बस्तर की दशा और दिशा बदलने सभी संगठन एकजुट हो – आप
January 24, 2017
निचोड़
शांति के प्रणेता आये मंच साझा करें – आप
जगदलपुर. आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी एवं कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को स्थानीय निषाद भवन में पत्रवार्ता आयोजित कर बस्तर की विभिन्न ज्वलंत मुद्दों एवं विसंगतियों के निराकरण को लेकर पत्रकारों से विस्तृत चर्चा की. जिसमे वेलमलेंद्रा, पेद्दागेलुर, चिन्नगेल्लुर एवं गोम्पाड सहित बस्तर के संवेदनशील क्षेत्रों में हो रही विभिन्न घटनाओं के सम्बन्ध में अपना मत रखा और बस्तर में शान्ति बाहाल करने की मुहिम में सभी संगठनों से एकगुट हो संयुक्त प्रयास करने की अपील की.
गौरतलब है कि विगत दिनों उच्च न्यायालय के आदेश पर एन. एच.आर.सी सहित 8 सदस्यीय जांच समिति वेलमलेंद्रा, पेद्दागेलुर, चिन्नगेल्लुर गयी थी जिसमे सोनी सोरी सहित आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता शामिल थे. जांच के दौरान संवेदनशील क्षेत्रों में आप कार्यकर्ताओं को बड़ी विसंगतियों और भयावह माहोल का अनुभव मिला.
पत्रवार्ता के माध्यम से “आप” ने सभी सामजिक संगठनों से बस्तर में शान्ति बहाल करने का उपाय तलाशने एक मंच पर चर्चा विमर्श करने अपील की है. पत्रकारों से चर्चा के दौरान आप नेत्री सोनी सोरी ने कहा, कि बस्तर की महिलाओं को सरकार निशाना बना रही है, अंदरुनी इलाकों में आये दिन महिला उत्पीड़न, बलात्कार और प्रताड़ना की घटनाएं होना आम बात हो गयी है, जिन पर शासन की ओर से किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती है. ऐसी घटनाओं के विरोध और आदिवासी हित में आवाज़ उठाने वाले लोगों को बस्तर विरोधी करार दिया जा कर बस्तर छोड़ने पर विवश कर दिया जाता है. उन्होंने कहा, कि “बस्तर छोड़ो” जैसे भद्दे नारों से वे बहुत आहत हुयी हैं, ये नारे चाहे किसी आदिवासी के लिए हों, गैरआदिवासी के लिए हों या फिर बस्तर में रहने वाले किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय के व्यक्ति के लिए उपयोग किये गए हों, बस्तर का हर रहवासी शान्ति और अमनपसंद है, और सभी अपने अपने स्तर पर शान्ति बहाल करने में योगदान दे रहे हैं, ऐसे में व्यक्तिविशेष को चिन्हित और भयाक्रांत कर बस्तर छोड़ने पर विवश करना बस्तर की संस्कृति के खिलाफ है, इतिहास गवाह है कि बस्तर ने हर धर्म, जाति और समुदाय को सहृदय अपनाया है, तो फिर अब स्थानीय या बाहरी होने की बात को मुद्दा बना कर बस्तर का अपमान क्यों किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि ना केवल आदिवासी बल्कि बस्तर में रहने वाला हर व्यक्ति बस्तरवासी है.
पत्रकारों के पूछे हुए सवाल पर, कि बस्तर के पीड़ित लोगों के हित में वे व्यक्तिगत रूप से क्या कदम उठाने जा रही हैं, उन्होंने बताया, कि जल्द ही बस्तर के ग्रामीण अंचल की पीड़ित महिलाओं की समिति, जिसमे वे स्वयं भी शामिल होंगी, बना कर सभी जनप्रतिनिधियों से संपर्क साध कर उनके हितों की रक्षा की मांग रखी जायेगी.
वार्ता के दौरान लोकसभा संयोजक रोहित सिंह आर्य ने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को समाज के हित में अपना योगदान देने का पूर्ण अधिकार है, कोई संघ संगठन अथवा समुदाय इसका हनन नहीं कर सकता. एक तरफ सरकार विकास के बड़े बड़े दावे करती है, और दूसरी तरफ एक ही दिशा में चलने के बावजूद समाज में वैमनस्य पैदा कर ऐसी स्थितियां निर्मित की जा रही है जिसके कारण बस्तर के ग्रामीण अंचलों का विकास महज कागजी रौनक साबित हो रहा है.
पत्रवार्ता में जगमोहन बघेल, परमेश राजा, भावेश सतपथी, समीर खान, विवेक शर्मा, सुकल प्रसाद नाग, त्रिपत यालम, शिल्पी, रामदेव, नवनीत सहित अन्य कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे .
