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छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पंडा के बयान को शरारतपूर्ण तरीके से फैलाया जा रहा हैं .
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इस तरह का झूट, जानबूझकर
सामाजिक कार्यकर्ताओ और उनकी पत्नी के वकील की छवि ख़राब करने के लिये छेड़ी गई
मुहीम का हिस्सा हैं
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हाईकोर्ट में पंडा के बयान
को शरारतपूर्ण तरीके से कुछ लोग फैला रहे हैं ,पुलिस ए.एस.पी जितेन्द्र शुक्ला ने
कोर्ट में पंडा के दिया बयान को पूरी तरह से गलत तरीके से प्रस्तुत किया , कुछ
न्यूज़ पोर्टल भी यही सब बार बार दोहरा रहे है ,की पोडियाम पंडा ने कोर्ट में कहा
की उनकी पत्नी को अधिवक्ता शालिनी गेरा, ईशा खंडेलवाल और सुधा भारद्वाज जबरजस्ती
बंदी बनाये हुए हैं. और उसे मिलने नहीं दे रहे हैं. और इनके खिलाफ पुलिस में
रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं .
आज बिलासपुर में पोडियाम
पंडा की पत्नी मुये ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा मैं खुद अपने पति के लिए याचिका
दायर करने हाईकोर्ट आई थी मुझे किसी ने नहीं रोका और न किसी से मिलने से मना किया,
आज पंडा की पत्नी मुये, दोनों बेटे भीमा [8] गंगा [14] भाई कोमल सिंह भी प्रेस
कांफ्रेंस में उपस्थित थे .प्रेस कोंफ्रेंस में आदिवासी महा सभा के राष्ट्रीय
अध्यक्ष मनीष कुंजाम भी उपस्थित थे. पंडा
की पत्नी ने यह भी कहा की जब आखरी में पंडा उनसे मिले तो उनके हाथ कांप रहे थे और
वे बेहद डरे हुए थे .
बिलासपुर हाई कोर्ट में उसने
सिर्फ सरेंडर की बात की और कहा की मैं पुलिस के दबाब में नहीं हूँ और अपनी मर्जी
से पुलिस के साथ रहना चाहता हूँ. उसने कहा की वह पुलिस दबाव से स्वतंत्र है. पुलिस
कोर्ट में पूरे समय पर थी, और पंडा को एक क्षण के लिए भी अकेला नहीं छोड़ा गया. क्या
यह उसके स्वाधीनता का प्रतीक है? क्या पंडा ने वाकय में बिना किसी दबाव के अपना
कथन दिया?
उसने कभी अपनी पत्नी को
किसी वकील के दबाब या जबरजस्ती बंदी बनाये जाने की बात नहीं की ,यह पूरी तरह कोर्ट
की प्रोसिडिंग के खिलाफ और उसकी अवमानना हैं .
इस तरह का झूट जानबूझकर
सामाजिक कार्यकर्ताओ और पंडा की पत्नी के वकील की छवि ख़राब करने के लिये छेड़ी गई
मुहिम का हिस्सा हैं .
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