सोनी सोरी ने पत्रकार वार्ता में पुलिस पर लगाये गंभीर आरोप .
** जंगल में मीटिंग लें तो हमें नक्सली कहते है, गांव में घुसने पर लगाते हैं रोक.
** धमकी दी है कि जेएनयू और पीयूसीएल के लोगों को बुलाकर सरकारी भवन में बैठक करवाया, इसके लिए सजा दूंगा.
* जब सरकार ने उन्हे नक्सलवाद के आरोप में जेल में डाला,जमानत के बाद छग में रहने पर ही रोक लगा दी, जेएनयू के वही लोग थे जिन्होंने पनाह दी .
* सैना ने पट्टे की जमीन पर बिना ग्रामसभा से अनुमति लेकर कैम्प बना लिये ,इसके खिलाफ कोर्ट जायेंगे .
* । हिंसा ठीक नही है। पुलिस करे चाहे माओवादी। बस्तर के आदिवासियों को ही मरना पड़ रहा है.
* एसडीएम दंतेवाड़ा से लिखित में अनुमति मांग गई थी बैठक की ,कागजात पेश किये प्रेस कांफ्रेंस में सोनी ने .
* सोनी सोरी ने कहा कि पुलिस प्रताड़ना के शिकार ही नहीं नक्सल पीड़ितों को भी सामने लाएंगे। इसके लिए कोशिश की जा रही है.
* जेएनयू के छात्र घर में भी रहेंगे और जंगल भी घूमेंगे ही . पुलिस अधिकारी ने आदिवासी नेता सुकुल नाग सकता कहा कि जेएनयू के लोगों के लिए टैंकर में पानी लाते हो, उन्हें बोरिंग का पानी भी पिलाया अब सज़ा भुगतने को तैयार हो जाओ .
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दंतेवाड़ा. खुफिया विभाग के मौजूद होने के बाद भी मटेनार में हुई पीयूसीएल की बैठक पर पुलिस ने नाराजगी जाहिर की है। मंगलवार को पुलिस ने मटेनार गांव में जाकर बैठक करवाने वाले आप नेता सुकुलधर नाग को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान गंभीर आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कोई बिहार का खुद को बताने वाला पुलिस अधिकारी आया था, उसने खूब धमकाया है। इस अधिकारी ने कहा कि किससे पूछकर यहां पीयूसीएल की बैठक की गई थी।
पंचायत भवन और टैंकर के पानी को कैसे इस्तेमाल किया। इन सभी सवालों के जवाब थाने में आ कर दो। आखिर आदिवासी जाए तो कहां जाए। अपनी बात को अपने दर्द को किससे कहे। इस तरह के सवाल पुलिस पर सुकुलधर नाग ने खड़े किए। सोनी सोढ़ी ने कहा कि पुलिस के लिए तो हर जगह नक्सली है। आदिवासी मीटिंग जंगल में कर रहा है तो नक्सली कहलाया।
यदि उसने गांव में मीटिंग और अपनी दर्द किसी संस्था या उचित स्थान पर रखी तो उस पर भी सवाल जबाब दो। आखिर अपना दर्द कहा रखे किसके पास जाए। मामले को कोर्ट में लगाओ तो गवाहों की शामत आ जाती है। कोर्ट से जब तक न्याय मिलता तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। पुलिस की बर्बरता से अब आदिवासी परेशान हो चुका है।
पत्रकारों ने भी इसबार सोनी सोढ़ी को सवालों के घेरे में खड़ा किया। सोनी से पूछा कि बाखिर पुलिस पताडऩा के लोग ही आसानी से आपके पास आ जाते हैं। आखिर नक्सली हिंसा के लोग क्यों दूरी बना रहे हैं। नक्सली पीडि़तों का भी दर्द भी तो मानव अधिकार संगठनों के लिए जानने का विषय है।
इस पर सोनी ने दो टूक शब्दों में कहा बस्तर में कोई संस्था आए दर्द दोनों ओर का बांटना होगा। इस बैठक में पुलिस प्रताडि़त लोग आए थे, माओवाद पीडि़तों को भी बुलाने का प्रयास किया गया था। हिंसा ठीक नही है। पुलिस करे चाहे माओवादी। बस्तर के आदिवासियों को ही मरना पड़ रहा है।
* पट्टों की जमीन पर बना दिए कैंप
सरकार कहीं भी कैंप स्थापित करती है और जब चाहे थाना बनाती है। इन लोगों से ग्रामीणों ने पूछा क्यो स्थापित हो रहे है। ग्राम सभा ने कभी अनुमति नहीं दी फिर कैसे केंप स्थापित हो गये .
