छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और ईसाइयो पे हिन्दू अतिवादियों के हमलो से जीना मुहाल ,आदिवासियों के हिन्दुकरण की प्रक्रिया में संघटन ,प्रशाशन ,और पुलिस का गठजोड़ /
छत्तीसगढ़ जशपुर जिला हैं जहाँ भारी संख्या में आदिवासी और इससे रहते हैं , यही वो जिला है जहां प्रदेश में क्या पुरे देश में सबसे ज्यादा आई ये एस ,आई पी एस ,और सरकारी नोकरियो में आदिवासियों ने अपना स्थान बनाया हैं , इसका श्रेय जाता हैं वहां की मिशनरियों को ,जिन्होंने आज़ादी के पहले से स्कूल ,कॉलेज , हॉस्पिटल खोले और आदिवासियों को लिखाया पढ़ाया ,और उन्हें स्वस्थ भी रखा ,इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी कुछ मजबूत बनी , कई सालो पहले बहुत से आदिवासी खास कर के उरांव इससे भी बने ,शेष आदिवासी अपने परम्परागत धर्म को मानते रहे ,जिन्हे अब सरना धर्म भी कहा जब लगा है. आदिवासियों और ईसाइयो की अपनी अलग पूजा पूजा पद्दति , अलग धार्मिक अक़ीदा हैं।
वैसे तो पुरे छत्तीसगढ़ में बुरे हल है लेकिन फ़िलहाल हम सिर्फ जशपुर की बात करते है, इसी अगस्त में पीयूसीएल की एक फेक्ट फाईंडिंग टीम जशपुर के दुरस्थ गॉवो में गई थी। लगभग सभी गॉवो में सभी आदिवासियों के घरो पे हनुमान के झंडे लगे थे ,झंडे लगाना कोई बड़ी घटना नहीं है ,औरये किसी का भी क़ानूनी हक़ भी है की वो किसी भी धर्म प्रतिक का निशान अपने घर में लगाये ,लेकिन ये मामला इतना सहज भी नहीं हैं , जिन घरो में एक साबुत कपडा भू नहु ही उन घरो में बड़े बड़े विशाल झंडे लगे हो तो शक तो होता ही है की आखिर या माजरा क्या है ,
थोड़े और डिटेल में जानने की कोशिश की तो पाया की सरकारी भवनो में भी एक दो नहो आठ आठ दस झंडे फहरा रहे है ,जिन ससरकारी कार्यालय में तिरंगा फहराया जाता ठ अमब वहा हनुमान के झंडे लगे हौं , ऐसा कोई आदिवासी का घर नहीं मिला जिस पे विशाल झंडा न लगा हो ,
मेरी कुछ आदिवासियों से विस्तार से बात हुई की क्या आपको मालूम है की ये झंडा किसका है ,तो उन्होंने बताया की हम तो सब सरना धर्म आय अपना आदिवासी परंपरा मानते आ रहे थे ,और अब भी मानते है ,लेकिन जशपुर महाराज दिलीपसिंह जूदेव के लोग बड़ी संख्या आते है और कहते है की हनुमान जी आदिवासियों के भगवन है , इनकी पुजा करनी चाहिए , दुर्गा गणेश पे भी हमारे गों में पैसा देकर अपनी पार्टी के लोगो से कार्यक्रम करवाते हैं। किसी भी गॉव वाले ने अपनी मर्जी से कोई झंडा अपने घर पे लगता। राम उत्सव ,शादी विवाह में गायत्री के पंडो को भेज के कहते है की इनकी सलग से शादी करी ,जिससे की तुम सब सभ्य बन जाओगे ,.
यही ई जिला है जहाँ धर्म [घर ] वापसी का अभियान चलाया जाता है। जूदेव के लोगो द्वारा ,इसका मतलब की जो भी ईसाई हो गए है ,उन्हें दुबारा हिन्दू धर्म में लाना हैं। इसकी कई कहानियो से पूरा देश परचित है हैं। जब उद्योग लगाने के लिए जमीनो का अधिग्रहण शुरू हुआ तो सरकारी नुमाइंदो ने हल्ला किया की जो हिन्दू है उनकी जमीं नहीं जाएगी बल्कि जो इसे हो गए है उनकी जमीन छीनी जाएगी।
इसी जिले में सलवा जुडूम की तर्ज पे धर्म सेना बनाई गई है ,जिन्हे नक्सलियों से लड़ने के नाम पे हथियार देने की बात चल रही हैं, ऐसे ही जो ईसाई आदिवासी है उनपे तो रोज हमले किया जा रहे हैं , जो भी रविवार को पाने घरो में प्राथना सभा करते है उनके घरो पे ये तथाकथित हिन्दू सेना कई कई नामो से इन्हे प्रताड़ित करती है , चर्चो पे हमले , महिलाओ के साथ बदसलूकी ,पादरियों, फादर , टीचर , सिस्टर पे हमले आम बात हो गई हैं। रोज सुन्न एमए आता है कि किसी गॉव में चंगाई सभा के बहाने धर्म परिवर्तन किया जा रहा था ,और उनके घरो पे हमला किया गया और पुलिस ने दंगाइयो के खिलाफ न करके पीडितो के खिलाफ ही केस दर्ज करके जेल भेज दिया।
एक सप्ताह में ही ऐसे चार केस हुए ,एक कुनकुरी में ,दूसरा जगन्नाथ पुर में ,तीसरा भिलाई के खुर्सीपार मई और चौथा बिलासपुर में फेसबुक में फालतू फोटो पोस्ट करके ऊधम मच्या गया।
छत्तीसगढ़ में हालात बहुत ख़राब है , बस्तर के जंगलो में भी ऐसा ही अभियान कई सालो से चल रहा हैं , रायपुर में पिछले दिनों 16 मुस्लिम नोजवानो को आतंकवाद के नाम से पकड़ा गया और आज तक उन्हें नही छोड़ा गया , अल्पसंख्यको पे ये हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसे रोकने की पहल करनी ही होगी ,जो समाज हजारो साल से भाईचारे क साथ जीवन यापन कर रहे है ,उनकी एकता को छिन्न भिन्न करने की कोशिश को नाकाम करनी ही होगी ,
सबसे बड़ी और अच्छी बात ये है की किसी भी समुदाय में कोई नाराजी या वैमनस्य नहीं है ,ये कोई सांप्रदायिक विभाजन भी नहीं है , इसे तो सिर्फ संघ के फासिस्ट सोच के अनुसार समाज में स्थाई विभाजन करना चाहते है, जिसे कामयाब नहीं होने देना है ,इसके लिए समाज के सारे जनतांत्रिक संघटन ,सेकुलर जमात और शांति प्रिया लोगो को आगे आना ही होगा ,तब ही हमारा समाज और देश बच पायेगा ,
आइये हम सब साथ बैठे ,चर्चा करे और देश और समाज द्रोही लोगो को परास्त करें।
[ लाखन सिंह, पीयूसीएल ]
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