कोयला खदानों के आबंटन के विरोध की बनी रणनीति ! हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति
कोरबा – रविवार को ग्राम मदनपुर ब्लाक पौड़ी उपरोड़ा जिला कोरबा में हसदेव अरण्य बचाओ समिति की बैठक आयोजित हुई जिसमे सभी 20 गाँव के प्रतिनिधि शामिल हुए बैठक में कोयला खदानों के आबंटन विशेष रूप से पतुरिया डांड ,गिदमुडी ,मदनपुर साउथ,एवं परसा कोयला खदानों के आबंटन एवं उनके विकास के लिए चलाई जा रही प्रक्रिया का पुर जोर तरीके से विरोध करने का निर्णय लिया गया .बैठक में इस बात पर चिंता जताई गयी की हसदेव जैसा समृद्ध वन क्षेत्र जिसे पूर्व में खनन गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित किआ गया था, इस पर्यावरणीय समृद्ध वन क्षेत्र को अदानी जैसी कंपनियों के मुनाफे के लिए राज्य सरकार की कंपनियों के नाम पर उजाड़ने की कोशिश की जा रही है .हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक उमेश्वर सिंह आर्मो एवं जयनंदन पोर्ते ने कहा की सम्पूर्ण हसदेव क्षेत्र पांचवी अनुसूची में आता है और संविधानिक ग्राम सभा के विरोध क बावजूद भी खदानों की स्वीकृति की प्रक्रिया को आगे बढाया जा रहा है ।बैठक में ग्रामीणों ने इस बात को प्रमुखता से उठाते हुआ बताया की कोरबा एवं सरगुजा जिला प्रशासन के द्वारा यह कहते हुए व्यक्तिगत वन अधिकार को मान्यता नही दी जा रही है की जिन क्षेत्रों में कोयला खदानों का आबंटन हुआ है वहा वन अधिकारों को मान्यता देने का प्रावधान नही है जबकि वन अधिकार मान्यता कानून 2006 एवं,केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 3 जुलाई 2009 के आदेश के तहत किसी भी वन भूमि का डायवर्सन नही हो सकता जब तक वन अधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया समाप्त नही होती और ग्राम सभा लिखित में सहमति नही देती .अर्थात अधिकारियों के द्वारा कानून की गलत व्याख्या करते हुए ग्रामीण को उनके वन अधिकारों से वंचित किया जा रहा है । इस मुद्दे पर शीघ्र ही ग्राम सभाओ का एक प्रतिनधि मंडल मुख्य सचिव व् केंद्रीय आदिम जनजाति कार्य मंत्रालय के अधिकारियो से मुलाकात करेगा
इस के साथ ही बैठक में सर्व सहमति से यह निर्णय लिया गया की आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्राम पतुरिया डांड में विशाल सम्मेंलन का आयोजन किया जाएगा जिसमे विभिन्न जन आन्दोलनों के साथ प्रदेश भर से पर्यावरण के प्रतिसंवेदनशील लोगो को आमंत्रित किया जाएगा एवं हसदेव के सरंक्षण की दिशा में व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा .
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