प्रति,
श्री श्रीनिवास कामथ
राष्ट्रीय.......
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
ब्लाक सी, गी.पी.ओ काम्प्लेक्स, ईएनऐ
नई दिल्ली, 110023
विषय: पीयूसीएल मीटिंग में भाग लेने वाले पत्रकार, वकील, शिक्षाविद और गांवासियों का दंतेवाडा पुलिस द्वारा शोषण
महोदय,
आपका ध्यान दंतेवाडा जिला बस्तर डिवीज़न में पुलिस द्वारा पीयूसीएल मीटिंग में भाग लेने वाले पत्रकार, वकील, शिक्षाविद के शोषण और धमकाने की स्थिति पर केन्द्रित करना चाहेंगे.
19.12.2016 को पी यू सी एल ने दंदेवाडा जिला के मातेनर गाँव में आदिवासी अधिकारों पर एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया था. इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पहले से ही दे दी गयी थी (अन्नेक्षर 1 देखें). इस बैठक में अलग अलग जिलों से आये लगभग 100 गाँव वासियों ने हिस्सा लिया. साथ में देश भर से आये 25-30 सामाजिक कार्यकर्ताओ और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. बैठक में गाँव वालों ने अपनी कठिनायों और अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में बताया. पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी की गयी और उसे मीडिया के साथ साझा भी किया गया (अनेक्षर 2 देखें). भाग लेने वाले कुछ सदस्य उसी दिन रात को चले गए, और कुछ अगली सुबह निकलने से लिए वहीँ रुके.
अगले दिन, 20.12.2016 को सुबह लगभग 9 बजे, कुछ सदस्य, जिनका नाम अरित्र भट्टाचार्य (पत्रकार, स्टेट्समैन अखबार), अतीन्द्रियो चक्रबर्ती (वकील, कोल्कता उच्च न्यायलय), पी पावनी (पत्रकार, हैदराबाद), कावेरी (प्रोफेसर/वैज्ञानिक, अशोका विश्वविधालय), प्रियंका शुक्ला (वकील, बिलासपुर), निकिता अगरवाल (वकील, नई दिल्ली), और कुछ गाँव वासी, बैठक की जगह से एक किराये की गाडी से निकेले. जैसे ही वे 150 मीटर की दुरी तक चले, लगभग 10-15 लोगों ने, कुछ पुलिस वर्दी में, और कुछ सादे कपड़ों में थे, उन्हें रोका. उन में से एक पुलिस अधिकारी ने अपनी पह्चान कोतवाली थाना, दंतेवाडा का सब-इंस्पेक्टर रजक बताई. जैसे ही गाडी रुकी, एक पुलिसवाले ने किसे से फ़ोन पे कहा “हमने उन्हें पकड़ लिया है”. इसके बाद वो हमसे पूछताछ करने लगे, हमारी जानकारी और फोटो ली. फोटो लेने वाले पुलिसवाले ने कहा की उनको “ऊपर से आदेश” आये हैं. बैठक के बारे में जानकारी बेवजह आक्रामक थी, जबकि सारी जानकारी श्री रजक को पहले ही दे दी गयी थी. गैर कानूनी और हस्तक्षेप करने वाले आदेशों के बावजूद, बहस टालने के लिए उन्हें सारी जानकारी और फोटो दे दी गयी.
किसे पता था की एक सरकारी अधिकारी को विश्वसनीयता और ज़िम्मेदारी से दी गयी निजी जानकारी और तसवीरें कई व्हात्सप्प ग्रुपों पर एक श्री फारुख अली (नंबर 9424287654) पर साझा कर दी जाएँगी. इन ग्रुपों में पुलिस डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी जैसे श्री एस आर पी कल्लूरी, एस पी सुकमा, एस पी दंतेवाडा, और अन्य कई पत्रकार, जैसे ई टी वी से, शामिल हैं. इन ग्रुपों के मेसेजिस और सदस्यों के स्क्रीनशॉट अन्नेक्षर 3 में संलग्न है. श्री फारुख अली बस्तर संघर्ष समिति और एक नए विजिलान्ते समूह “एक्शन ग्रुप फॉर नेशनल इंटीग्रेशन (अग्नि)” के सदस्य हैं. इस से पहले वे अब भंग कर दिए गए समूह “सामाजिक एकता मंच” के भी सदस्य रहे हैं. यह तसवीरें विभिन्न व्हात्सप्प समूहों को इस मेसेज के साथ भेजी गयी:
“बस्तर मॆ फ़िर एक बार नक्सली समर्थन मॆ JNU कि घुसपैट.....
