धर्म निरपेक्ष जनतांत्रिक प्रगीतिशील शक्तियों का एकजुटता सम्मलेन
देश में फासीवाद और साम्राज्यवाद के मंडराए खतरे ; चुनौतियां
और रणनीति
22
-23 जन 2015 रायपुर [ छत्तीसगढ़ के पुननिर्माण का जनघोषणा पत्र ]
[[ सम्मेलन में प्रमुख रूप से डा , रामपुनियानी ,राजेंद्र सच्चर ,डा,कल्पना कन्नावीरन ,डा जया मेहता ,ललित सुरजन ,प्रभाकर चौबे ,चितरंजन बख्शी ,आनंद मिश्रा ,शेख अंसार ,नन्द कश्यप ,रंगकर्मी वाहिद शरीफ ,निसार अली ,डा जोसेफ झेबियर ,सी एल पटेल ,गौतम बन्धोपाध्या , ,जनकलाल ठाकुर ,अरिंद नेताम ,डा सुनीलम , राजेंद्र सायल ,अलोक शुक्ल सोरा यादव ,तेजराम ,डिग्री चौहान और डा लाखन सिंह आदि ]
छत्तीसगढ़ के पुननिर्माण का जनघोषणा पत्र
धर्म
निरपेक्ष जनतांत्रिक
प्रगीतिशील शक्तियों का एकजुटता सम्मलेन
में भाग लेने वाले
हम सब
प्रतिभागी जो विभिन्न जन संघठनो
,राजनैतिक दलों ,सामाजिक आंदोलनों ,ट्रेड
यूनियन ,सामाजिक
और सांस्कृतिक
समूहों ,प्रगीतिशील
बुध्दजीवीयो के प्रतिनिधि
है ,और
समाजवादी धर्म
निरपेक्ष जनतांत्रिक
भारत के
दर्शन में विश्वास रखते हैं,
वरन उसे
साकार करने
के लिए
संघर्षरत है
,और भारत
के संविधान
के प्रति
अपनी आस्था
और उसके
सिद्दांतो के प्रति समर्पित भावना
से काम
करने के
लिए वचनवद्द
हैं ,जिन्हे
संविधान की
उद्देशिका में दर्शाया गया हैं।
हम भारत के लोग ,भारत को एक
[ सम्पूर्ण प्रभूतासंपन्न समाजवादी पंथनिर्पेक्ष लोकतान्त्रिक गणराज्य ]
बनाने के लिए ,तथा उसके समस्त नागरिको को
सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक न्याय ,
विचार, अभिव्यक्ति,
विश्वास, धर्म,
और उपासना की स्वतंत्रता
,
प्रतिष्ठा और अवसर की समानता ,
प्राप्त करने के लिए ,
तथा उन सबमे ,
व्यक्ति की गरिमा और
[ राष्ट्र की एकता और अखंडता ]
सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए ,
दृढ संकल्प होकर इस संविधान सभा में
आज तारीख 26 जनवरी
1949 को ,
एतद्द्वारा इस संविधान
को अंगीकृत ,अधिनियमित और आत्मसमर्पित करते हैं।
डा जया मेहता |
डा राजेंद्र सच्चर |
रामपुनियानी |
डा कल्पना कन्नावीन |
हम
चिंतित है
की भारत
के चुनावी
इतिहास में
पहली बार
धार्मिक कट्टर
पंथी शक्तिया[
जो हिन्दू
राष्ट्र को अपना एजेंडा घोषित
कर चुके
हैं .] राज्य पर अपनी राजनैतिक
पकड़ मजबूत
करने के लिए प्रयासरत
है ,जिसके
कारण भारत के संविधान के
सार और
सिद्दांतो पे गंभीर खतरा मंडरा
रहा हैं।
हमें कोई शक नहीं था की
नरेन्द्र मोदी और
भारतीय जनता
पार्टी (भाजपा) के
नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन सरकार हिन्दू राष्ट्र
केदर्शन को को लागू करने
के लिए
काम करेगी
,जिसकी परिकल्पना
आरएसएस ने
की थी
ऐतिहासिक यथार्थ
ने अब
ये स्थापित
कर दिया
हैं की
भाजपा संघ
के कब्ज़े
हैं ,और उसके साथ साथ
तमाम ऐसे
गुटो और
घटको के
जो संघ
परिवार का
हिस्सा है
,जैसे विश्व
हिन्दू परीषद
,बजरंगदल आदि
,
इस सम्बन्ध में भारत में आज़ादी के बाद सांप्रदायिक शक्तियों का हिंसक इतिहास और उससे ज्यादा गुजरात में नरेंद्र मोदी का मुख्यमंत्री काल में होने वाले जनसंघार का इतिहास ,अब भाजपा द्वारा राज्य मशीनरी पर एकाधिकार कायम करके पुनर्जीवित किया जा रहा हैं जैसे की भाजपा शाशन के 200 दिनों में स्पष्ट दिखाई दे रहा हैं।
