बदायूं मामलाः पांच अनसुलझे सवाल
- 9 घंटे पहले
ग़लत पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, 'बेअसर' पुलिस, न्याय की गुहार लगाते लोग, बयान बदलते गवाह और शक के दायरे में सीबीआई की जांच.
बदायूं केस में सच अब भी कुछ साफ़ साफ़ नजर नहीं आ रहा है.
केवल एक सच जो साफ़ है, वो है 27 मई को 14 और 15 साल की दो चचेरी बहनों की लाश एक आम के पेड़ की दो अलग अलग शाखाओं से टंगी हुई मिली थी.
सीबीआई ने इसे आत्महत्या का मामला करार दिया है. पहली पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट ने सामूहिक बलात्कार और हत्या की बात कही थी.
सीबीआई की जांच पर गांव कटरा शहादतगंज में राय बंटी हुई है. आखिर ऐसा क्यों है?
सीबीआई के क्लोजर रिपोर्ट और पहली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की गांव जाकर पड़ताल की बीबीसी के अंकुर जैन ने.
मामले के पांच अनसुलझे सवाल
1.अँधेरी रात और आत्महत्या
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के शहादतगंज गाँव में न बिजली है न पक्के रास्ते.
बीते साल आम के पेड़ पर लटकी हुई दो लाशों ने इसे अंदर से बदल दिया है.
बदायूं में ब्याह कर आई श्यामल कहती हैं, "कोई बताएगा नहीं पर हादसे के बाद कई सारी लड़कियों का अब स्कूल जाना बंद हो गया है."
क़रीब चार हज़ार की आबादी वाले बदायूं ज़िले के इस गांव में पिछड़ी जातियों की संख्या ज़्यादा है.
सीबीआई ने छह महीने से भी कम समय में जाँच पूरी करके जो रिपोर्ट लिखी उसके अनुसार बदायूं में लड़कियों की हत्या नहीं की गई बल्कि उन्होंने आत्महत्या की थी.
क़रीब दो हफ़्ते पहले अदालत में दायर की गई 40 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि बड़ी बहन के इस मामले के मुख्य अभियुक्त पप्पू यादव के साथ अंतरंग सम्बन्ध थे और यह मुलाकात छोटी बहन करवाती थीं.
सीबीआई ने रिपोर्ट में बताया है, "पप्पू ने कहा बड़ी बहन के साथ उसने चार बार अंतरंग संबंध बनाए थे और छोटी बहन भी उससे इस तरह के संबंध बनाना चाहती थी. लड़कियां पप्पू से पैसे लेती थी और उस दिन भी उसने उन्हें 200 रुपये दिए थे. पप्पू ने कहा है कि उस शाम वो के साथ था और छोटी बहन निगरानी कर रही थी कि कोई वहां आ न जाए. उसी वक्त नज़रू (जो इस केस का मुख्य गवाह हैं), वहाँ आ पहुंचा और बहन घबरा गई और वहां से भाग गई."
सीबीआई का कहना है इस डर से कि यह बात नज़रू उनके घर वालों और गांव वालों को बता देगा, उन्होंने रात को ख़ुदकुशी कर ली.
लेकिन सीबीआई के मुख्य गवाह नज़रू कई बार बयान बदल चुके हैं. उन्होंने बीबीसी से बातचीत में दावा किया, "मैंने बयान बदले थे पर जब सीबीआई ने अपने दफ़्तर में मुझे मारा तब मैंने उन्हें सच बताया."
लेकिन जब हमने नज़रू को खेत में ले जा जाकर ये पूछा कि उस शाम उसने लड़कियों को पप्पू के पास किस हाल में देखा तो वह ठीक से कुछ नहीं बता पाया.
नज़रू ने कहा, "पप्पू और बड़ी बहन ने कपड़े नहीं पहने थे. पप्पू के पास कोई हथियार भी था शायद पिस्तौल या छुरी और बड़ी बहन धीमी-धीमी आवाज़ में बचाओ-बचाओ चिल्ला रही थी और छोटी बहन वहीं बैठी थी."
