Wednesday, January 4, 2017

तुम कुछ मी कर लो हम आवाज़ उठाते रहेंगे ही





तुम कुछ भी कर लो , हम आवाज उठाते रहेंगे .
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कल्लूरी खुलेआम लोकतंत्र को धमका रहा है , मजाक उड़ा रहा है ।  न्यायतंत्र उसके कब्जे में छट-पटा रहा है  और चुनी हुई सरकार उसके साथ खड़ी छक्के की तरह ताली बजा रही है । निरीह आदिवासी इनके हाथों बेमौत मारे जा रहे हैं , छोटे बच्चों पर भी ये गोली चला रहे हैं , बलात्कार कर रहे । इन घटनाओं की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को जेल भेजकर , धमकाकर पहले ही उसने डरा लिया है ।
 न्यायालय में इन्हें न्याय दिलाने की पहल करने वालों को भी उसने नक्सली ठहरा दिया । अब जांच और फेक्टफाईंडिंग के लिए आने वालों को भी फर्जी मामलों में जेलभेजकर उसने सच जानने वालों के बस्तर प्रवेश पर ही प्रतिबन्ध लगा लोकतंत्र को दुलत्ती लगा दिया । यह सब केवल बड़े कारपोरेट घरानों के लिए जमीन और जंगल खाली कराने के लिए किया जा रहा है ।

  तुम कुछ भी कर लो , हम आवाज उठाते रहेंगे । तुमने इस साल को बस्तर के आदिवासियों की पीड़ा के साथ खड़े वकीलों , पत्रकारों , समाजसेवियों ,बुद्दिजीवियों पर दमन के लिए घोषित किया है ना , तो सुन लो इस साल बस्तर की पीड़ा से जुड़ने वाले साथियों की संख्या और बढ़ेगी , इस हत्यारी और दमनकारी सरकार की पोल पूरी दुनिया के सामने आएगी । देश के तमाम अमन और लोकतंत्र समर्थक बुद्धिजीवियों से अपील करता हूँ कि भारी संख्या में इस साल किसी एक दिन या वर्षभर बस्तर पहुँच इनकी कारगुजारी देंखे और उजागर करें , भले ही कल्लूरी आपके पास से  भरमार , नक्सली साहित्य, पुराने 500 या हजार के नोट की जप्ती दिखा छत्तीसगढ़ राज्य जनसुरक्षा अधिनियम की कार्यवाही करे ।
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कमल शुक्ला की रिपोर्ट

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