वर्तमान में तमाम एकाधिपत्य क़ानूनी कार्यवाही कर संसदीय जनतांत्रिक संस्थाओ और प्रक्रियाओ को कमजोर किया जा रहा है ,जैस एकी अभी हाल में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों का स्तीफा तमाम पत्रकार और मिडिया के लोगो को इसलिए निकाला जाना कि उनका वैचारिक आधार शायद वामपंथी है ,और शिक्ष का साम्प्रदायिक करण करने के इरादे से कुलपतियों या शिक्षण संस्थाओ के मुखियाओं को बदलना ,फिल्मो पे पाबन्दी और उसपे हमले आदि।
हम नये भारत के विकास के नारे और नरेंद्र मोदी के अच्छे दिन आने वाले है जैसे नरो के पीछे छिपे एजेंडे के बारे में भी सजग है ,यह पानी की तरह साफ है की भजाओ के नेतृत्व वाली सरकार कार्पोरेट जगत के हित में भूमंडलीकरण के निर्धारित लझो की प्राप्ति के लिए कटिबध्द हैं और इसी के चलते देश की बहुमूल्य सम्पदा और विशाल मानव संसाधनो को मुनाफाखोरी के लिए उनके हाथो में बेधड़क सोम्प रही है ,निजीकरण और नव उदारवादी की नीतियों को लागु किया जा रहा हैं ,जबकि तमाम लोगो को सुनियोजित और बेरहमी से हाशिये पे धकेला जा रहा है। इनकी एकाधिपत्य चरित्र के नेतृत्वा में भारत के संविधान में निहित मानव अधिकार और जनतांत्रिक अधिकारों के प्रति कोई आस्था नहीं हैं ,
प्रभाकर चौबे |
आनंद मिश्र |
अरविन्द नेताम |
डा जोसेफ झेवियर |
ललित सुरजन |
सीआर बक्शी |
* श्रम कानूनो में बदलाव करना जो ऐतिहासिक मजदुर आंदोलन के उपलब्धि रही है।
* भूमि अधिग्रहण अध्यादेश ,कोयला नीलामी अध्यादेश और बीमा अध्यादेश का जारी होना।
* गरीबी रेखा के नए आंकड़े आना और उसपे बहस।
* हाशिये पे पड़े नर्मदा बांध की ऊंचाई एकतरफा बढ़ाने का निर्णय लेना ,
*ख़ुफ़िया विभाग की रिपोर्ट मीडिया में भेज के कुछ गिने चुने संघटनो और सामाजिक आंदोलनों को निशाना
बनाना की वे देशद्रोही और विकासविरोधी हैं ,
* कार्पोरेट दुनिया और साम्राज्यवादी
देशी में अभी हाल में चुनी गई सरकार का स्वागत करना ,अडानी को आस्ट्रेलिया में कोयला खदान का ठेका मिलना और अमेरिका के साथ अनु ऊर्जा के समझोते करना आदि।
* ग्रह मंत्रालय द्वारा मध्यभारत और विशेषकर छत्तीसगढ़ में गृह युद्द जैसे हालत पैदा कर सेना के स्तेमाल की वकालत करना।
यह कछ एक ऐसे उदाहरण है जिसमे
' कार्पोरेट - साम्प्रदायिक -सुरक्षा-राज्य " के ढांचे के प्रति इशारा करते है ,जो वर्तमान एकाधिपत्य सरकार के आने वाले इरादे की और इंगित करता है ,इसमें कोई शक नहीं हैं कि राज्य मशीनरी आज खुले आम बेशर्मी के साथ अमीरो और सत्ताधारियो की सेवा में समर्पित हैं, और गरीबो और हाशिये पे खड़े लोगो के खिलाफ बेरहमी से खुल के काम कर रही हैं।
हालाँकि पुरे देश का स्वरुप अब इस कार्पोरेट -साम्प्रदायिक -सुरक्षा-राज्य का भावी
रास्तें की दिशा में कैसे चल रहा है ,यह तो साफ है , लेकिन छत्तीसगढ़ में
जनतांत्रिक प्रक्रियाओ को कैसे नजसंदाज़ कर कार्पोरेट लूट को और विनाश की
नीति तो पिछले शाशन काल से ही भाजप लागु कर रही थी ,अब केंद्र में भाजप की