2. पेड़ और फंदा
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर कई बार तवज्जो दी कि पेड़ की आठ और 10 फ़ीट ऊंची टहनियों पर चढ़ना मुमकिन है. वहाँ से गले में रस्सी या दुपट्टे से फांसी लगाना भी मुमकिन है.
सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा है, "हमने उन दो बहनों की उम्र की दो लड़कियों को पेड़ पर चढ़ा कर देखा और वह चढ़ गईं और वहां से फांसी लगाकर कूदना भी मुमकिन है."
लेकिन गांव में ज़्यादातर लोग मानने को तैयार नहीं हैं कि लड़कियां उस पेड़ पर चढ़ पाईं होंगी.
लड़कियों के भाई वीरेन्द्र ने कहा, "मैंने देखा था, सीबीआई की डमी लड़कियां पहली बार तो नहीं चढ़ पाईं, फिर कुछ तरकीब लगाने के बाद बड़ी मुश्किल से थोड़ा ऊपर जा पाईं. लेकिन मेरी बहनें जहाँ लटकी थीं वहां तक वो नहीं पहुंच पाईं."
मृत लड़कियों के घर से कुछ दूर रहने वाली पंसारी कहती हैं, "यहाँ गांव में लड़के चढ़ते हैं, पेड़ पर लड़कियां नहीं. अगर घर के आँगन में पेड़ हों तो वो शायद चढ़ जाएं. इसलिए उस रात अँधेरे में पेड़ पर चढ़ना मुश्किल है."
3. मोबाइल में छुपा सच
इस केस में सीबीआई ने पप्पू और बड़ी लड़की के बीच संबंध की बात उनके बीच हुई मोबाइल फ़ोन पर हुई बातों के आधार पर कही है.
सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा है, "पप्पू और लड़कियों के बीच 400 से अधिक कॉल हैं. उस दिन भी उनकी खेत में मिलने की बात हुई थी."
सीबीआई का यह भी आरोप है कि घर वालों ने यह बात छुपाने के लिए लड़कियों का मोबाइल फ़ोन छुपाया और फिर उसे तोड़ भी दिया.
गांव में अधिकतर लोगों के पास मोबाइल फ़ोन है, बिजली नहीं है. इसलिए सभी लोग गांव के बीच में लगे एक फ़ोन चार्जिंग बूथ पर अपना मोबाइल चार्ज करने आते हैं.
हालांकि लड़कियों के घर वाले कॉल की बात नहीं मानते. लड़कियों की चाची कहती हैं, "लड़कियां पूरे दिन सिलाई-कढ़ाई और घर का काम करती थीं, फिर ये फ़ोन कब किए उन्होंने."
वहीं सीबीआई के फ़ोन तोड़ने के आरोप पर एक लड़की के पिता जीवनलाल का कहना है, "एक दिन फ़ोन गलती से टूट गया था. पुलिस ने उसे मौके से नहीं लिया और हमने सीबीआई को दिया."
हालांकि लड़कियों के घर वाले ठीक तरह से नहीं बता पाए कि मोबाइल फ़ोन लाश के पास से किसने लिया और वो कैसे टूटा.
4. पोस्टमॉर्टम का पोस्टमॉर्टम
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बदायूं में 27 मई की शाम को हुए पोस्टमॉर्टम को गलत बताया है. उस रिपोर्ट में लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की बात कही गई थी.
सीबीआई ने रिपोर्ट में कहा है, "लड़कियों के साथ बलात्कार या किसी तरह का यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था. लड़कियों के शरीर पर किसी भी तरह की मार के निशान नहीं थे. लड़कियों के कपड़े, चूड़ियां और अन्य आभूषण भी ज्यों के त्यों थे. वजाइनल स्मीयर स्लाइड्स और लड़कियों के कपड़ों पर कहीं भी कोई पुरुष डीएनए नहीं मिला है. इससे यह साफ़ है की लड़कियों के साथ बलात्कार नहीं हुआ था."
