अर्जुन की लाश जगदलपुर अस्पताल में पड़ी है
अर्जुन कौन है ? .
थोड़ा पीछे चलते हैं
मां बाप का दुलारा अर्जुन छत्तीसगढ़ के चाँदमेट्टा गांव में अपने माता पिता के पास रहता था
अर्जुन की उम्र तेरह साल थी
माता पिता खेती करते थे , अर्जुन बकरियाँ चराता था
एक दिन अर्जुन गांव से सटे जंगल में बकरियों चरा रहा था
तभी वहाँ सुरक्षा बल की टुकड़ी आ गई
सैनिकों ने अर्जुन को पकड़ लिया
सैनिकों ने अर्जुन को बहुत मारा
उसके बाद सैनिकों ने अर्जुन को थाने में बन्द कर दिया
अर्जुन पर नक्सलवादी होने का मामला बना कर उसे जेल में डाल दिया
एक पत्रकार सन्तोष यादव ने इस बारे मे सोनी सोरी को बताया
पुलिस ने पत्रकार सन्तोष यादव को जेल मे डाल दिया
सन्तोष यादव की कहानी यहीं छोड़ते हैं
वापिस अर्जुन की कहानी पर
सोनी सोरी ने अर्जुन का मामला मानवाधिकार वकील शालिनी गेरा को दिया
वकील शालिनी गेरा ने कोर्ट मे साबित किया कि अर्जुन नाबालिग है
कोर्ट ने अर्जुन को जेल से रिहा कर के बाल सुधार गृह में भेज दिया
वकील ने कोर्ट में सिद्ध कर दिया कि अर्जुन निर्दोष है
अदालत ने अर्जुन को जमानत पर रिहा कर दिया
इससे छत्तीसगढ़ सरकार चिढ़ गई
वकील शालिनी गेरा और उनके सहयोगियों को पुलिस ने बस्तर से निकाल दिया
सोनी सोरी के चेहरे पर पुलिस ने तेज़ाब डाल दिया
और अभी जब सोनी सोरी आदिवासी अधिकार यात्रा मे व्यस्त थी
पुलिस ने जाकर बकरियां चरा रहे किशोर अर्जुन को गोली मार दी
इस घटना का अर्थ समझते हैं आप ?
इसका अर्थ है आप किसी निर्दोष आदिवासी की मदद करने की जुर्रत मत कीजिये
अगर आप किसी निर्दोष आदिवासी को ज़मानत पर रिहा करा लेंगे
तो पुलिस जाकर उस आदिवासी को गोली से उड़ा देगी
आदिवासियों के मामले में सरकार कोर्ट की भी नहीं मानेगी
अब युद्ध बिल्कुल सीधा है
एक तरफ भारतीय सैन्य बल है
दूसरी तरफ आदिवासी है
बीच में से वकील , कोर्ट पत्रकार , सबको हटा दिया गया है
सेनायें अम्बानी अदानी, जिंदल , टाटा के लिये ज़मीने छीनने के लिये आदिवासियों को मारेगी
इन कंपनियों के गुलाम शहरी , अपने हत्यारे सैनिकों के गुण गायेंगे
आदिवासी जान बचाने के लिये हमारे सैनिकों से लड़ेगा
हम आदिवासी को नक्सली घोषित कर देंगे
जगदलपुर अस्पताल में अर्जुन की लाश नहीं पड़ी है
ध्यान से देखिये वह भारतीय संविधान, भारतीय लोकतन्त्र और भारतीय संस्कृति की लाश है
आइये मिल कर शोक मनायें
हिमांशु कुमार
अर्जुन कौन है ? .
थोड़ा पीछे चलते हैं
मां बाप का दुलारा अर्जुन छत्तीसगढ़ के चाँदमेट्टा गांव में अपने माता पिता के पास रहता था
अर्जुन की उम्र तेरह साल थी
माता पिता खेती करते थे , अर्जुन बकरियाँ चराता था
एक दिन अर्जुन गांव से सटे जंगल में बकरियों चरा रहा था
तभी वहाँ सुरक्षा बल की टुकड़ी आ गई
सैनिकों ने अर्जुन को पकड़ लिया
सैनिकों ने अर्जुन को बहुत मारा
उसके बाद सैनिकों ने अर्जुन को थाने में बन्द कर दिया
अर्जुन पर नक्सलवादी होने का मामला बना कर उसे जेल में डाल दिया
एक पत्रकार सन्तोष यादव ने इस बारे मे सोनी सोरी को बताया
पुलिस ने पत्रकार सन्तोष यादव को जेल मे डाल दिया
सन्तोष यादव की कहानी यहीं छोड़ते हैं
वापिस अर्जुन की कहानी पर
सोनी सोरी ने अर्जुन का मामला मानवाधिकार वकील शालिनी गेरा को दिया
वकील शालिनी गेरा ने कोर्ट मे साबित किया कि अर्जुन नाबालिग है
कोर्ट ने अर्जुन को जेल से रिहा कर के बाल सुधार गृह में भेज दिया
वकील ने कोर्ट में सिद्ध कर दिया कि अर्जुन निर्दोष है
अदालत ने अर्जुन को जमानत पर रिहा कर दिया
इससे छत्तीसगढ़ सरकार चिढ़ गई
वकील शालिनी गेरा और उनके सहयोगियों को पुलिस ने बस्तर से निकाल दिया
सोनी सोरी के चेहरे पर पुलिस ने तेज़ाब डाल दिया
और अभी जब सोनी सोरी आदिवासी अधिकार यात्रा मे व्यस्त थी
पुलिस ने जाकर बकरियां चरा रहे किशोर अर्जुन को गोली मार दी
इस घटना का अर्थ समझते हैं आप ?
इसका अर्थ है आप किसी निर्दोष आदिवासी की मदद करने की जुर्रत मत कीजिये
अगर आप किसी निर्दोष आदिवासी को ज़मानत पर रिहा करा लेंगे
तो पुलिस जाकर उस आदिवासी को गोली से उड़ा देगी
आदिवासियों के मामले में सरकार कोर्ट की भी नहीं मानेगी
अब युद्ध बिल्कुल सीधा है
एक तरफ भारतीय सैन्य बल है
दूसरी तरफ आदिवासी है
बीच में से वकील , कोर्ट पत्रकार , सबको हटा दिया गया है
सेनायें अम्बानी अदानी, जिंदल , टाटा के लिये ज़मीने छीनने के लिये आदिवासियों को मारेगी
इन कंपनियों के गुलाम शहरी , अपने हत्यारे सैनिकों के गुण गायेंगे
आदिवासी जान बचाने के लिये हमारे सैनिकों से लड़ेगा
हम आदिवासी को नक्सली घोषित कर देंगे
जगदलपुर अस्पताल में अर्जुन की लाश नहीं पड़ी है
ध्यान से देखिये वह भारतीय संविधान, भारतीय लोकतन्त्र और भारतीय संस्कृति की लाश है
आइये मिल कर शोक मनायें
हिमांशु कुमार
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