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January 24, 2017
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जगदलपुर. आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी एवं कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को स्थानीय निषाद भवन में पत्रवार्ता आयोजित कर बस्तर की विभिन्न ज्वलंत मुद्दों एवं विसंगतियों के निराकरण को लेकर पत्रकारों से विस्तृत चर्चा की. जिसमे वेलमलेंद्रा, पेद्दागेलुर, चिन्नगेल्लुर एवं गोम्पाड सहित बस्तर के संवेदनशील क्षेत्रों में हो रही विभिन्न घटनाओं के सम्बन्ध में अपना मत रखा और बस्तर में शान्ति बाहाल करने की मुहिम में सभी संगठनों से एकगुट हो संयुक्त प्रयास करने की अपील की.
गौरतलब है कि विगत दिनों उच्च न्यायालय के आदेश पर एन. एच.आर.सी सहित 8 सदस्यीय जांच समिति वेलमलेंद्रा, पेद्दागेलुर, चिन्नगेल्लुर गयी थी जिसमे सोनी सोरी सहित आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता शामिल थे. जांच के दौरान संवेदनशील क्षेत्रों में आप कार्यकर्ताओं को बड़ी विसंगतियों और भयावह माहोल का अनुभव मिला.
पत्रवार्ता के माध्यम से “आप” ने सभी सामजिक संगठनों से बस्तर में शान्ति बहाल करने का उपाय तलाशने एक मंच पर चर्चा विमर्श करने अपील की है. पत्रकारों से चर्चा के दौरान आप नेत्री सोनी सोरी ने कहा, कि बस्तर की महिलाओं को सरकार निशाना बना रही है, अंदरुनी इलाकों में आये दिन महिला उत्पीड़न, बलात्कार और प्रताड़ना की घटनाएं होना आम बात हो गयी है, जिन पर शासन की ओर से किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती है. ऐसी घटनाओं के विरोध और आदिवासी हित में आवाज़ उठाने वाले लोगों को बस्तर विरोधी करार दिया जा कर बस्तर छोड़ने पर विवश कर दिया जाता है. उन्होंने कहा, कि “बस्तर छोड़ो” जैसे भद्दे नारों से वे बहुत आहत हुयी हैं, ये नारे चाहे किसी आदिवासी के लिए हों, गैरआदिवासी के लिए हों या फिर बस्तर में रहने वाले किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय के व्यक्ति के लिए उपयोग किये गए हों, बस्तर का हर रहवासी शान्ति और अमनपसंद है, और सभी अपने अपने स्तर पर शान्ति बहाल करने में योगदान दे रहे हैं, ऐसे में व्यक्तिविशेष को चिन्हित और भयाक्रांत कर बस्तर छोड़ने पर विवश करना बस्तर की संस्कृति के खिलाफ है, इतिहास गवाह है कि बस्तर ने हर धर्म, जाति और समुदाय को सहृदय अपनाया है, तो फिर अब स्थानीय या बाहरी होने की बात को मुद्दा बना कर बस्तर का अपमान क्यों किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि ना केवल आदिवासी बल्कि बस्तर में रहने वाला हर व्यक्ति बस्तरवासी है.
पत्रकारों के पूछे हुए सवाल पर, कि बस्तर के पीड़ित लोगों के हित में वे व्यक्तिगत रूप से क्या कदम उठाने जा रही हैं, उन्होंने बताया, कि जल्द ही बस्तर के ग्रामीण अंचल की पीड़ित महिलाओं की समिति, जिसमे वे स्वयं भी शामिल होंगी, बना कर सभी जनप्रतिनिधियों से संपर्क साध कर उनके हितों की रक्षा की मांग रखी जायेगी.
वार्ता के दौरान लोकसभा संयोजक रोहित सिंह आर्य ने कहा कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को समाज के हित में अपना योगदान देने का पूर्ण अधिकार है, कोई संघ संगठन अथवा समुदाय इसका हनन नहीं कर सकता. एक तरफ सरकार विकास के बड़े बड़े दावे करती है, और दूसरी तरफ एक ही दिशा में चलने के बावजूद समाज में वैमनस्य पैदा कर ऐसी स्थितियां निर्मित की जा रही है जिसके कारण बस्तर के ग्रामीण अंचलों का विकास महज कागजी रौनक साबित हो रहा है.
पत्रवार्ता में जगमोहन बघेल, परमेश राजा, भावेश सतपथी, समीर खान, विवेक शर्मा, सुकल प्रसाद नाग, त्रिपत यालम, शिल्पी, रामदेव, नवनीत सहित अन्य कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे .
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