मंडी में नहीं मिला भाव तो गुस्साए किसानों ने सड़कों पर फेंका 20 ट्रैक्टर टमाटर
2016-12-26 17:01:
किसानों ने बताया कि उन्होंने टमाटर यह सोच कर लगाए थे कि आमदनी अच्छी होगी। लेकिन दुर्ग व आसपास के किसानों पर नोट बंदी का पहाड़ ही टूट गया है। टमाटर का भाव बीस रुपए प्रति किलो टूट कर पचास पैसा प्रति किलो हो गया है। वहीं खुदरा मार्केट में इसे कोई मुफ्त में लेने को तैयार नहीं है।
परेशान होकर किसानों ने टमाटर को सड़कों पर बिखेरना ज्यादा बेहतर समझा। बाजार में आने जाने वाले रास्तों पर टमाटर ही टमाटर बिखरे पड़े हैं। नोट बंदी ने किसानों के चेहरे को टमाटर की तरह लाल करने की बजाए मुरझा दिए हैं। टमाटर की अधिक पैदावार भी किसानों के किसी काम की नहीं।
नोट बंदी से टूट गए किसान
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऊंचे मूल्य की करेंसी नोटों की बंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी है। विरोध कर रहे किसान ने बताया कि इस बार उम्मीद थी कि टमाटर की कीमतों में भारी उछाल आएगा। इसी भरोसे के साथ इस बार बड़े पैमाने पर टमाटर की फसल ली। लेकिन नोट बंदी की वजह से अब कोई भी टमाटर लेने को तैयार ही नहीं है। हालत ये है कि कोचिए भी टमाटर नहीं उठा रहे हैं।मालूम हो कि इससे पहले भी दिसंबर माह में छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में पसीने की उपज का भाव नहीं मिलने से सैकड़ों किसानों ने सड़कों पर टमाटर बिखेर दिया था। जिससे यहां पैदल चल पाना भी दूभर हो गया था। सड़कों पर जगह-जगह टमाटर का ढेर लग जाने से वाहनों की लंबी कतार लग गई थी। पसीने की उपज का किसानों को भाव नहीं मिलने से सैकड़ों किसानों ने सड़क पर पहुंच कर सरकार के विरोध में नारेबाजी भी की थी।
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