राजग सरकार के चलते तो राज्य सरकार निर्ममता से एकाधिपत्य कानून व्यबस्था के तहत
सभी विरोध के स्वर और जनतांत्रिक आंदोलनों पर दमनचक्र चला रही हैं, खासकर उन
लोगो के प्रति जो भूमण्डलोकरण रोकने ,साम्प्रदायिकता का मुकाबला करने और
जनतांत्रिक की रक्षा में शामिल हैं ,
# सलवा जुडूम को नए अवतार में प्रकट होना
,जैसे बस्तर की 50 ग्रामसभाओं में प्रस्ताव पारित कर गैर
हिन्दुओ को अपनी धार्मिक मान्यताओ पर आधारित पूजापाठ और प्रचार पे पाबंधी
लगाना , ये फासीवाद को नयी बोतल में पेश करना
जैसा ही हैं।
# मसीहियों और मुस्लिमो पे हिंसक हमले
गाइकानूनी गिरफ्तारियां और घर वापसी जैसे अभियान जोर शोर से चलाये जा
रहे है ,जो दलितों ,भूमिहीनों और किसानो -मजदूरो के बीच खाई खड़े
करने के इरादे से चलाये जा रहे है ,ताकि कार्पोरेट एजेंडे को लागु
किया जा सके ,
# बस्तर में आदिवासियों की गैरकानूनी
गिरफ्तारियां और फर्जी मुठभेड़ की जा रही हैं।
नन्द कश्यप |
राजेंद्र सायल |
da सुनीलम |
जनकलल ठाकुर |
इसलिए कार्पोरेट जगत के इरादे को पूरा करने की
नियत से ही भूमि अधिग्रहण और वनाधिकार कानून ,पेसा कानून श्रम कानूनो मो भोथरा
बनाए जाने की कोशिश की जा रही हैं ,वही दूसरी और ग्रानसभाओ के अधिकारों को कमजोर
किया जा रहा हैं ,ताकि मुनाफा कमाने ,लालच और ऐशोआराम के लिए अंतहीन प्रयासों को
और आसान बना दिया जाये ,इसके
विपरीत तमाम मेहनतकशो के जीने और जीवकोपार्जन के मौलिक अधिकारों के हनन की
प्रक्रिया को तेज़ किया जा रहा हैं।
छत्तीसगढ़ की परिस्थितिया और भी संवेदनशील है
,क्यों की माओवादियों और राज्य के बीच द्वन्द और टकराव और भी तेज होते जा रहे
हैं,जो राज्य के ज्यादातर जिलो
में मौजूद है ,इसके चलते राज्य और भी कठोर और दमनकारी कानून
बन रहा है ,जैसे छत्तीसगढ़ विशेष जन सुरक्षा कानून 2005 और राज्य मशीनरी
भारी संख्या में सेना और अन्य सुरक्षा बलो को आदिवासी और दलित बाहुल्य स्थानो
में तैनात किया जा रहा हैं, जिससे कि उनके जीवन ,जीवकोपार्जन और संस्कृति पर हमला हो रहा हैं ,इस टकराहट और द्वन्द को वर्तमान परिवेश में देखने समझने की जरुरत है ,खास के यहाँ प्रगीतिशिल दलों और व्यक्तियों को नये प्रयास करने होंगे।
हम इस सच्चाई से भी परचित है कि संप्रग जैसे गठबंधन वाली सरकारों ने भी ग्लोबल -कार्पोरेट भारत के लिए समर्पित रही है ,हालाँकि फर्क सिर्फ ये है की वो फासीवादी शक्तियों के हमलावर चरित्र की नहीं थी।
हम इस पहलु पे भी चिंता व्यक्त करते है की ,वर्तमान सरकार वामपंथी -जनतांत्रिक ताकतों पे दमनकारी हमला करेगी ,विरोध के स्वर को कुचलेगी और अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबन्दी लगाएगी, केवल जनतंत्र की हत्या करके ही कार्पोरेट एजेंडे को लागु किया जा सकता है, ओ भी एक क्रूर और हिंसक शाशन के जरिये ही।
देश के वर्तमान राजनैतिक परिवेश में और उससे भी अधिक छत्तीसगढ़ में , अब जन संघठनो ,सामाजिक आंदोलनों ,प्रगीतिशील बुद्धजीवियों , ट्रेडयूनियन ,सामाजिक सक्रिय समूहों ,और वामपंथी दलों के लिए यह लाजमी है की समाजवादी -जनतांत्रिक -धर्मनिरपेक्ष भारत के निर्माण में एकजुटता दर्शा के भावी रणनीति और कार्यक्रम बनाये ,.