।सोरी ने कैंपो पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से पुलिस आदिवासी भाईयों को परेशान कर रही है तो अब पुलिस को भी वह परेशान करेगी। दो कैंप है जो किसानों की पट्टे की जमीन पर बनाए गए हैं।
* लेंड्रा से आई थी अनाचार पीडि़ता
सोनी सोरी के साथ बीजापुर के वो महिलाएं भी आई थी जो पुलिस प्रताडऩा की शिकार हुई थी। करीब 6 माह पहले बीजापुर के लेंड्रा गांव में सर्चिंग के लिए गई फोर्स पर आरोप लगाया गया था कि उनके साथ अनाचार हुआ है। इन महिलाओं ने भी पत्रकारों के सामने अपनी बात कही।
* जेएनयू के लोग घर में रहेंगे व बस्तर घूमेंगे
प्रेसवार्ता के दौरान सोनी सोरी ने कहा कि पुलिस जेएनयू के स्टूडेंट को पूूछती है, और कहती है उनसे हमारी गहरी दोस्ती है. ये दोस्ती तब से है जब सरकार ने उन्हे नक्सलवाद के आरोप में जेल में डाला,जमानत के बाद छग में रहने पर ही रोक लगा दी, ये वही हैं जिन्होंने पनाह दी थी।
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पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लीबर्टिज पीयूसीएल के सदस्य और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सोमवार को मटेनार में एकत्र होकर कथित पुलिस प्रताड़ना के शिकार ग्रामीणों की आप बीती सुनी और न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। इसके बाद पुलिस मटेनार के किसान और आप पार्टी के सदस्य सुकलधर नाग को परेशान करने लगी है।
यह आरोप लगाते सुकुलधर और आप नेत्री सोनी सोरी ने बुधवार को मीडिया को बताया कि एक पुलिस अफसर ने गांव पहुंचकर सुकुलधर को धमकी भी दी है कि जेएनयू के लोगों को बुलाए थे और बिना अनुमति के पंचायत भवन में ठहराया। जबकि पुलिस प्रताड़ना के शिकार ग्रामीणों की व्यथा सुनने पीयूसीएल के लोग मटेनार पहुंचे थे। इसकी जानकारी प्रशासन को दी गई थी, बावजूद पुलिस सुकुलधर को परेशान करते कोतवाली में बुलाया है।
बुधवार को स्थानीय सर्किट हाउस में आप नेत्री सोनी सोरी, सुकुलधर नाग ने मीडिया को बताया कि बैठक में पीयूसीएल और जेएनयू के लोग मटेनार पहुंचे थे। जिन्होंने पंचायत भवन में बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के ग्रामीणों से उनके साथ हुए अत्याचार के संबंध में जानकारी ली और वापस लौट गए।
इसके बाद मंगलवार को एक पुलिस अधिकारी गांव पहुंचकर सुकुलधर को धमकी दी है कि जेएनयू और पीयूसीएल के लोगों को बुलाकर सरकारी भवन में बैठक करवाया, इसके लिए सजा दूंगा।
सुकुलधर के अनुसार पुलिस अधिकारी ने कहा कि जेएनयू के लोगों के लिए टैंकर में पानी लाते हो, उन्हें बोरिंग का पानी पिलाना था। तुम अपनी बात रखने के लिए दंतेवाड़ा थाने पहुंचना। सुकुलधर का कहना है कि हम गांव में मीटिंग नहीं लें तो क्या जंगल में जाएं। जंगल में बैठक रखेंगे तो फिर दूसरा आरोप लगेगा।
मीडिया से चर्चा के दौरान आप नेता सुकुलधर नाग सहित मटेनार बैठक में शामिल रहीं और पुलिस प्रताड़ना की शिकार ग्राम बेलननेंड्रा (बासागुड़ा) की 9 महिलाएं भी मौजूद थी। महिलाओं ने गोंडी में कहा कि वे अपनी आप बीती और न्याय पाने की उम्मीद में मटेनार पहुंची थी तथा वहीं बात कही, जो उनके साथ पुलिस ने किया।
* प्रशासन से मिली है अनुमति
सोनी सोरी ने कहा कि बैठक की अनुमति प्रशासन से ली गई थी। बैठक शांति से हुई है, इसमें भी प्रशासन को तकलीफ हो रही है और हमें परेशान किया जा रहा है।
सोनी सोरी ने कहा कि जब मुझे बस्तर से बाहर रहने कहा गया था, तब मुझे जेएनयू ने शरण दिया था। अभी मैंने ही उन्हें बुलाया था। बस्तर के लोगों को न्याय दिलाने में सभी का सहयोग लूंगी। मटेनार में पीयूसीएल की बैठक पर अनुमति के सवाल पर कहा कि प्रशासन खुद पट्टे की जमीन पर कब्जा कर सालों से सीआरपीएफ का कैंप लगा रखा है, यह भी तो गैरवाजिब है। जबकि किसान खेती-किसानी के लिए तरस रहा है। इस पर सवाल उठाया जाएगा।
* नक्सल पीड़ितों को लाएंगे सामने
मीडिया के एक सवाल पर सोनी सोरी ने कहा कि पुलिस प्रताड़ना के शिकार ही नहीं नक्सल पीड़ितों को भी सामने लाएंगे। इसके लिए कोशिश की जा रही है। पीड़ित परिवार नक्सलियों के खिलाफ बोलने से डरते हैं। सोनी ने कहा वह सुजीत राठौर सहित बुरगुम में नक्सलियों के हाथों मारे गए लोगों के परिजनों से स्वयं मिल चुकी है। लेकिन वे नक्सलियों से काफी भयभीत हैं और सामने आने से डरते हैं। बावजूद हम लोग उनके लिए भी कार्य करेंगे और नक्सलियों के खिलाफ भी आवाज उठाएंगे।
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( पत्रिका और नई दुनियाँ की रिपोर्ट के आधार पर )
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