Tuesday, December 20, 2016

बालसिंह शोरी को घर से उठाकर नक्सली बताकर की पुलिस ने की हत्या .,परिजनों का आरोप


*** छत्तीसगढ़  हाईकोर्ट में याचिका दायर
* फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ परिजन पहुचे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट .
* बालसिंह शोरी को घर से उठाकर नक्सली बताकर की पुलिस ने की हत्या .
* हत्यारों के खिलाफ एफआईआर और पत्नी को पच्चीस लाख मुआवजे की मांग .
* अभी तीस जुलाई  2016 को हुआ था कोर्ट से दोषमुक्त .
** अधिवक्ता सतीश चंद वर्मा ने की पैरवी .
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कोण्डागांव में  लखापुरी ग्राम पंचायत के छोटाकोडेर गांव से बालसिंह शोरी की पत्नी कचरी बाई ने अपने पति की नक्सली के नाम पर पुलिस द्वारा  हत्या करने के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की है.याचिका में हत्या के दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और परिवार को 25 लाख के मुआवजे की मांग की है.
कचरी बाई के पति बालसिंह शोरी की हत्या पुलिस ने नक्सली बताते हुये फर्जी मुठभेड़ के नाम से कर दी थी .24 नवंबर की रात नौ बजे दो व्यक्ति मनारू राम पिता झगरू राम ग्राम नाहकनार एवं मेघनाथ पिता गुदडी ग्राम एहकेडी उसके पति को घर से उठाकर ले गये और कहा कि कल उसे छोड देंगे .
27 नवंबर को परिजनों को सरपंच ने बताया कि शौरी की हत्या हो गई है .मर्दापाल पुलिस ने ग्रामीणों की उपस्थित में बालसिह का शव परिजनों को सोंपा ,इसके पहले पुलिस ने उधका पोस्टमार्टम भी किया गया .लेकिन इस बाबत परिजनों को बताया भी नहीं ।पुलिस ने कहा कि उसका पति मुठभेड में मारा गया है .जबकि बालसिंह का किसी नक्सलियों से कभी कोई संम्बंध नहीं था.
इसके पहले भी कोण्डागांव पुलिस ने बालसिंह के खिलाफ फर्जी केस बना कर उन्हें जेल भेज दिया था ,उसे सत्रन्यायधीश कोण्डागांव द्वारा  30 जुलाई 2016 को धारा 147 ,307 ओर 149 के आरोपों से दोषमुक्त करते हुये न्यायालय ने कहा था कि "अगर अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में निरूध्द है व किसी अन्य प्रकरण में अभिरक्षा की जरूरत नही है तो इन्हें तत्काल रिहा किया जायें.
विद्वान अधिवक्ता सतीशचन्द्र वर्मा ने तर्क दिया कि यदि बालसिंह के खिलाफ कोई प्रकरण लंबित रहता तो उन्हें रिहा ही नही किया जाता .
याचिका में मांग की गई है कि पुलिस के और जो दो लोग इसे घर से उठाकर ले गये है उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जायें ,परिवार में किसी एक को नौकरी  और परिजन को 25 लाख का मुआवजा दिया जायें .
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