** बस्तर पुलिस के गैर लोकतान्त्रिक और गैरक़ानूनी कार्यो को संरक्षण देना बंद करे राज्य सरकार
** गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ताओ और वकीलों को तुरंत रिहा किया जाये .
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन
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बस्तर के अन्दर लोकतान्त्रिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाते हुए स्वयं पुलिस और सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया जा रहा हैं l राज्य के अन्दर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा का दायित्व राज्य सरकार पर है, परन्तु छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार या तो कुछ पुलिस अधिकारियो के सामने लाचार हैं या फिर उसकी मंशा अनुरूप ही इन गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया जा रहा हैं l माओवादी उन्मूलन के नाम पर लगातर बेकसूर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारा जा रहा हैं l फर्जी आरोप में लोगों को जेल भेजा जा रहा हैं l
हाल ही में तेलांगना मानवाधिकार फोरम से जुड़े पत्रकार, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और छात्रो के सात सदस्यीय तथ्य परक जाँच दल को मावोवादी समर्थक होने का आरोप लगाकर जेल भेजना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि पुलिस के बेलगाम और तानाशाही रवैये को दर्शाता हैं l पुलिस द्वारा यह कार्य सिर्फ दहशत फ़ैलाने और उसके गैरकानूनी कार्यो को बेरोकटोक जारी रखने की मंशा से किया गया हैं l कल की ही घटना हैं जब सभी क़ानूनी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए बस्तर एसपी आर एन दास के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के नंबर से शालिनी को फोन कर धमकी दी गई l आदिवासियों के क़ानूनी और मानवाधिकारों के लिए कार्य कर रही वकील शालिनी गैरा को फ़साने की साजिश के तहत बस्तर पुलिस ने नोट बदलवाने की फर्जी शिकायत दर्ज की हैं l वकील प्रियंका शुक्ला को प्रताड़ित करने की कोशिश की गई l
पिछले दिनों देश की सर्वोच्च जाँच संस्था सी बी आई की रिपोर्ट ने ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर में पुलिस के द्वारा घरों को जलाये जाने सहित महिलाओं के साथ मारपीट के आरोपों की पुष्टि की हैं l परन्तु दोषी अधिकारियो पर कार्यवाही की बजाय राज्य सरकार न सिर्फ उन्हें सरंक्षण प्रदान कर रही हैं बल्कि मनमानी करने की खुली छूट दे कर रखी हैं l इसी का नतीजा हैं की पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, वकील और पत्रकारों पर स्वयं आई जी कल्लूरी के इशारे पर हमले और फर्जी मुकदमे दायर किये जा रहे हैं l
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन बस्तर पुलिस के इन गैरकानूनी कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा करता हैं और राज्य सरकार से इन मामले में हस्तक्षेप करते हुए जाँच दल की तुरंत रिहाई व फर्जी केशो को ख़त्म करने की मांग करता हैं l
भवदीय
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छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) अखिल भारतीय आदिवासी महासभा छत्तीसगढ़ किसान सभा, अखिल गोडवाना महासभा, भारत जन आन्दोलन, जनाधिकार संगठन, दलित आदिवासी मजदुर संगठन (रायगढ़) हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ इकाई) जशपुर जिला बचाओ संघर्ष समिति, किसान संघर्ष समिति (कुरूद) भूमि बचाओ संघर्ष समिति (धरमजयगढ़), मेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर) गाँव गणराज्य आन्दोलन (सरगुजा), जनशक्ति संगठन (राजनांदगांव) राष्ट्रीय बाजिव मजदूरी अधिकार मोर्चा, जनहित (बिलासपुर) आदिवासी जन वन अधिकार मंच, उधोग प्रभावित किसान संघ (बलोदाबाजार)
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** गिरफ्तार मानवाधिकार कार्यकर्ताओ और वकीलों को तुरंत रिहा किया जाये .
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन
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बस्तर के अन्दर लोकतान्त्रिक मूल्यों की धज्जियाँ उड़ाते हुए स्वयं पुलिस और सुरक्षा बलों के द्वारा लगातार गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया जा रहा हैं l राज्य के अन्दर नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा का दायित्व राज्य सरकार पर है, परन्तु छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार या तो कुछ पुलिस अधिकारियो के सामने लाचार हैं या फिर उसकी मंशा अनुरूप ही इन गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया जा रहा हैं l माओवादी उन्मूलन के नाम पर लगातर बेकसूर आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ में मारा जा रहा हैं l फर्जी आरोप में लोगों को जेल भेजा जा रहा हैं l
हाल ही में तेलांगना मानवाधिकार फोरम से जुड़े पत्रकार, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्त्ता और छात्रो के सात सदस्यीय तथ्य परक जाँच दल को मावोवादी समर्थक होने का आरोप लगाकर जेल भेजना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि पुलिस के बेलगाम और तानाशाही रवैये को दर्शाता हैं l पुलिस द्वारा यह कार्य सिर्फ दहशत फ़ैलाने और उसके गैरकानूनी कार्यो को बेरोकटोक जारी रखने की मंशा से किया गया हैं l कल की ही घटना हैं जब सभी क़ानूनी मर्यादाओं को ताक पर रखते हुए बस्तर एसपी आर एन दास के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के नंबर से शालिनी को फोन कर धमकी दी गई l आदिवासियों के क़ानूनी और मानवाधिकारों के लिए कार्य कर रही वकील शालिनी गैरा को फ़साने की साजिश के तहत बस्तर पुलिस ने नोट बदलवाने की फर्जी शिकायत दर्ज की हैं l वकील प्रियंका शुक्ला को प्रताड़ित करने की कोशिश की गई l
पिछले दिनों देश की सर्वोच्च जाँच संस्था सी बी आई की रिपोर्ट ने ताड़मेटला, मोरपल्ली और तिम्मापुर में पुलिस के द्वारा घरों को जलाये जाने सहित महिलाओं के साथ मारपीट के आरोपों की पुष्टि की हैं l परन्तु दोषी अधिकारियो पर कार्यवाही की बजाय राज्य सरकार न सिर्फ उन्हें सरंक्षण प्रदान कर रही हैं बल्कि मनमानी करने की खुली छूट दे कर रखी हैं l इसी का नतीजा हैं की पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, वकील और पत्रकारों पर स्वयं आई जी कल्लूरी के इशारे पर हमले और फर्जी मुकदमे दायर किये जा रहे हैं l
छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन बस्तर पुलिस के इन गैरकानूनी कृत्यों की कड़े शब्दों में निंदा करता हैं और राज्य सरकार से इन मामले में हस्तक्षेप करते हुए जाँच दल की तुरंत रिहाई व फर्जी केशो को ख़त्म करने की मांग करता हैं l
भवदीय
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छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति) अखिल भारतीय आदिवासी महासभा छत्तीसगढ़ किसान सभा, अखिल गोडवाना महासभा, भारत जन आन्दोलन, जनाधिकार संगठन, दलित आदिवासी मजदुर संगठन (रायगढ़) हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, आदिवासी विकास परिषद् (छत्तीसगढ़ इकाई) जशपुर जिला बचाओ संघर्ष समिति, किसान संघर्ष समिति (कुरूद) भूमि बचाओ संघर्ष समिति (धरमजयगढ़), मेहनतकश आवास अधिकार संघ (रायपुर) गाँव गणराज्य आन्दोलन (सरगुजा), जनशक्ति संगठन (राजनांदगांव) राष्ट्रीय बाजिव मजदूरी अधिकार मोर्चा, जनहित (बिलासपुर) आदिवासी जन वन अधिकार मंच, उधोग प्रभावित किसान संघ (बलोदाबाजार)
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