दिल्ली से आये Jnu के कुछ संदिग्ध लोग !दंतेवाड़ा जिला कटेकल्याण ग्राम मटेनार मॆ घुसे झूट बोलकर,किया सरकारी भवन का उपयोग ! 19-12-2016को दिल्ली JNU के छात्र जिनके नाम अतिंद्रेवा,चक्रवती,अरिटो भटाचार्य,कावेरी,प्रियंका शुक्ला,P.पावनी पहुँचे ग्राम मटेनार ये कहकर कि ई.आवास का फोटो खीचना है एवं बैंक खाता मॆ आधार न.जोड़ने कहकर घुसे ! गांव वालों को इखट्टा करके शुरू किया भाषण बाजी !Jnu छात्रों द्वारा ग्राम के युवकों को भड़काया गया कि फोर्स बलात्कार करती है आदिवासियों कि हत्या करती है !नक्सलियों के समर्थन मॆ फ़िर एक बार jnu कि गहरी चाल !ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले नामा कोम्माकोलेंग मॆ पत्रकार बनकर नंद्नि सुन्दर गांव वालों को नक्सलियों का साथ देने कि बात कही थी !ग्रामीणों द्वारा सामनाथ बघेल के नेतृत्व मॆ नंद्नि सुन्दर एवं अन्य के खिलाफ fir दर्ज कराया गया था !उसके कुछ महीने बाद सामनाथ बघेल कि नक्सलियों ने हत्या करदी थी !
फ़िर एक बार jnu का बस्तर मॆ धोके से घुसना बस्तर के लिये खतरे का संकेत है !बस्तर पुलिस को करनी होगी कार्यवाही !
फारुख अल
बस्तर संघर्ष समिति"
न सिर्फ यह मेसेज पूरी तरह गलत है, यह अपमानजनक और उत्तेजक भी है. और भी ज्यादा दुखद यह है की दंतेवाडा पुलिस के द्वारा 20.12.2016 को ली गयी वही तस्वीरें इस मेसेज के साथ डाली गयी हैं. यह कैसे हो सकता है की पुलिस अफसर द्वारा सरकारी काम के लिए ली गयी तसवीरें एक फारुख अली जैसे व्यक्ति, जिसका पुलिस डिपार्टमेंट से कोई तालुक नहीं हैं, और जो सामाजिक कार्यकर्ताओं को सताने के लिए जाना जाता है, के पास आ गयी. गोपनीयता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसका दंतेवाडा पुलिस ने पूरी तरह से हनन किया है. यह पुलिस और ऐसे विजिलान्ते समूहों की साझेदारी को उजागर करता है.
यह भी ज्ञात हो की यह मेसेज पूरी तरह तथ्यों के आधार पर गलत है. इन 6 लोगों में से कोई भी jnu से नहीं है, और jnu का इस्तेमाल केवल ‘राजविरोधी’ तत्वों से जोड़ने के लिए किया गया है. यह भी सोचने की बात है कि अगर कोई jnu से हो भी तो उसे भारत का नागरिक होने के नाते बस्तर में आने की पूरी आजादी है. साथ ही, कोई जबरन या गैरकानूनी तरीके से किसी भी सरकारी बिल्डिंग पर कब्ज़ा नहीं किया गया. न ही किसी ने सरकार के खिलाफ कोई भाषण दिया.
बैठक पंचायत भवन में गाँव के लोगों ने आयोजित की थी जो उनका अधिकार है. स्थानीय प्रशासन को पहले ही कार्यक्रम और जगह की सूचना दे दी गयी थी. इस कार्यक्रम का मकसद स्थानीय आदिवासी लोगों को पी यू सी एल के राष्ट्रिय प्रतिनिधियों से मिलवाना और नागरिक अधिकारों पर चर्चा करना था. बैठक में ठीक यही हुआ और स्थानीय मीडिया में भी आया.
ज्ञात हो की श्री सुकुल प्रसाद नाग/ बरसे, मातेनर के निवासी, जिन्होंने इस बैठक का आयोजन करने में मदद करी, का भी शोषण बस्तर पुलिस द्वारा हुआ और उन्हें धमकाया भी गया. इस पर एक शिकायत पी यू सी एल ने NHRC से की है.
यह हमला इस इलाके में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर चले आ रहे हमलो की कड़ी में है. माननीय अध्यक्ष, NHRC, ने 9 दिसम्बर, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के मनावाधिकार कार्यकर्ताओं के डेकलारेशन के पास होने का दिन है, की प्रेस रिलीज़ में कहा था की “मानवाधिकार के लिए लड़ने वालों के हित की सुरक्षा करना देश का दायित्व है”. मगर ऐसा लगता है की छत्तीसगढ़ के बस्तर में सिर्फ और सिर्फ डर का मोहौल है.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बचने अपने दायित्व को पूरा करने के लिए, हम माननीय आयोग से प्रार्थना करते हैं की इस विषय पर तुरंत कार्यवाही करें.
भवदीय
प्रियंका शुक्ला
वकील, बिलासपुर.
श्री श्रीनिवास कामथ
राष्ट्रीय.......
