Monday, December 19, 2016

सोनी सोरी समेत पीयूसीएल ने पीडि़तों की जुबानी सुनी बर्बरता की दास्तान.


* राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद  पीयूसीएल का  तीस सदस्यीय राष्ट्रीय दल दंतेवाड़ा के मटेनार पहुचा.

* सोनी सोरी समेत पीयूसीएल ने पीडि़तों की जुबानी सुनी बर्बरता की दास्तान.

**  दंतेवाड़ा ,सुकमा  और बीजापुर से 45 पीड़ित परिवारों के सौ से ज्यादा लोगों ने सुनाई अपनी व्यथा .

* आदिवासियों की मौत और बलात्कार  को लेकर पुलिस और अर्ध  सैनिक बलों को जिम्मेदार ठहराया

* प्रभावित परिवार है उनका दर्द उन्हीं के जुबानी औरों तक पहुंचाने के मकसद से एक मंच पर लाने का निर्णय  लिया गया है
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दंतेवाड़ा. पुलिस प्रताडऩा समेत कथित मुठभेड़ों में मारे जा रहे नाबालिग व निरीह लोगों के पीडि़त परिवारों का दुखड़ा जानने शासन- प्रशासन से पहले आप नेत्री व सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी सोमवार को मटेनार पहुंचीं।

सोनी के साथ ही पीयूसीएल कार्यकर्ताओं का एक दल भी मटेनार पहुंचा। इन लोगों की आमद की खबर मिलते ही मटेनार सहित दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले से 100 से अधिक पुलिसिया अत्याचार से पीडि़त आदिवासी उनसे मिलने पहुंच गए थे।

पीयृूसीएल के राष्ट्रीय महासचिव वी सुरेश, सोनी सोढ़ी के अलावा नक्सल मामलों के बंदियों की पैरवी कर रहे अधिवक्ताओं के साथ वरिष्ठ पत्रकारों ने पीडि़त आदिवासियों से आमने-सामने चर्चा की। इन लोगों को पुलिस बर्बरता की दास्तान सुनाने एड़समेटा, सारकीगुड़ा समेत तथाकथित मुठभेड़ मामलों के 40 से अधिक पीडि़त परिवार सामने आए थे।

पीडि़तों ने एक स्वर में घटनाओं का जिक्र करते हुए आदिवासियों की मौत को लेकर पुलिस और अर्ध  सैनिक बलों को जिम्मेदार ठहराया ।
 गोंडी और हिंदी में ग्रामीणों की व्यथा को सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आडियो-वीडियो में रिकार्डिंग की गई .

बैठक की जानकारी जुटाने पुलिस दिन भर जुटी रही

जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूर इस बैठक की जानकारी लगने के बाद पुलिस महकमा भी चौकन्ना नजर आया। इधर इस बैठक के परिप्रेक्ष्य में आप नेत्री सोनी सोढ़ी का कहना था कि माओवाद उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों पर पुलिसिया अत्याचार, बर्बरता जैसे मुद्दो को बेखौफ लगातार उठाते रहेंगे।

प्रभावित परिवार है उनका दर्द उन्हीं के जुबानी औरों तक पहुंचाने के मकसद से एक मंच पर लाने का निर्णय उन्होंने लिया गया है। आगे भी ऐसा किया जाता रहेगा। पीयूसीएल के माध्यम से पत्रकार, समाज सेवी, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को आज उनसे सीधे मुखातिब होने का मौका मिला है। सोनी ने यह भी कहा कि पीडि़त परिवारों के लिए तैयार इस मंच को शीघ्र नाम भी दे दिया जाएगा।

मानवाधिकारों का खुलेआम हनन
पीयूसीएल के जनरल सेक्रेटरी व्ही सुरेश का कहना था कि बस्तर में पुलिस की ज्यादती से मानवाधिकारों का खुलेआम हनन हो रहा है। समस्या के खात्मे के लिए नक्सली संगठन और सरकार में आपसी सुलह होनी चाहिए। शांति वार्ता की पेशकश होनी चाहिए। ऐसा न कर माओवाद उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों को प्रताडि़त किया जा रहा है। हालात ऐसे है कि प्रेस पर भी अघोषित प्रतिबंध लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि पीडि़त परिवारों के जरिए फर्जी एंकाउंटर और पुलिसिया बर्बरता की शिकायतें सुनने को मिली है। मानवाधिकारों को लेकर संघ की तरफ से पीडि़तों को न्याय दिलाने की कोशिश होगी।

इस दौरान सुकमा और दंतेवाड़ा जिले से भी बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीणों ने भी फर्जी मुठभेड़ व महिलाओं से ज्यादती मामलों को दल के सामने रखने पहुंचे हुए थे। गोमपाड़ प्रकरण के अलावा कई प्रकरणों में ग्रामीणों ने पुलिस पर नक्सलियों की वर्दी पहनाकर गोली मारने जैसे संगीन आरोप भी लगाए।

हाल में नोटबंदी को लेकर भी उपस्थित ग्रामीणों का कहना था कि फैसले के बाद से अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीणों के लिए और भी मुश्किलें बढ़ गई है। नोट बदलवाने पहुंचे ग्रामीणों को संदिग्ध माना जाता है। गंगालूर क्षेत्र में व्यापारियों के द्वारा आदिवासियों को लूटने की शिकायत भी इन सामाजिक कार्यकर्ताओं से की।
राष्ट्रीय दल में सुप्रीम कोर्ट के वकील, सामाजिक कार्यकर्ता,दिल्ली ,कर्नाटक ,तामिलनाडु ,मुम्बई , ,राजस्थान  ,उप्र ,गुजरात , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से करीब तीस लोग शामिल थे.
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