ग्वालियर। व्यापम व डीमेट फर्जीवाड़े के आरोपी माने जा रहे योगेशचन्द्र उपरीत की लम्बे समय से बनी हुई खामोशी के पीछे गहरा गुस्सा छिपा हुआ है। उपरीत कहते हैं कि मीडिया में इतनी हिम्मत नहीं कि सच को छाप सके।
डीमेट व व्यापम फर्जीवाड़ा संबंधी स्वयं से जुड़ी अखबारों में छपी जानकारियों को वास्तविकता से परे उपरीत ने बताया है। यहां पर यह सवाल उठता है कि जब वह सच नहीं हैं तो सच क्या है? जानकारी के अनुसार पिछले दिनों योगेश चन्द्र उपरीत से कुछ मीडिया कर्मियों ने बात करने का प्रयास किया, उनके डीमेट व व्यापम फर्जीवाड़े से जुड़े कई सवाल पत्रकारों ने किये, इस बात पर वह झल्ला गये। उन्होंने कहा किसी भी पत्रकार व मीडिया में इतनी हिम्मत नही हैं, जो सच्चाई को छाप सके। उन्होंने कहा कि उनके संबंध में अब तक जो भी प्रकाशित हुआ है अथवा चैनलों पर दिखाया गया है वह सब वास्तविकता से बहुत दूर है।
सच क्या है ? इस सवाल के जबाव में उपरीत ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। क्या उपरीत को मीडिया पर भरोसा नहीं या फिर उपरीत को सरकारी मशीनरी से भय है कारण जो भी हो, लेकिन उपरीत के द्वारा गुस्से में कहीं गई बातों के पीछे कोई अहम सच्चाई छिपी प्रतीत होती है। जिसकी वजह से इसकी जांच सफेदपोश नेताओं और बड़े अफसरों तक पहुंच सकती है।
पुलिस बयान कैसे लेती है आप स्वयं जानते हो
यदि आप सच्चाई सामने लाना चाहते हो तो पुलिस को दिये गये बयानों में सच्चाई क्यों नहीं बताई ? इस सवाल के जबाव में उपरीत ने कहा कि आप स्वयं ही जानते हो कि पुलिस किस तरह बयान लेती है। इससे साफ जाहिर है कि पुलिस ने उपरीत से जो बयान लिये हैं, उससे उपरीत असंतुष्ट है मतलब साफ है कि उपरीत ने जो बात जिस ढंग से कहना चाह रहे थे, पुलिस ने उनके बयानों में ठीक बैसे ही नहीं रखा। उपरीत द्वारा कही गई बात से पुलिस की कार्यवाही पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं। उपरीत का कहना हैं कि अखबारों में छपा है कि योगेष चन्द्र उपरीत को पुलिस गिरफ्तार करके लाई है, उन्होंने कहा कि यह सत्य नही हैं, मैं स्वयं ही पुलिस के पास आया था। मैं अस्पताल में इलाज करा रहा था तभी पुलिस वहां पर पहुंची थी। पुलिस ने वहां पर मुझे एक नोटिस थमाया और चली आई, इसके बाद मैं स्वयं ही पुलिस के पास पहुंचा। उपरीत ने पत्रकारों से हमेशा दूरी बनाई रखी, कुछ पत्रकारों ने जेल में भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने दूरी बनाये रखी।
सीबीआई तीन माह पूर्व न्यायिक हिरासत में पहुंचे उपरीत से प्री-पीजी और डीमेट के बारे में पूछताछ कर रही है, बीमार होने के कारण उनकी जमानत नहीं हो पा रही। सीबीआई के विरोध के कारण उनकी जमानत भी कैंसिल भी हुई है। अभी सीबीआई को केवल व्यापम घोटाले की जांच सौंपी गई है। सीबीआई के अधिकारी किसके इशारे पर डीमेट के संबंध में योगेश उपरीत से पूछताछ कर रहे हैं, यह सवाल अहम हैं। हो सकता है कि अधिकारियों की सोच हो कि स्वास्थ्य खराब होने के कारण हर बात पूछ ली जाये, क्योंकि प्रोटेस्ट कैंसर का उपरीत मरीज है। उपरीत का कहना हैं कि एसआईटी ने दफ्तर बयान के बुलाया था वहां धोखा कर गिरफ्तार कर लिया।
डीमेट में किया था गड़बड़ियों का खुलासा
सूत्रों के अनुसार गिरफत में आने के बाद योगेश उपरीत ने खुलासा किया था कि डीमेट में काॅलेज कोटे के 100 फीसदी सिलेक्शन गोले काले कर किये जाते हैं। एडमिशन के लिये पहले ही मौटी रकम लेकर तय हो जाता है कि किसका सिलेक्षन होना हैं। उपरीत ने हर चिकित्सा मंत्री को 10 करोड़ रूपया उसकी नियुक्ति पर देने का भी खुलासा किया था। इससे भी कई बड़े लोग सीबीआई की गिरफत में आ सकते हैं, अब देखना हैं कि सीबीआई उन बयानों पर क्या करती है।
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