" मडकम हिड़मे़ नद मुड अइमकी दादा ....सोनी दीदी ने केसिम "
मड़कम हिड़मे मत होने देना रे भाई...सोनी दीदी को बता देना.
*पुलिस जब तीन आदिवासी लडकियों को बाज़ार से उठाकर गाड़ी में भरकर लेजाने लगी तब उनमें से एक लडकी ने हिम्मत करके चिल्ला कर कहा .
* सोनी ही बची है एक आस कि वह बचायेगी इन आताताइयों से.
पुलिस बोली जान प्यारी है तो माओवादियों के बारे में बताओ .
*सोशल मीडिया में विरोध होने पर तीनों को छोड़ा.
* पुलिस ने कल अपने सोशल मीडिया पर इस घटना को झूठा बताया था ,कहा था यह मानवाधिकार वादीयो की बनाई कहानी है .
*****
(पत्रिका)
सुकमा जिले में मड़कम हिड़में की मौत पर सवालों में घिरी पुलिस के माओवादी होने के शक़ में तीन आदिवासी लड़कियों को जबरन थाने ले जाने और बंदूक दिखा कर धमकाने का मामला सामने आया है .
बाद में सोशल मीडिया पर हो हल्ला होने पर पुलिस ने यह कहते हुये रिहा कर दिया कि हर हफ्ते थाने आकर बताएं कि कब माओवादी गांव में आते है.
सामाजिक कार्यकर्रता हिमांशु कुमार ने बताया कि ये लड़कियाँ पुलिस की मुठभेड़ में मारी गई हिडमे़ के पास के किन्दरेपाल और वेल्लपोचा गांव की है. तीनों ही इंग्रेम साप्ताहिक बाज़ार में खरीददारी करने गई थीं.
दोपहर में एक गाडी में भरकर पुलिस के लोग आये और कुछ ग्रामीणों के साथ तीनों लडकियों को उठाकर ले गये.
कुछ दूर जाकर पुरूषों को तो छोड दिया लेकिन तीनों लडकियों को कोंटा थाने ले गये. हिमांशु के अनुसार जब पुलिस पर संघठनों का दबाव बना तो तीनों को यह कहकर छोड दिया कि वे हर गुरुवार थाने आकर हमसे मिलेगी यदि नहीं आई तो हम फिर तुम्हें घर से उठा ले जायेंगे.
**एक लडकी ने दिखाई हिम्मत
रिहा हुये ग्रामीणों ने बताया कि जब तीनों लडकियों को पुलिस गाड़ी में ले जा रही थी तो उनमें से एक लडकी ने हिम्मत करके गोंडी में चिल्लाया कि
"मडकम हिड़मे़ नद मुड अइमकी दादा ....सोनी दीदी ने केसिम "
मड़कम हिड़मे मत होने देना रे भाई...सोनी दीदी को बता देना.
सोनी सोरी ने बताया कि माओवादी होने के शक़ में लडकियाँ रातभर भूखीप्यासी थाने में बैठी रही.
*एसपी ही बतायेंगे
कोंटा के थाना प्रभारी एवन साहू ने कहा कि "में कुछ नहीं बोलूंगा जो भी बतायेंगे वह एसपी सुकमा ही बोलेंगे.
* हमने सबको रिहा कर दिया -एसपी सुकमा
"यह सही है कि माओवादी होने के शक में कुछ ग्रमीणों को पकड़ा था ,लेकिन बाद में सबको रिहा कर दिया है ,लडकियाँ भी रिहा कर दी गई है ,हम किसी को मुखबिर नही बनाना चाहते"
******
मड़कम हिड़मे मत होने देना रे भाई...सोनी दीदी को बता देना.
*पुलिस जब तीन आदिवासी लडकियों को बाज़ार से उठाकर गाड़ी में भरकर लेजाने लगी तब उनमें से एक लडकी ने हिम्मत करके चिल्ला कर कहा .
* सोनी ही बची है एक आस कि वह बचायेगी इन आताताइयों से.
पुलिस बोली जान प्यारी है तो माओवादियों के बारे में बताओ .
*सोशल मीडिया में विरोध होने पर तीनों को छोड़ा.
* पुलिस ने कल अपने सोशल मीडिया पर इस घटना को झूठा बताया था ,कहा था यह मानवाधिकार वादीयो की बनाई कहानी है .
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(पत्रिका)
सुकमा जिले में मड़कम हिड़में की मौत पर सवालों में घिरी पुलिस के माओवादी होने के शक़ में तीन आदिवासी लड़कियों को जबरन थाने ले जाने और बंदूक दिखा कर धमकाने का मामला सामने आया है .
बाद में सोशल मीडिया पर हो हल्ला होने पर पुलिस ने यह कहते हुये रिहा कर दिया कि हर हफ्ते थाने आकर बताएं कि कब माओवादी गांव में आते है.
सामाजिक कार्यकर्रता हिमांशु कुमार ने बताया कि ये लड़कियाँ पुलिस की मुठभेड़ में मारी गई हिडमे़ के पास के किन्दरेपाल और वेल्लपोचा गांव की है. तीनों ही इंग्रेम साप्ताहिक बाज़ार में खरीददारी करने गई थीं.
दोपहर में एक गाडी में भरकर पुलिस के लोग आये और कुछ ग्रामीणों के साथ तीनों लडकियों को उठाकर ले गये.
कुछ दूर जाकर पुरूषों को तो छोड दिया लेकिन तीनों लडकियों को कोंटा थाने ले गये. हिमांशु के अनुसार जब पुलिस पर संघठनों का दबाव बना तो तीनों को यह कहकर छोड दिया कि वे हर गुरुवार थाने आकर हमसे मिलेगी यदि नहीं आई तो हम फिर तुम्हें घर से उठा ले जायेंगे.
**एक लडकी ने दिखाई हिम्मत
रिहा हुये ग्रामीणों ने बताया कि जब तीनों लडकियों को पुलिस गाड़ी में ले जा रही थी तो उनमें से एक लडकी ने हिम्मत करके गोंडी में चिल्लाया कि
"मडकम हिड़मे़ नद मुड अइमकी दादा ....सोनी दीदी ने केसिम "
मड़कम हिड़मे मत होने देना रे भाई...सोनी दीदी को बता देना.
सोनी सोरी ने बताया कि माओवादी होने के शक़ में लडकियाँ रातभर भूखीप्यासी थाने में बैठी रही.
*एसपी ही बतायेंगे
कोंटा के थाना प्रभारी एवन साहू ने कहा कि "में कुछ नहीं बोलूंगा जो भी बतायेंगे वह एसपी सुकमा ही बोलेंगे.
* हमने सबको रिहा कर दिया -एसपी सुकमा
"यह सही है कि माओवादी होने के शक में कुछ ग्रमीणों को पकड़ा था ,लेकिन बाद में सबको रिहा कर दिया है ,लडकियाँ भी रिहा कर दी गई है ,हम किसी को मुखबिर नही बनाना चाहते"
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