अलोक शुक्ल |
कॉम सोरा यादव |
ए पी जोशी |
डा लाखन सिंह |
यह सम्मलेन सामूहिक चर्चा से निकले निष्कर्ष के आधार पे यह घोषणा करती है कि -
1 भारत के संविधान में निहित सार्वभौमिकता ,धर्मनिरपेक्ष ,जनतांत्रिक समाजवादी मूल्यों को को सवर्धित
किया जाये और सुदृढ़ किया जाये।
2 सभी धर्मो को मानने वालो की अभियक्ति की स्वंतंत्रता ,उनकी धर्मिक मान्यताओ के यहां आधार पे
जीवन निर्वहन करने दिया जाये ,किसी धर्म के मानने वाले पे किसी दूसरे धर्म की जबरजस्ती लागु करने की इजाजत नहीं दी जाये ,
3 भूमि अधिग्रहण अध्यादेश 2014 को रद्द कर भूमि आधिग्रहण कानून 2013 को बहाल किया जाये ,और
उसमे
और किसान हितेषी प्रावधान जोड़े जाये।
4 कोल अध्यादेश निरस्त कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मंशा के अनुसार देश की वास्तविक जरूरत के लिए कोयला खदानों का उपयोग किया जाये ,न की कार्पोरेट मुनाफे के लिए, साथ ही ग्रामसभा की सहमति और पर्यावरणीय ,वन अनुमति पहले ली जाये तथा उसके बाद ही खदानों का आवंटन किया जाये।
5 छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधन और खनिज सम्पदा का निजी उद्योपतियों के हित में दोहन बंद किया
जाये।
6 श्रम कानून में श्रमिक विरोधी संसोधन को वापस लिया जाये ,शासकीय और निजी सेवाओ में नियमित
श्रमिको की भर्ती की जाये और ठेकाकरण बंद किया जाये ,
7 जल जंगल जमीन का निजीकरण ,सार्वजनिक उद्योगो का निजीकरण तथा विनिवेश बंद किया
जाये ,
8 ' मेक इन इण्डिया कीजगह मेड इन इण्डिया की नीति पे चलते हुए देश में ज्यादा से ज्यादा रोजगार के
अवसर बढ़ा के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में समस्त बेरोजगारो को काम दिया जाये और आम जनता की
खरीदने की क्षमता बधाई जाये।
9 प्राथमिक शिक्ष से स्नातकोत्तर तक निशुल्क और गुणवत्ता पूर्ण उपलब्ध कराइ जाये ,और स्वस्थ्य
चिकित्सा अधिकार कानून बनाकर निशुल्क चिकत्सा उपलब्ध कराइ जाये।
10 किसानो को उसकी उपज को लाभकारी कीमत दी जाये ,मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाये ,
तथा शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनाया जाये ,मनरेगा के मजदूरो को नियमित भुगतान किया
जाये।
11 वनाधिकार अधिनियम कानून के तहत अब तक वंचित काबिज़ लोगो को वनधिाकर पट्टा दिया जाये।
12 खाद सुरक्षा अधिनियम का अमल करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किए जाये ,
13 महगाई और भरष्टाचार खतम किया जाये ,
000 ---000
000 ---000
No comments:
Post a Comment