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
ब्लाक सी, गी.पी.ओ काम्प्लेक्स, ईएनऐ
नई दिल्ली, 110023
विषय: पीयूसीएल मीटिंग में भाग लेने वाले पत्रकार, वकील, शिक्षाविद और गांवासियों का दंतेवाडा पुलिस द्वारा शोषण
महोदय,
आपका ध्यान दंतेवाडा जिला बस्तर डिवीज़न में पुलिस द्वारा पीयूसीएल मीटिंग में भाग लेने वाले पत्रकार, वकील, शिक्षाविद के शोषण और धमकाने की स्थिति पर केन्द्रित करना चाहेंगे.
19.12.2016 को पी यू सी एल ने दंदेवाडा जिला के मातेनर गाँव में आदिवासी अधिकारों पर एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया था. इसकी जानकारी जिला प्रशासन को पहले से ही दे दी गयी थी (अन्नेक्षर 1 देखें). इस बैठक में अलग अलग जिलों से आये लगभग 100 गाँव वासियों ने हिस्सा लिया. साथ में देश भर से आये 25-30 सामाजिक कार्यकर्ताओ और छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. बैठक में गाँव वालों ने अपनी कठिनायों और अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में बताया. पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी की गयी और उसे मीडिया के साथ साझा भी किया गया (अनेक्षर 2 देखें). भाग लेने वाले कुछ सदस्य उसी दिन रात को चले गए, और कुछ अगली सुबह निकलने से लिए वहीँ रुके.
अगले दिन, 20.12.2016 को सुबह लगभग 9 बजे, कुछ सदस्य, जिनका नाम अरित्र भट्टाचार्य (पत्रकार, स्टेट्समैन अखबार), अतीन्द्रियो चक्रबर्ती (वकील, कोल्कता उच्च न्यायलय), पी पावनी (पत्रकार, हैदराबाद), कावेरी (प्रोफेसर/वैज्ञानिक, अशोका विश्वविधालय), प्रियंका शुक्ला (वकील, बिलासपुर), निकिता अगरवाल (वकील, नई दिल्ली), और कुछ गाँव वासी, बैठक की जगह से एक किराये की गाडी से निकेले. जैसे ही वे 150 मीटर की दुरी तक चले, लगभग 10-15 लोगों ने, कुछ पुलिस वर्दी में, और कुछ सादे कपड़ों में थे, उन्हें रोका. उन में से एक पुलिस अधिकारी ने अपनी पह्चान कोतवाली थाना, दंतेवाडा का सब-इंस्पेक्टर रजक बताई. जैसे ही गाडी रुकी, एक पुलिसवाले ने किसे से फ़ोन पे कहा “हमने उन्हें पकड़ लिया है”. इसके बाद वो हमसे पूछताछ करने लगे, हमारी जानकारी और फोटो ली. फोटो लेने वाले पुलिसवाले ने कहा की उनको “ऊपर से आदेश” आये हैं. बैठक के बारे में जानकारी बेवजह आक्रामक थी, जबकि सारी जानकारी श्री रजक को पहले ही दे दी गयी थी. गैर कानूनी और हस्तक्षेप करने वाले आदेशों के बावजूद, बहस टालने के लिए उन्हें सारी जानकारी और फोटो दे दी गयी.
किसे पता था की एक सरकारी अधिकारी को विश्वसनीयता और ज़िम्मेदारी से दी गयी निजी जानकारी और तसवीरें कई व्हात्सप्प ग्रुपों पर एक श्री फारुख अली (नंबर 9424287654) पर साझा कर दी जाएँगी. इन ग्रुपों में पुलिस डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी जैसे श्री एस आर पी कल्लूरी, एस पी सुकमा, एस पी दंतेवाडा, और अन्य कई पत्रकार, जैसे ई टी वी से, शामिल हैं. इन ग्रुपों के मेसेजिस और सदस्यों के स्क्रीनशॉट अन्नेक्षर 3 में संलग्न है. श्री फारुख अली बस्तर संघर्ष समिति और एक नए विजिलान्ते समूह “एक्शन ग्रुप फॉर नेशनल इंटीग्रेशन (अग्नि)” के सदस्य हैं. इस से पहले वे अब भंग कर दिए गए समूह “सामाजिक एकता मंच” के भी सदस्य रहे हैं. यह तसवीरें विभिन्न व्हात्सप्प समूहों को इस मेसेज के साथ भेजी गयी:
“बस्तर मॆ फ़िर एक बार नक्सली समर्थन मॆ JNU कि घुसपैट.....
