17 साल बाद AMU के पूर्व छात्र मुबीन और गुलज़ार आतंकवाद के आरोप से बरी
कैच ब्यूरो| Updated on: 20 May 2017, 13:50 IST
17 साल बाद बाराबंकी की अदालत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दो पूर्व छात्र मलिक मुबीन और गुलज़ार अहमद वानी को आतंकवाद के आरोप से बरी कर दिया. इनपर 14 अगस्त 2000 को बाराबंकी में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में धमाके का आरोप था. इस धमाके में 9 लोग मारे गए थे जबकि कई ज़ख़्मी हुए थे.
मलिक मुबीन एएमयू से बीयूएमएस की पढ़ाई कर रहे थे. वो यूनिवर्सिटी के हबीब हॉस्टल में रहते थे. यूपी पुलिस ने उन्हें साल 2000 में यहीं से गिरफ्तार किया था. गुलज़ार अहमद वानी एएमयू से अरबी भाषा में पीएचडी कर रहे थे, इन्हें दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने 2001 में दिल्ली से गिरफ़्तार किया था.
गुलज़ार कश्मीर के श्रीनगर के रहने वाले हैं. इनके पिता रिटायर्ड सरकारी मुलाज़िम हैं. वानी पर आतंकवाद के कुल 11 मामले दर्ज किए गए थे. 10 मामलों में ये पहले ही बरी हो चुके थे लेकिन साबरमती ट्रेन धमाके का फैसला नहीं आने के कारण लखनऊ जेल में बंद थे. इनके वकील एमएस ख़ान ने कहा है कि 17 साल बाद अब गुलज़ार खुली हवा में सांस ले पाएंगे.
इसी साल वानी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से ज़मानत अर्ज़ी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका विरोध किया था. इसपर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर और डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने यूपी सरकार को फटकार लगाई थी. बेंच ने कहा था, 'ये शर्म की बात है कि एक शख़्स आतंकवाद के 11 में से 10 मामलों में बरी हो चुका है. वो 16 साल से जेल में है और इसके बावजूद आप चाहते हैं कि उसे ज़मानत नहीं दी जाए?'
तब बेंच ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया था कि बाराबंकी ट्रेन धमाके की सुनवाई 31 अक्टूबर 2017 तक पूरी की जाए. अगर इस अवधि में सुनवाई पूरी नहीं हो पाती है तो भी गुलज़ार वानी को 1 नवंबर 2017 को ज़मानत पर रिहा कर दिया जाएगा.
आज बाराबंकी की अदालत में अभियोजन पक्ष उनके ख़िलाफ़ कोई सुबूत पेश करने में नाकाम रहा. लिहाज़ा, अदालत ने उन्हें बरी कर दिया.
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