Saturday, August 20, 2016

अर्जुन की लाश जगदलपुर अस्पताल में पड़ी है

अर्जुन कौन है ? .
थोड़ा पीछे चलते हैं

मां बाप का दुलारा अर्जुन छत्तीसगढ़ के चाँदमेट्टा गांव में अपने माता पिता के पास रहता था
अर्जुन की उम्र तेरह साल थी
माता पिता खेती करते थे , अर्जुन बकरियाँ चराता था
एक दिन अर्जुन गांव से सटे जंगल में बकरियों चरा रहा था
तभी वहाँ सुरक्षा बल की टुकड़ी आ गई
सैनिकों ने अर्जुन को पकड़ लिया
सैनिकों ने अर्जुन को बहुत मारा
उसके बाद सैनिकों ने अर्जुन को थाने में बन्द कर दिया
अर्जुन पर नक्सलवादी होने का मामला बना कर उसे जेल में डाल दिया
एक पत्रकार सन्तोष यादव ने इस बारे मे सोनी सोरी को बताया
पुलिस ने पत्रकार सन्तोष यादव को जेल मे डाल दिया
सन्तोष यादव की कहानी यहीं छोड़ते हैं
वापिस अर्जुन की कहानी पर
सोनी सोरी ने अर्जुन का मामला मानवाधिकार वकील शालिनी गेरा को दिया
वकील शालिनी गेरा ने कोर्ट मे साबित किया कि अर्जुन नाबालिग है
कोर्ट ने अर्जुन को जेल से रिहा कर के बाल सुधार गृह में भेज दिया
वकील ने कोर्ट में सिद्ध कर दिया कि अर्जुन निर्दोष है
अदालत ने अर्जुन को जमानत पर रिहा कर दिया
इससे छत्तीसगढ़ सरकार चिढ़ गई
वकील शालिनी गेरा और उनके सहयोगियों को पुलिस ने बस्तर से निकाल दिया
सोनी सोरी के चेहरे पर पुलिस ने तेज़ाब डाल दिया
और अभी जब सोनी सोरी आदिवासी अधिकार यात्रा मे व्यस्त थी
पुलिस ने जाकर बकरियां चरा रहे किशोर अर्जुन को गोली मार दी
इस घटना का अर्थ समझते हैं आप ?
इसका अर्थ है आप किसी निर्दोष आदिवासी की मदद करने की जुर्रत मत कीजिये
अगर आप किसी निर्दोष आदिवासी को ज़मानत पर रिहा करा लेंगे
तो पुलिस जाकर उस आदिवासी को गोली से उड़ा देगी
आदिवासियों के मामले में सरकार कोर्ट की भी नहीं मानेगी
अब युद्ध बिल्कुल सीधा है
एक तरफ भारतीय सैन्य बल है
दूसरी तरफ आदिवासी है
बीच में से वकील , कोर्ट पत्रकार , सबको हटा दिया गया है
सेनायें अम्बानी अदानी, जिंदल , टाटा के लिये ज़मीने छीनने के लिये आदिवासियों को मारेगी
इन कंपनियों के गुलाम शहरी , अपने हत्यारे सैनिकों के गुण गायेंगे
आदिवासी जान बचाने के लिये हमारे सैनिकों से लड़ेगा
हम आदिवासी को नक्सली घोषित कर देंगे
जगदलपुर अस्पताल में अर्जुन की लाश नहीं पड़ी है
ध्यान से देखिये वह भारतीय संविधान, भारतीय लोकतन्त्र और भारतीय संस्कृति की लाश है
आइये मिल कर शोक मनायें
बस्तर की पुलिस का लोकतंत्र और न्यायपालिका पर भरोसा नहीं ,
न्यायलय से बरी और जमानत पर छूटे ग्रामीणों की कर रही हत्या
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       एक तरफ आजादी के 69 साल बाद गोमपाड़ में तिरंगा फहरा कर सोनी सोरी देश के लोकतंत्र और संविधान के प्रति आदिवासियों का विश्वास जगा रही थी , तो ठीक इसी समय बस्तर के आईजी शिवराम प्रसाद कल्लूरी और बस्तर के पुलिस अधीक्षक राजेंद्र नारायण दास प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वतंत्रता दिवस की भेंट के नामपर देश के संविधान , लोकतंत्र और कानून की हत्या करते हुए एक आदिवासी युवक को उसके घर से उठाकर बलि देने का षड्यंत्र कर रहे थे |


      माचकोट एलजीएस सदस्य और जनमिलिशिया कमांडर बताकर जिस अर्जुन को आजादी की वर्षगांठ की रात मारा गया है , वह अभी जमानत पर जेल से बाहर आया था | इसी बस्तर पुलिस ने उसे 17 की उम्र में ही फर्जी मामलों में गिरफ्तार कर सालभर पहले गैरकानूनी ढंग से जेल भेज दिया था , पिछले दो महीने पहले ही उसे जमानत मिला था | वह अपनी पेशी में भी बराबर उपस्थित हो रहा था | पुलिस उसके खिलाफ कोई मजबूत साक्ष्य भी नहीं जुटा पाई थी , तो अब उसे खुद ही सजा दे दी
| पुलिस प्रवक्ताओं ने इसे नाम लेकर बस्तर एसपी और कल्लूरी की बहादुरी बताया है |
        बस्तर पुलिस पहले भी जेल से बाईज्जत बरी होकर आये कई निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली बताकर ईनामी नक्सली बता कर मार चुकी है
 गोमपाड़ के हिड़मा को भी जेल से छूटकर आने के मात्र सात दिन बाद ही एक लाख का ईनामी बता कर मार दिया गया था |
 सुकमा पुलिस तो फर्जी मामलों से  बाईज्जत बरी हो चुके आयता को तीन बार फिर से पकड़ कर जेल भेज चुकी है |
 मैं देशभर के पत्रकारों को आमंत्रित करता हूँ कि वे कानून और न्यायालय पर भरोसा नहीं करने वाली बस्तर की पुलिस के इन आपराधिक कृत्यों को देश के सामने लाकर इन्हें सजा दिलाने में सहयोग करें |
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