Monday, December 26, 2016

मंडी में नहीं मिला भाव तो गुस्साए किसानों ने सड़कों पर फेंका 20 ट्रैक्टर टमाटर


Photo मंडी में नहीं मिला भाव तो गुस्साए किसानों ने सड़कों पर फेंका 20 ट्रैक्टर टमाटर

2016-12-26 17:01:

<img src=http://img.patrika.com/upload/icons/photo.png alt=Photo Icon title=Photo Icon valign=middle width=16 height=16 /> मंडी में नहीं मिला भाव तो गुस्साए किसानों ने सड़कों पर फेंका 20 ट्रैक्टर टमाटर

रायपुर. नोटबंदी के 46 दिन बाद भी इसका असर कम नहीं हो रहा है। नोटबंदी का पहाड़ छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के किसानों पर टूटा है। एेसे में किसानों को मंडी में टमाटर का भाव नहीं मिलने पर उन्हें सड़कों पर फेंकना पड़ा। किसानों के इस गुस्से को देखकर वहां के लोग भौचक्के रह गए। एेसे में वहां मौजूद लोग जब तक कुछ समझ पाते, इससे पहले सड़क पर टमाटर का ढेर लग गया। चारों ओर टमाटर फैल जाने से सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लग गई।

किसानों ने बताया कि उन्होंने टमाटर यह सोच कर लगाए थे कि आमदनी अच्छी होगी। लेकिन दुर्ग व आसपास के किसानों पर नोट बंदी का पहाड़ ही टूट गया है। टमाटर का भाव बीस रुपए प्रति किलो टूट कर पचास पैसा प्रति किलो हो गया है। वहीं खुदरा मार्केट में इसे कोई मुफ्त में लेने को तैयार नहीं है।
tomatoes

परेशान होकर किसानों ने टमाटर को सड़कों पर बिखेरना ज्यादा बेहतर समझा। बाजार में आने जाने वाले रास्तों पर टमाटर ही टमाटर बिखरे पड़े हैं। नोट बंदी ने किसानों के चेहरे को टमाटर की तरह लाल करने की बजाए मुरझा दिए हैं। टमाटर की अधिक पैदावार भी किसानों के किसी काम की नहीं।
Farmers
























नोट बंदी से टूट गए किसान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊंचे मूल्य की करेंसी नोटों की बंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। विरोध कर रहे किसान ने बताया कि इस बार उम्मीद थी कि टमाटर की कीमतों में भारी उछाल आएगा। इसी भरोसे के साथ इस बार बड़े पैमाने पर टमाटर की फसल ली। लेकिन नोट बंदी की वजह से अब कोई भी टमाटर लेने को तैयार ही नहीं है। हालत ये है कि कोचिए भी टमाटर नहीं उठा रहे हैं।
मालूम हो कि इससे पहले भी दिसंबर माह में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पसीने की उपज का भाव नहीं मिलने से सैकड़ों किसानों ने सड़कों पर टमाटर बिखेर दिया था। जिससे यहां पैदल चल पाना भी दूभर हो गया था। सड़कों पर जगह-जगह टमाटर का ढेर लग जाने से वाहनों की लंबी कतार लग गई थी। पसीने की उपज का किसानों को भाव नहीं मिलने से सैकड़ों किसानों ने सड़क पर पहुंच कर सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की थी।

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