सीबीआई ने यह भी कहा कि पोस्टमॉर्टम कक्ष में पर्याप्त रोशनी नहीं थी और महिला डॉक्टर अनुभवविहीन थीं.
डॉक्टर राजीव गुप्ता और डॉक्टर पुष्पा पंत के साथ मिल कर पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर अवधेश कुमार कहते हैं, "पोस्टमॉर्टम तो दिन की रोशनी में होता है. उस दिन शायद गांव वालों को शांत करने के लिए देर शाम उसे करने का निर्णय लिया गया होगा."
लड़कियों के बाल और नाखून पोस्टमॉर्टम के वक़्त संभाले नहीं गए थे. ये चीज़ें बलात्कार के केस में अहम होती हैं.
डॉक्टर गुप्ता और डॉक्टर कुमार से जब हमने पूछा कि क्या उनसे उस शाम कुछ चीज़ें छूट गईं थीं?
डॉक्टर गुप्ता कहते हैं, "रात में पोस्टमॉर्टम करने में बहुत तकलीफ़ होती है. उस दिन पीएम रूम के बाहर हज़ारों लोग खड़े थे. हम जितना कर सकते थे किया. कमरे में एक बल्ब जल रहा था और वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे व्यक्ति ने भी अपनी एक लाइट जला रखी थी."
वहीं डॉक्टर कुमार कहते हैं कि लेडी डॉक्टर ने बलात्कार के बारे में जो कहा उन्होंने वही लिख दिया.
उन्होंने कहा, "हमारा काम सिर्फ़ अन्य चोटों और मौत के कारण ढूँढना था. हमने कहा था कि यह 'एंटीमॉर्टम डेथ' मतलब फांसी लगने के बाद मृत्यु हुई है और यह बात मेडिकल बोर्ड ने भी मानी."
5. गले की हड्डी
फांसी और खुदकुशी के मामलों में मौत किस तरह हुई यह जानने के लिए पोस्टमॉर्टम में गर्दन की हड्डी टूटी है या नहीं यह जानना बहुत ज़रूरी होता है.
दोनों बहनों का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर अवधेश कुमार से इस संबंध पूछने पर उनका कहना था, "यह जानने के लिए एक्स-रे करना होता है और हमारे पास उसके लिए कोई साधन नहीं. इस केस में ही नहीं, हम किसी केस में एक्स-रे नहीं करते हैं."
गर्दन की हड़्डी के बारे में सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कुछ नहीं लिखा है. लेकिन जब बीबीसी ने सीबीआई से ये सवाल पूछा तो उनका कहना था, "दोनों लड़कियां बहुत छोटी उम्र की थीं और इस उम्र में कई बार गर्दन की हड्डी लटक के फांसी के बाद भी नहीं टूटतीं."
जिस कमरे में लड़कियों का पहला पोस्टमॉर्टम किया गया था वहां दिन में भी ज़्यादा रोशनी नहीं आती है .
सीबीआई की मदद के लिए बने मेडिकल बोर्ड ने लड़कियों का दूसरी बार पोस्टमॉर्टम करवाने को कहा था.
लेकिन जिस घाट पर लड़कियों को दफ़नाया गया था वहां बाढ़ के कारण पानी का स्तर इतना ऊपर हो गया था कि लाशें मिल नहीं पाईं और दोबारा पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका.
सच जानने की उम्मीद
बहरहाल केस की जाँच सीबीआई ने बंद कर दी है. सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में छह जनवरी को सुनवाई शुरू होगी.
कटरा शहादतगंज गांव में चूल्हे में आग तेज़ करती मृत लड़कियों में से एक की माँ सहदेवी आस लगाये बैठी हैं, "शायद वह आम का पेड़ बोल उठे और पता चले कि सचमुच उस रात को हुआ क्या था?"
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