एनकाउंटर पर उठे सवाल : हार्ड कोर महिला नक्सली को लगी थीं 10 गोली, वर्दी में एक का भी निशान नहीं
Posted on: Jun 16,
Avdhesh Mallick, Pradesh18
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा में गोमपाड़-गोरखा के जंगलों में तीन दिन पहले हुई सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ अब सवालों के घेरे में आ गई है. पुलिस ने इस मुठभेड़ में एक वर्दीधारी एक हार्ड कोर महिला नक्सली को मार गिराने का दावा किया था.
इस मुठभेड़ में उस महिला नक्सली को दस गोलियां लगने की बात भी कही गई थी और कुछ घंटों बाद ही सोशल मीडिया में वर्दी पहने उसकी फोटो भी सर्कुलेट कर दी गई थी. लेकिन पुलिस की ओर से जारी की गई इस फोटो में उसकी वर्दी पर कहीं एक भी गोली लगने का निशान नहीं है. इसके
पुलिस मुठभेड़ में मारी गई कथित हार्ड कोर नक्सली
चलते स्थानीय लोग और कार्यकर्ता इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं.
पंचनामा के दौरान गोमपाड़ गांव के लोगों ने नक्सली के तौर पर उसकी शिनाख्त करने से मना करते हुए आरोप लगाया था कि सुरक्षाकर्मी जबरन उस महिला को जंगल में खींचकर ले गए थे और रातभर उसके साथ गैंगरेप किया था. ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस घटना को छुपाने और अलग रूप देने के लिए ही उसकी हत्या कर शव को जंगल में फेंक दिया गया था.
पुलिस की इस कार्रवाई से गुस्साए महिला के परिजनों और ग्रामीणों ने उसके अंतिम संस्कार से इनकार करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी की नेता सोनी सोरी से मदद मांगते हुए गांव का दौरा करने की गुहार लगाई थी. इसके बाद जब सोनी सोरी और उनकी टीम बुधवार को स्थानीय मीडिया के साथ वहां पहुंची तो पुलिस ने दोरनापाल, इराबोर और इंजाराम में ही उन्हें रोक दिया. अंत में पुलिस ने उन्हें इंजाराम से आगे नहीं बढ़ने दिया.
इस मामले में सुकमा की एसपी इंदिरा कल्याण एलिसिला का कहना है कि सोनी सोरी को गांव नें जाने से रोका नहीं गया था. अगर वह गांव में जाना चाहती हैं तो उन्हें पुलिस के संरक्षण में ही होगा, क्योंकि पुलिस को इस क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली है, जिसके चलते उनकी जान को खतरा हो सकता है. महिला को 10 गोली लगने के मामले में उन्होंने कहा कि इस मामले जांच चल रही है.
Posted on: Jun 16,
Avdhesh Mallick, Pradesh18
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा में गोमपाड़-गोरखा के जंगलों में तीन दिन पहले हुई सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ अब सवालों के घेरे में आ गई है. पुलिस ने इस मुठभेड़ में एक वर्दीधारी एक हार्ड कोर महिला नक्सली को मार गिराने का दावा किया था.
इस मुठभेड़ में उस महिला नक्सली को दस गोलियां लगने की बात भी कही गई थी और कुछ घंटों बाद ही सोशल मीडिया में वर्दी पहने उसकी फोटो भी सर्कुलेट कर दी गई थी. लेकिन पुलिस की ओर से जारी की गई इस फोटो में उसकी वर्दी पर कहीं एक भी गोली लगने का निशान नहीं है. इसके
पुलिस मुठभेड़ में मारी गई कथित हार्ड कोर नक्सली
चलते स्थानीय लोग और कार्यकर्ता इस मुठभेड़ को फर्जी बता रहे हैं.
पंचनामा के दौरान गोमपाड़ गांव के लोगों ने नक्सली के तौर पर उसकी शिनाख्त करने से मना करते हुए आरोप लगाया था कि सुरक्षाकर्मी जबरन उस महिला को जंगल में खींचकर ले गए थे और रातभर उसके साथ गैंगरेप किया था. ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस घटना को छुपाने और अलग रूप देने के लिए ही उसकी हत्या कर शव को जंगल में फेंक दिया गया था.
पुलिस की इस कार्रवाई से गुस्साए महिला के परिजनों और ग्रामीणों ने उसके अंतिम संस्कार से इनकार करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.
ग्रामीणों ने इस मामले में स्थानीय कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी की नेता सोनी सोरी से मदद मांगते हुए गांव का दौरा करने की गुहार लगाई थी. इसके बाद जब सोनी सोरी और उनकी टीम बुधवार को स्थानीय मीडिया के साथ वहां पहुंची तो पुलिस ने दोरनापाल, इराबोर और इंजाराम में ही उन्हें रोक दिया. अंत में पुलिस ने उन्हें इंजाराम से आगे नहीं बढ़ने दिया.
इस मामले में सुकमा की एसपी इंदिरा कल्याण एलिसिला का कहना है कि सोनी सोरी को गांव नें जाने से रोका नहीं गया था. अगर वह गांव में जाना चाहती हैं तो उन्हें पुलिस के संरक्षण में ही होगा, क्योंकि पुलिस को इस क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली है, जिसके चलते उनकी जान को खतरा हो सकता है. महिला को 10 गोली लगने के मामले में उन्होंने कहा कि इस मामले जांच चल रही है.
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