मनीष कुंजाम ने कहा, सरकार का नक्सलियों को नहीं आदिवासियों को मारना मकसद
2017-01-07 23:48:13
नक्सलवाद का खात्मा हिंसा से नहीं बल्कि बुनियादी सुविधाएं और शिक्षा की रोशनी पहुंचाकर किया जा सकता है। ये बातें अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की शनिवार को बड़ांजी में आयोजित सभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने कहीं। उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार ने नक्सली के नाम पर बस्तर से आदिवासियों को ही खत्म करने का इरादा कर लिया है।
लोहांडीगुड़ा से टाटा का बाय बाय करने के बाद किसानो को उनकी अधिग्रहीत जमीन आधिकारिक रूप से कैसे वापस दिलाई जाए, इसके लिए यह सभा रखी गई थी, जिसमें सर्वआदिवासी समाज, अंतरराष्ट्रीय ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों सहित आदिवासियों से जुड़े कई समाज के पदाधिकारी और टाटा से प्रभावित किसान शामिल हुए। टाटा कंपनी के क्षेत्र को छोड़कर चले को इन्होंने अपनी जीत की पहली सीढ़ी बताया। इस दौरान 10 गांवो के बड़ी संख्या में प्रभावित किसान पहुंचे थे। इस दौरान देवी देवताओं के छत्र भी लाए गए थे।
सभा मे पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि पहले तो चुनाव के समय सरकारें आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाती हैं और बाद में उन्हीं की धज्जियां उड़ा देती हैं। पूर्व सांसद सोहन पोटाई ने आदिवासी जनप्रतिनिधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि समाज के ही कुछ गद्दार लोग आदिवासियों को लूट रहे हैं। सर्वआदिवासी समाज के राजाराम तोड़ेम, ट्रेड यूनियन नेत्री अमरजीत कौर, निरंजन दास सहित अन्य वक्ताओं ने भी सभा को संबोधित किया।
अधिकारों के लिए लड़ो तो नक्सली
मनीष कुंजाम ने कहा कि बस्तर में अभी एक अलग सा माहौल चल रहा है। यहां का आदिवासी यदि अपने अधिकार की बात करता है, तो उसे नक्सली घोषित कर दिया जाता है। यदि अपने अधिकारों और आदिवासियों का मदद करना माओवाद है, तो उन्हें जो समझना है समझे हम अपना काम करते रहेंगे। उन्होंने आईजी पर निशाना साधते हुए कहा कि बस्तर के आदिवासियों की जमीने छीनने के लिए सरकार ने बस्तर में इन्हें बैठाया है।
4 माह में पुलिस ने 6 लोगों को घर से निकालकर बेवजह मौत के घाट उतार दिया। इसमें बुरगुम में पढऩे वाले बच्चे भी शामिल हैं। अग्नि संगठन को भी असंवैधानिक बताते हुए कहा कि पुलिस व राज्य सरकार द्वारा पोषित संस्था है।
मर जाएंगे लेकिन नहीं देंगे अपनी जमीन
यहां पहुंचे टाटा प्रभावित किसान साहब सिंह बघेल अपने बंदर बजरंगी के साथ पहुंचे थे। उनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रशासन ने बहुत जबरदस्ती कर उनकी जमीन ली, इसके बदले न मुआवजा मिला और न कोई सहायता। अब तो मर जाएंगे लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। इस दौरान बजरंगी पार्टी का झंडा थामे हुए था।
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