Friday, April 28, 2017

आदिवासियों को हक दें तो खत्म होगा माओवाद-राममोहन ,पूर्व डीजी बीएसएफ



आदिवासियों को हक दें तो खत्म होगा माओवाद-राममोहन ,पूर्व डीजी बीएसएफ

 April 29, 2017
सीजी खबर

रायपुर | संवाददाता: ईएन राममोहन का कहना है कि आदिवासियों को उनका हक़ दे दिया जाये तो माओवाद समाप्त हो जायेगा.

सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के महानिदेशक रहे राममोहन का मानना है कि माओवादियों के हाथ में सत्ता की कल्पना भी नहीं की जा सकती क्योंकि उनकी लोकतंत्र में आस्था नहीं है. लेकिन राममोहन का कहना है कि माओवादियों को खत्म करना है तो आदिवासियों को उनका अधिकार देना होगा.


बतौर आईजी बीएसएफ जम्मू-कश्मीर और असम में सुरक्षाबलों की कमान संभालने वाले ईएन राममोहन सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं. वे लगभग चार सालों तक सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक भी रहे. उन्हें एक जांबाज़ अफ़सर के तौर पर याद किया जाता है. 2010 में बस्तर में सीआरपीएफ के 76 जवानों की माओवादी हमले में मौत के मामले की जांच के लिये केंद्र सरकार द्वारा ईएन राममोहन को ही नियुक्त किया गया था.

कुछ समय पहले एक विशेष बातचीत में राममोहन ने कहा कि सरकारें अवैध तरीके से चल रही हैं, इसलिये आदिवासियों में आक्रोश है. इस आक्रोश को माओवादी हवा दे रहे हैं. लोकतंत्र को धरातल पर अगर लागू किया जाये तो माओवादियों को पनपने की जगह नहीं मिलेगी.

राममोहन ने कहा कि भारतीय संविधान में ‘पांचवी अनुसूची’ का प्रावधान है, जिसके तहत आदिवासी बहुल इलाकों में राज्यपाल को शासन का अधिकार है. लेकिन आज तक कभी भी किसी भी राज्यपाल ने संविधान के इस हक़ का पालन ही नहीं किया.

उन्होंने कहा कि आदिवासी परिषद बना कर आदिवासी बहुल इलाके में सत्ता चलाई जाती तो स्थितियां दूसरी होती. जल, जंगल, ज़मीन पर आदिवासी का हक़ होता. उनकी ज़मीन से निकलने वाले खनिज से उन्हें लाभ मिलता. लेकिन स्थितियां दूसरी हैं. आदिवासी अपनी ही ज़मीन से खदेड़े जा रहे हैं.

राममोहन ने कहा कि संविधान में बहुत साफ साफ लिखा है कि पांचवीं अनुसूची के इलाके में राज्यपाल का शासन होगा. लेकिन पद पर बने रहने के कारण कोई भी राज्यपाल इस विषय को छूने से भी कतराता है. यह लोकतंत्र के हक़ में नहीं है.

छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल केएम सेठ का उदाहरण देते हुये राममोहन ने कहा कि राज्यपाल सेठ के साथ मेरे अच्छे संबंध रहे हैं और वे ईमानदार माने जाते हैं. उन्हें मैंने पांचवीं अनुसूची के बारे में समझाने की कोशिश की तो उन्होंने अपने क़ानूनी सलाहकार का हवाला दे कर कुछ भी करने से इंकार कर दिया. राममोहन ने कहा- सरकार को लूट की छूट दे कर आदिवासी हितों की रक्षा का अगर आप ढोंग करेंगे तो इससे लोकतंत्र कमज़ोर ही होगा.

माओवादियों की राजनीति का विरोध करने वाले राममोहन का कहना है कि यह दुर्भाग्य है कि बस्तर के इलाके में किसी ने आदिवासियों की समझने जानने की कोशिश ही नहीं की. उन्हें माओवादियों ने हाथ दिया और वे माओवादियों के साथ खड़े हो गये. यह हमारी सबसे बड़ी विफलता है.

**

2 comments:

  1. To avoid another Sukma, be fair to the tribal people of India. Accept dignified and rightful existence of the tribal people. Respect the constitution of India.Respect 5th Scheduled area act, 6th Scheduled area act, CNT act, SPT act, PESA act, Samtha Judgement, Forest Rights Act 2006 etc.

    ReplyDelete
  2. 👌 provide all basic needs with constitutional judgment to local tribes to avoid naxlism

    ReplyDelete