सिपाहियों ने आते ही बिना कोई बातचीत किये भीमा को गोलियों से भून दिया .
ग्राम रेवाली जिला दंतेवाड़ा ,छत्तीसगढ़
छह जनवरी २०१५
यानी इसी साल एक हफ्ते पहले ही
भीमा और उसकी पत्नी बुधरी नदी में कपड़े धोने और नहाने के लिए आये थे .
तभी पुलिस और संयुक्त फ़ोर्स जिसमे अर्ध सैनिक बलों के सिपाही वहाँ आ गये .
इतने सारे लोगों की आवाजें सुन कर बुधरी एक पेड़ के पीछे छिप गयी .
लेकिन भीमा वहीं नदी के किनारे खड़ा रहा .
सिपाहियों ने आते ही बिना कोई बातचीत किये भीमा को गोलियों से भून दिया .
बुधरी अपने पति को इस तरह मारा जाते देखती रही .
अगर बुधरी सामने आती तो वह भी मारी जाती .
भीमा को मार कर सुरक्षा बल के सिपाही आगे चले गए .
बुधरी और भीमा के परिवार वाले भीमा की लाश लेकर थाने पहुंचे .
थाने में बुधरी ने बताया कि मेरे पति को पुलिस ने मारा है .
लेकिन पुलिस ने लिखा कि भीमा को नक्सलियों ने मारा है .
पुलिस ने साथ में गए हुए लोगों से कहा कि देखो हमने तो तुम्हारे फायदे के लिए नक्सलियों के खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ करी है .
नक्सलवादियों के हाथों मारे जाने पर सरकार पैसा देगी .
लेकिन अगर तुम कहोगे कि पुलिस ने मारा है तो तुम्हे कुछ नहीं मिलेगा .
भीमा की पत्नी बुधरी ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी को अपनी मदद के लिए बुलाया .
सोनी और लिंगा कल मीडिया को लेकर भीमा के गाँव में पहुंचे .
बृहस्पतिवार को दस हज़ार आदिवासी भीमा के गाँव से कुआकोंडा थाने तक मार्च करेंगे .
आदिवासी मांग करेंगे कि पुलिस के खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ करी जाय .
आप आदिवासियों को इसलिए मार रहे हैं कि आदिवासी आपसे डरें
ताकि जब आप उनकी ज़मीने छीनें तो आदिवासी आपके खिलाफ़ आवाज़ उठाने की हिम्मत ना कर सके
और आप अम्बानी और अदाणी के मुनाफे के लिए ज़मीनों पर बेख़ौफ़ कब्ज़ा कर सकें .
हम आपको यह नहीं करने देंगे मोदी जी
हम आपसे लड़ेंगे
हर जगह
हर रोज़
[ vanvasi chetna ashran post ]
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