बिलासपुर में एनटीपीसी का राखड़ बांध फूटा , रांक और हरदाडीह गॉव में हाहाकार , 100 एकड़ फसल बर्बाद , गली ,घरो और खेतो में भरी राख ,लोगो ने गॉव के बहार शरण ली /
गुरुवार शुक्रवार की रात [ 21 -22 अगस्त की रात ] तीन बजे सीपत एनटीपीसी का राखड़ बांध टूटने से रांक और हरदा डीह में कोहराम मच गया , गलियो ,घरो से होता हुआ राखड़ का पानी गॉव में घुस गया ,तब लोग अपने घरो में सो रहे थे ,बाहर जाके देखा तो खेतो में राख भरी हुई थी , चारो तरफ हाहाकार मचा था ,लोग अपनी जान बचाने के लिए इधार उधर भाग रहे थे , लोग चीखते हुए जान बचने के लिए अपने बचो को गॉड में लेके भागने लगे ,पूरा गॉव बहार खेतो की मेड पे आके शरण लेने को मजबूर हो गया , कुछ परिवारो को कम्युनिटी हाल में ठहराया गया।
राख से सरोबार टैंक के फूटने का अंदेशा बहुत पहले से ही ग्रामीण प्रशाशन और एनटीपीसी के अधिकारियो को बता रहे थे ,बांध की दिवार पहले से ही लीकेज थी ,जिसके कारण राख आसपास के खेतो में बहने से खेत दलदल में तब्दील हो गए थे। इन खेतो में धान पैदा होना बंद हो गया था। ग्रामीणो ने कई बार कलेक्टर से भी ऑफिस जाके शिकायत भी की ,लेकिन कोई सुनवाइ नहि हुई। आखीर उसी जगह से 15 से 20 फ़ीट का हिस्सा ढह गया और खेत के खेत बर्बाद हो गए। सबसे ज्यादा प्रभाव गॉव के निचले हिस्से को पड़ा है ,जहा पूरी बस्ती है ढेर में तब्दील हो गई हैं,
आसपास के ग्रामीणो ने जम के नारेबाजी की , और आरोप लगाया की प्रशाशन और एनटीपीसी के जिम्मेदार लोगो ने शिकायत के बाबजूद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की,बहुत पहले से गॉव और शाशन में विवाद बना हुआ था , लेकिन शाशन तो बांध टूटने का ही इंतजार कर रहा था ,ताकि मुआबजा देके बांकी जमीन पे और कब्ज़ा कर लियाजाये।
ग्रामीणो का कहना है की एनटीपीसी की स्थापना के समय गॉव के विकास और हर परिवार में से एक को नौकरी देने का वायदा किया था ,लेकिन एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया। लोगो के खेत और जमीन प्लांट में चले गए अब उनके पास सिर्फ घर बचा है उसमे भी रहना मुश्किल हो गया है ,चारो तरफ प्रदुषण फैला है जिससे बीमारिया हो रही हैं,
सरकार और कंपनी प्रशाशन हमेशा की तरह मुआवश और सहायता देने की बात कर रहा हैं , और ये भी की हम प्रभवितो को भोजन भी तो दे रहे हैं,
खतरा हमेशा बरक़रार है ,क्योकि न तो बांध की स्थिति सुधरेगी और न ही गॉव में कुछ काम होगा,जिला प्रशाशन अगली दुर्घटना का इंतजार करेगा और फिर वाही लिखा पढ़ा भाषण और बयान देदेगा,
गुरुवार शुक्रवार की रात [ 21 -22 अगस्त की रात ] तीन बजे सीपत एनटीपीसी का राखड़ बांध टूटने से रांक और हरदा डीह में कोहराम मच गया , गलियो ,घरो से होता हुआ राखड़ का पानी गॉव में घुस गया ,तब लोग अपने घरो में सो रहे थे ,बाहर जाके देखा तो खेतो में राख भरी हुई थी , चारो तरफ हाहाकार मचा था ,लोग अपनी जान बचाने के लिए इधार उधर भाग रहे थे , लोग चीखते हुए जान बचने के लिए अपने बचो को गॉड में लेके भागने लगे ,पूरा गॉव बहार खेतो की मेड पे आके शरण लेने को मजबूर हो गया , कुछ परिवारो को कम्युनिटी हाल में ठहराया गया।
राख से सरोबार टैंक के फूटने का अंदेशा बहुत पहले से ही ग्रामीण प्रशाशन और एनटीपीसी के अधिकारियो को बता रहे थे ,बांध की दिवार पहले से ही लीकेज थी ,जिसके कारण राख आसपास के खेतो में बहने से खेत दलदल में तब्दील हो गए थे। इन खेतो में धान पैदा होना बंद हो गया था। ग्रामीणो ने कई बार कलेक्टर से भी ऑफिस जाके शिकायत भी की ,लेकिन कोई सुनवाइ नहि हुई। आखीर उसी जगह से 15 से 20 फ़ीट का हिस्सा ढह गया और खेत के खेत बर्बाद हो गए। सबसे ज्यादा प्रभाव गॉव के निचले हिस्से को पड़ा है ,जहा पूरी बस्ती है ढेर में तब्दील हो गई हैं,
आसपास के ग्रामीणो ने जम के नारेबाजी की , और आरोप लगाया की प्रशाशन और एनटीपीसी के जिम्मेदार लोगो ने शिकायत के बाबजूद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की,बहुत पहले से गॉव और शाशन में विवाद बना हुआ था , लेकिन शाशन तो बांध टूटने का ही इंतजार कर रहा था ,ताकि मुआबजा देके बांकी जमीन पे और कब्ज़ा कर लियाजाये।
ग्रामीणो का कहना है की एनटीपीसी की स्थापना के समय गॉव के विकास और हर परिवार में से एक को नौकरी देने का वायदा किया था ,लेकिन एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया। लोगो के खेत और जमीन प्लांट में चले गए अब उनके पास सिर्फ घर बचा है उसमे भी रहना मुश्किल हो गया है ,चारो तरफ प्रदुषण फैला है जिससे बीमारिया हो रही हैं,
सरकार और कंपनी प्रशाशन हमेशा की तरह मुआवश और सहायता देने की बात कर रहा हैं , और ये भी की हम प्रभवितो को भोजन भी तो दे रहे हैं,
खतरा हमेशा बरक़रार है ,क्योकि न तो बांध की स्थिति सुधरेगी और न ही गॉव में कुछ काम होगा,जिला प्रशाशन अगली दुर्घटना का इंतजार करेगा और फिर वाही लिखा पढ़ा भाषण और बयान देदेगा,
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