विवाद हुआ तो हमारे लोग छितर-बितर हो गए पूरे शहर में। और फिर कुछ भगवा वस्त्र पहने हुए कुछ लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर हमारे लोगों से मारपीट और गालीगलौच की। लेकिन हम फिर भी अपने सारे लोगों से अपील करते हैं कि लोकतंत्र के दायरे में रहकर सवैंधानिक तौर पर प्रदर्शन करें। कोई भी ऐसी गतिविधि न करें जिससे आपका समाज व अंबेडकरवादी बदनाम हों।
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एक अन्य युवक ने कहा, जब मैं लड़कों को साथ लेकर गांधी पार्क में था, तो जिलाध्यक्ष, जिलाधिकारी कम से कम मुझसे बातचीत तो करे। उन्होने बिना बातचीत करते हुए ही पीटना शुरु कर दिया। एक अन्य स्थानीय व्यक्ति ने बातचीत करते हुए कहा, जब ये लोग हमें परमिशन नहीं दे रहे हैं तो उन्हें क्यों महाराणा प्रताप जंयती पर क्यों परमिशन दिया?
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