जांच टीम ने निकला मलबे के नीचे से बारूद का जखीरा , नवभारत फ्यूज़ कम्पनी मे बिस्फोट से मारे गये थे पांच मजदूर .जांच दल की रिपोर्ट ,
अभी चार दिन पहले ही अभनपुर मे स्थित नवभारत फ्यूज़ कारखाने मे बिस्फोट से पांच मजदूर मारे गये थे ,भाजपा की राजनीति करनेवाली नेता के कारखानेके खिलाफ अभी तक कोई गंभीर कार्यवाही नही हुई हैं , सोमवार को एक्सप्लोसिव टीम ने मलबे के ढेर से बारूद का जखीरा बरामद किया ,75125 मीटर लम्बी बत्ती को जप्त करने के बाद इसे सुरक्षित रखा गया हैं ,जांच टीएम ने दिनभर मलबा हटाने की कार्यवाही की,
टीम ने कम्पनी परिसर से मलबे को हटाने के बाद उनकी अन्य फेक्टरियो का भी निरीक्षण किया .सुरक्षा की गंभीर त्रुटियों से समिति हैरान हैं ,की कोई बारूद फेक्टरी ऐसे कैसे इतनी गंभीर गलती कर सकती हैं, जिसमे जान की इतनी जोखिम हो ,वहा सुरक्षा के न्यूनतम साधन भी नहीं थे।मलबे के ढेर मे जांच टीम को बारूद से लिपटी हुई तैयार बत्ती मिली ,जिसे पहले ही डिलेवरी कर देना था ,लेकिन बिस्फोट होने से पूरी फेक्टरी है उड़ गई ,और बत्ती मलबे के नीचे दब गई ,जो और बड़ा हादसा कर सकती थी ,इन्हे 65 पेटियो मे भेजा जाना था .जांच टीम ने पाया की केमिकल रिसाव को रोकने के भी इंतज़ाम नहीं थे,
पुलिस ने अभी तक किसी के खिलाफ कोई गिरफ्तारी की कार्यवाही नहीं की हैं,वो कह रहि है जांच की रिपोर्ट आन एके बाद कुछ कर पायेंगे।
कोंग्रेस के जांच दल ने बताया की की फेक्टरी प्रबंधन के लोग मंगलवार को गुप्त रूप से बारूद चुराने पहुचे थे ,इस बीच नागपुर से आई जांच टीएम ने उन्हे रंगे हाथो पकड़ लिया ,इसके चलते वो लोग चोरी नहीं का सके और उन्हे खाली हाथ वापस जाना पड़ा, कोंग्रेस समिति के प्रमुख धनेंद्रा साहू ने बताया की ३०साल से संचालित फेक्टरी की एक यूनिट मे ही बिस्फोट हुआ था ,यदि अन्य यूनिट मे बिस्फोट होता तो पूरा अभनपुर ही उड़ जाता .और आसपास के 10-12 गॉव पूरी तरह तबाह हो जाते .फेक्टरी मालको ने 30 साल पुरानी मशीनो को जर्जर ही रहने दिया ,ना तो कभी मशीनो को बदला या सुधारा गया और नहीं मजदूरो को किसी प्रकार का प्रशिक्षण दिया गया .
मजदूरो ने बताया की यदि हम सब लोग ट्रेंड होते तो इस दुर्घटना को टाला जा सकता था ,घटना के दिन गार्ड को बारूद मे धागा लपेटने को दिया गया था ,उसे इस काम का कोई अनुभव भी नहीं था .जिस मशीन से उत्पादन किया जाता है उसकी स्पीड बढ़ा दी गई ,जो मशीन फेक्टरी मे थी उसमे 17 से 20 बिस्फोटक बॉक्स ही तैयार किये जा सकते थे लेकिन वहा 40 बॉक्स तैयार करवाये जा रहे थे ,
परिवार के लोगो ने बताया की फाक्टरी मे 12 से 16 घंटे काम करवाया जाता था ,मजदूरो को जुते, हेलमेट, दास्ताने भी नहीं दिये गये थे .सरकार ने कभी भी ये जानने की कोशिश नहीं की की फेक्टरी को किस आधार पे आईएसओ प्रमाणपत्र मिला था .
मजदूर यूनियन के कलादास ने कहा की फेक्टरी बंद होने के बहन एसे इतने पुराने मजदूरो को निकलने का बहाना नहीं बनाया जा सकता,उन्हों एमंग की सभी मजदूरो को जब तक फेक्टरी बंद हो तब तक पूरी मजदूरी भुगतान किया जाये ,औ रुनके बच्चो को काम दिया जाये .
जांच दल और मजदूर संघटनो की मांग है की फेक्टरी प्रबंधन को गिरफतार किया जाये ,और मारे गये मजदूरो को उचित मुआवज़ा दिया जाये ,
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