दिल्ली से आये Jnu के कुछ संदिग्ध लोग !दंतेवाड़ा जिला कटेकल्याण ग्राम मटेनार मॆ घुसे झूट बोलकर,किया सरकारी भवन का उपयोग ! 19-12-2016को दिल्ली JNU के छात्र जिनके नाम अतिंद्रेवा,चक्रवती,अरिटो भटाचार्य,कावेरी,प्रियंका शुक्ला,P.पावनी पहुँचे ग्राम मटेनार ये कहकर कि ई.आवास का फोटो खीचना है एवं बैंक खाता मॆ आधार न.जोड़ने कहकर घुसे ! गांव वालों को इखट्टा करके शुरू किया भाषण बाजी !Jnu छात्रों द्वारा ग्राम के युवकों को भड़काया गया कि फोर्स बलात्कार करती है आदिवासियों कि हत्या करती है !नक्सलियों के समर्थन मॆ फ़िर एक बार jnu कि गहरी चाल !ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले नामा कोम्माकोलेंग मॆ पत्रकार बनकर नंद्नि सुन्दर गांव वालों को नक्सलियों का साथ देने कि बात कही थी !ग्रामीणों द्वारा सामनाथ बघेल के नेतृत्व मॆ नंद्नि सुन्दर एवं अन्य के खिलाफ fir दर्ज कराया गया था !उसके कुछ महीने बाद सामनाथ बघेल कि नक्सलियों ने हत्या करदी थी !
फ़िर एक बार jnu का बस्तर मॆ धोके से घुसना बस्तर के लिये खतरे का संकेत है !बस्तर पुलिस को करनी होगी कार्यवाही !
फारुख अल
बस्तर संघर्ष समिति"
न सिर्फ यह मेसेज पूरी तरह गलत है, यह अपमानजनक और उत्तेजक भी है. और भी ज्यादा दुखद यह है की दंतेवाडा पुलिस के द्वारा 20.12.2016 को ली गयी वही तस्वीरें इस मेसेज के साथ डाली गयी हैं. यह कैसे हो सकता है की पुलिस अफसर द्वारा सरकारी काम के लिए ली गयी तसवीरें एक फारुख अली जैसे व्यक्ति, जिसका पुलिस डिपार्टमेंट से कोई तालुक नहीं हैं, और जो सामाजिक कार्यकर्ताओं को सताने के लिए जाना जाता है, के पास आ गयी. गोपनीयता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसका दंतेवाडा पुलिस ने पूरी तरह से हनन किया है. यह पुलिस और ऐसे विजिलान्ते समूहों की साझेदारी को उजागर करता है.
यह भी ज्ञात हो की यह मेसेज पूरी तरह तथ्यों के आधार पर गलत है. इन 6 लोगों में से कोई भी jnu से नहीं है, और jnu का इस्तेमाल केवल ‘राजविरोधी’ तत्वों से जोड़ने के लिए किया गया है. यह भी सोचने की बात है कि अगर कोई jnu से हो भी तो उसे भारत का नागरिक होने के नाते बस्तर में आने की पूरी आजादी है. साथ ही, कोई जबरन या गैरकानूनी तरीके से किसी भी सरकारी बिल्डिंग पर कब्ज़ा नहीं किया गया. न ही किसी ने सरकार के खिलाफ कोई भाषण दिया.
बैठक पंचायत भवन में गाँव के लोगों ने आयोजित की थी जो उनका अधिकार है. स्थानीय प्रशासन को पहले ही कार्यक्रम और जगह की सूचना दे दी गयी थी. इस कार्यक्रम का मकसद स्थानीय आदिवासी लोगों को पी यू सी एल के राष्ट्रिय प्रतिनिधियों से मिलवाना और नागरिक अधिकारों पर चर्चा करना था. बैठक में ठीक यही हुआ और स्थानीय मीडिया में भी आया.
ज्ञात हो की श्री सुकुल प्रसाद नाग/ बरसे, मातेनर के निवासी, जिन्होंने इस बैठक का आयोजन करने में मदद करी, का भी शोषण बस्तर पुलिस द्वारा हुआ और उन्हें धमकाया भी गया. इस पर एक शिकायत पी यू सी एल ने NHRC से की है.
यह हमला इस इलाके में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर चले आ रहे हमलो की कड़ी में है. माननीय अध्यक्ष, NHRC, ने 9 दिसम्बर, जो संयुक्त राष्ट्र संघ के मनावाधिकार कार्यकर्ताओं के डेकलारेशन के पास होने का दिन है, की प्रेस रिलीज़ में कहा था की “मानवाधिकार के लिए लड़ने वालों के हित की सुरक्षा करना देश का दायित्व है”. मगर ऐसा लगता है की छत्तीसगढ़ के बस्तर में सिर्फ और सिर्फ डर का मोहौल है.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को बचने अपने दायित्व को पूरा करने के लिए, हम माननीय आयोग से प्रार्थना करते हैं की इस विषय पर तुरंत कार्यवाही करें.
भवदीय
प्रियंका शुक्ला
वकील, बिलासपुर.
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